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डॉ. महेन्द्र यादव की पाती थोड़ी जज़्बाती
जीवन में मेहनत और अनुशासन का महत्व बार-बार हमारे बुज़ुर्ग बताते हैं, लेकिन इसे हम अक्सर देर से समझते हैं। भारतीय क्रिकेट का एक ऐसा दौर भी था, जब सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली को देखकर हर कोई यही कहता था कि ये जोड़ी क्रिकेट की दुनिया में इतिहास रच देगी। खासकर कांबली, जिनके टैलेंट को देखकर उन्हें सचिन से भी बड़ा खिलाड़ी माना जाता था। लेकिन समय ने दोनों की कहानियों को बिल्कुल अलग दिशा में मोड़ दिया।
सचिन ने अपने जुनून और अनुशासन से न केवल क्रिकेट में, बल्कि पूरी दुनिया में एक अलग पहचान बनाई। दूसरी ओर, कांबली अपने असाधारण टैलेंट के बावजूद चकाचौंध भरी जीवनशैली, शौहरत और गैर-ज़िम्मेदार रवैये में खो गए।
हाल ही में एक सार्वजनिक समारोह में कांबली ने सचिन को देखकर उन्हें अपने पास बैठने का आग्रह किया। उनकी आँखों में खुशी और पुरानी दोस्ती की चमक थी। कांबली ने सचिन का हाथ पकड़ा, लेकिन सचिन ने मुस्कुराते हुए हाथ छुड़ाया और वहाँ से दूरी बना ली। यह घटना हर किसी को सोचने पर मजबूर करती है। यह कहना कठिन है कि सचिन का व्यवहार क्यों ऐसा था, लेकिन इसने एक कड़वी सच्चाई को उजागर किया: लोग आपकी मेहनत, रुतबे और उपलब्धियों का सम्मान करते हैं, न कि केवल आपके नाम का।
कांबली की आज की स्थिति उन युवाओं के लिए एक कड़वी सीख है, जो अपनी जवानी को गैर-ज़रूरी शौकों और चकाचौंध में गँवा देते हैं। कांबली का टैलेंट सचिन से कम नहीं था, लेकिन उनके पास वह अनुशासन, निरंतरता और मेहनत का जज़्बा नहीं था जो सचिन के पास था। परिणामस्वरूप, सचिन आज भी दुनिया भर के लिए प्रेरणा हैं, जबकि कांबली आर्थिक संकट और गुमनामी में जीवन जी रहे हैं।
जवानी में मेहनत का महत्व
जवानी वह समय है जब इंसान के पास ऊर्जा, जोश और सपने होते हैं। यह समय निर्माण का है, भटकने का नहीं। बड़े बुज़ुर्ग सही कहते हैं:
मेहनत करना तब शुरू करो जब तुम्हारे पास समय और ताकत हो।
भविष्य के लिए पैसे और स्किल्स का निवेश करो।
शौहरत को काबू में रखो, उसे अपने ऊपर हावी मत होने दो।
सचिन ने यह सब किया। 22 साल की मेहनत और अनुशासन ने उन्हें दुनिया का सबसे बड़ा क्रिकेटर बना दिया। उनका नाम आज भी गर्व और सम्मान के साथ लिया जाता है। दूसरी ओर, कांबली ने अपने सुनहरे समय को हल्के में लिया। वे आज अपने बुरे दिनों में उन लोगों का सहारा ढूँढते हैं, जिनसे उन्होंने कभी दूरी बना ली थी।
नैतिक शिक्षा: मेहनत और अनुशासन ही सफलता की कुंजी है
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि टैलेंट आपको शुरुआत तो दिला सकता है, लेकिन मेहनत और अनुशासन ही आपको सफलता की मंज़िल तक पहुँचाते हैं।
जवानी के साल केवल मस्ती के लिए नहीं होते, ये आपके भविष्य को संवारने के लिए होते हैं। अगर आप आज मेहनत नहीं करेंगे, तो कल आपको दूसरों पर निर्भर होना पड़ेगा।
इसलिए समय का सम्मान करें, खुद पर काम करें, ताकि आपका बुढ़ापा गर्व से भरा हो, लाचारी से नहीं।