
डॉ.महेन्द्र यादव की पाती थोड़ी जज़्बाती
कल्पना से हकीकत तक: जब साहित्य और सिनेमा ने भविष्य की झलक दी
इतिहास में कई बार ऐसा हुआ है जब साहित्य या सिनेमा में रची गई कल्पनाएँ वर्षों बाद वास्तविकता बनकर सामने आई हैं।
1898 में अमेरिकी लेखक मॉर्गन रॉबर्टसन ने Futility, or the Wreck of the Titan नामक उपन्यास लिखा, जिसमें ‘टाइटन’ नामक एक विशाल जहाज उत्तरी अटलांटिक महासागर में हिमखंड से टकराकर डूब जाता है।
14 वर्ष बाद, 1912 में, वास्तविक ‘टाइटैनिक’ जहाज भी अप्रैल में उत्तरी अटलांटिक में एक हिमखंड से टकराकर डूब गया।
इन दोनों घटनाओं की समानताएँ चौंकाने वाली हैं, जिससे कई लोगों ने इसे भविष्यवाणी माना।
इसी तरह, 2007 में निर्देशक करणजीत सलूजा द्वारा निर्देशित फिल्म चेन कुली की मैंन कुली में एक 13 वर्षीय अनाथ बालक करण की कहानी है, जो एक जादुई बल्ले के माध्यम से भारतीय क्रिकेट टीम में शामिल होता है और अद्भुत प्रदर्शन करता है।
यह फिल्म एक काल्पनिक कथा थी, लेकिन 18 वर्ष बाद, 2025 में, यह कल्पना वास्तविकता में बदल गई।
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वैभव सूर्यवंशी: बिहार के छोटे गाँव से IPL तक का सफर
बिहार के समस्तीपुर जिले के मोतीपुर गाँव में जन्मे वैभव सूर्यवंशी ने महज 14 वर्ष की उम्र में क्रिकेट की दुनिया में तहलका मचा दिया।
27 मार्च 2011 को जन्मे वैभव ने 2024 में रणजी ट्रॉफी में बिहार की ओर से पदार्पण किया, और 2025 में राजस्थान रॉयल्स ने उन्हें ₹1.1 करोड़ में अपनी टीम में शामिल किया।
अपने पहले ही IPL मैच में उन्होंने 34 रन बनाए, जिसमें पहली गेंद पर छक्का शामिल था।
अपने तीसरे मैच में, गुजरात टाइटंस के खिलाफ, वैभव ने 101 रन की पारी खेली, जिसमें 11 छक्के और 7 चौके शामिल थे।
उन्होंने यह शतक केवल 35 गेंदों में पूरा किया, जो IPL इतिहास का दूसरा सबसे तेज शतक है, और किसी भारतीय खिलाड़ी द्वारा सबसे तेज।
इससे पहले, केवल क्रिस गेल ने 2013 में 30 गेंदों में शतक बनाया था।
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क्रिकेट जगत की प्रतिक्रियाएँ और भविष्य की चुनौतियाँ
वैभव की इस उपलब्धि ने क्रिकेट जगत को चौंका दिया।
सचिन तेंदुलकर, युवराज सिंह और राहुल द्रविड़ जैसे दिग्गजों ने उनकी प्रशंसा की।
हालांकि, कोच राहुल द्रविड़ ने यह भी कहा कि वैभव को अभी संरक्षण की आवश्यकता है, ताकि वह अचानक मिली प्रसिद्धि से प्रभावित न हों और अपने खेल पर ध्यान केंद्रित कर सकें।
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निष्कर्ष: जब कल्पना भविष्य की दस्तक बन गई
चाहे वह मॉर्गन रॉबर्टसन का उपन्यास हो या चेन कुली की मैंन कुली फिल्म, इन दोनों ने भविष्य की घटनाओं की झलक दी।
यह संयोग नहीं, बल्कि साहित्य और सिनेमा की शक्ति है, जो समय से पहले ही संभावित घटनाओं को चित्रित कर देती है।
वैभव सूर्यवंशी की कहानी हमें यह सिखाती है कि प्रतिभा उम्र की मोहताज नहीं होती।
उनकी सफलता न केवल क्रिकेट के क्षेत्र में एक नया अध्याय है, बल्कि यह भी प्रमाण है कि कभी-कभी कल्पना, वास्तविकता का पूर्वाभास बन जाती है।