[माधव एक्सप्रेस सुनील योगी]
200 वर्षों से अधिक रह चुकी अंग्रेजी गुलामी के बाद भारत को15 अगस्त 1947 को आजादी मिली कुछ नेताओं की गलती से उस समय भारत का विभाजन करते हुए सामाजिक आधार पर भारत से विभाजित हुए नए देश पाकिस्तान को भी आजादी मिली भौगोलिक परिदृश्य अनुसार भारत के पूर्व और पश्चिम क्षेत्र में मुस्लिम बहुल्यता थी। इसलिए तात्कालिक रूप से पूर्वी पाकिस्तान एवं पश्चिमी पाकिस्तान के रूप में एक देश के रूप में पाकिस्तान को पहचान मिली। 24 वर्ष बाद पूर्वी पाकिस्तान में पृथक देश की मांग उठने लगी करण भौगोलिक था ।दोनों पाकिस्तान को जोड़ने के लिए भारत के मध्य से ट्रंक रोड निकल गई थी। जिस पर धीरे-धीरे भारत का हस्तक्षेप बढ़ता गया और दोनों देश भौगोलिक दृष्टि से अपने आप अलग-अलग होने लगे। उस वक्त पाकिस्तान के अत्याचार से और आधिपत्य से बांग्लादेशी नागरिक मुक्त होना चाहते थे। क्योंकि दोनों की संयुक्त राजधानी लाहौर थी। और कई काम रुकावट वाले रहते थे। भारत की तात्कालिक प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कूटनीति रचते हुए बांग्लादेश पृथक करने में अपनी अहम भूमिका निभाई भारत की सेन के साथ-साथ आरएसएस ने भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए बांग्लादेश के मुक्ति आंदोलन में अहम भूमिका निभाई भी उस वक्त बांग्लादेश एवं भारत की संयुक्त मुक्ति वाहिनी सेना ने बांग्लादेश को पृथक करते हुए इस देश को पाकिस्तान के चुंगल से मुक्त करा दिया। शेख मुजीब और आगामी लीग ने 26 मार्च को बांग्लादेश स्वतंत्रता की घोषणा कर दी नए देश का नाम बांग्लादेश रखा गया लड़ाई की मार से बचने के लिए करीब एक करोड़ लोग भारत की सीमा में शरणार्थी बनकर आए 1972 में शेख मुजीब प्रधानमंत्री बन गए और यह देश पूरी तरह आजाद हो गया शेख मुजीब प्रथम शासक बने और कालांतर का घटनाक्रम सभी को याद है। विश्व पटल पर बांग्लादेश में गरीबी और बेरोजगारी अत्यधिक होने के कारण अमीर और गरीब में बड़ी दूरी है। इसी के चलते अशिक्षित और गरीब लोगों के मन में अमीरों के प्रति हमेशा से द्वेश भावना बनी रही । नतीजा यह हुआ कि शेख हसीना की सरकार पलटने के साथ-साथ गरीब तबके और अशिक्षित लोगों में लूटपाट की योजना जन्म लेने लगी और नतीजा यही हुआ पूर्व रचित हिंसा सामने आ गई जून महीने से मुक्ति वाहिनी सेना से जुड़े परिवारों को शासकीय नौकरी में आरक्षण देने के मामले में इस देश में अराजकता का माहौल बनने लगा ओर ना समझ लोगों की भीड़ सोशल मीडिया के जरिए एकत्रित होती रही और टारगेट साधने के लिए मन ही मन लक्ष्य को चिन्हित करती रही इस समय भीड़ ने यह मान लिया था कि यदि अराजक स्थिति बनती है तो किसे लूटना कहां आज जानी करना है और कहां तोड़फोड़ करना है। हालांकि उनका गुस्सा आगामी लीग नेताओं से था किंतु टारगेट पर हिंदू परिवार रखे गए क्योंकि भारत से शेख हसीना की मित्रता उन लोगों को पच नहीं रही थी । भीड़ ने पहले से तय कर लिया था।और अल्पसंख्यक हिंदुओं के पवित्र स्थान और घरों को किस प्रकार नुकसान पहुंचाना है। आंदोलन चरम सीमा पर पहुंचा और 5 अगस्त2024 को बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना और उसकी बहन समेत अन्य सहयोगियों को अपनी जान बचाने के लिए आनन फानन मे बांग्लादेश छोड़कर भारत आना पड़ा शेख हसीना के इस्तीफा देने के बाद बांग्लादेश में 5 दिनों तक चली लूटपाट पूरी तरह प्रायोजित रही कारण यह है ।कि उस वक्त सेना भी अपनी सरकार बनाने में लगी हुई थी और उसे भी भीड़ और हिंसा का सहारा चाहिए था। इसलिए उन्होंने भी सब कुछ होने दिया। भीड़ भी लक्ष्य पूर्ति में आगे बढ़ती गई और उन्होंने शेख हसीना की पार्टी से जुड़े बड़े नेता एवं विशेष चिन्हित वाले हिंदू परिवारो मैं जमकर उत्पाद मचा कर बता दिया कि शिक्षा का अभाव और भुखमरी इंसान से जानवर बनाने में मददगार रहता है। बांग्लादेश में भी हिंदुओं की संख्या 8% है। जो हिंदू परिवार निशाने पर आ गए उनके घर लूटपाट और आगजनी हो गई लेकिन जो सुरक्षित थे। वह अपने आप को आरंभ के 5 दिनों तक बचते रहे। पूरे विश्व की निगाह बांग्लादेश की तात्कालिक गतिविधियों पर बनी हुई है। यहां पर अंतरिम सरकार का गठन भी होने वाला है। सरकार को फिर से दूसरे देशों से मिलने वाली मदद पर निर्भर रहना होगा। इसलिए वह भी नरसंहार गदर के बाद शांति की ओर बढ़ाने में रुचि दिखाएंगे। अल्पसंख्यक हिंदू भी धीरे-धीरे सुरक्षा मोड पर आने लगे हैं। और अपने हक के लिए सड़कों पर उतरे उनके प्रदर्शन के बाद अंतरिम सरकार और बैंक को भी कुछ ठोस फैसले लेने पड़े। इस बीच शेख हसीना ने अपने दुश्मनों की स्पष्ट पहचान करते हुए आरोप लगाया कि अमेरिका और पाकिस्तान की साजिश का शिकार हुई है उनकी सरकार। मसाला जो भी हो इस घटना का भारत में बहुत गहरा असर हुआ है। जिसके परिणाम भारत की अगली राजनीति में साफ-साफ देखने को मिलेंगे। भारत की राजनीति से आप सभी वाकिफ है कड़े फैसले लेने में वर्तमान सरकार के पास नंबरों की कमी है। ऐसे में वक्फ बोर्ड पर बड़ा फैसला लेने के लिए सदन में बहुत शुरू हो गई है। भारतीय आवाम के लिए अब अच्छा क्या और बुरा क्या सोचने के लिए पर्याप्त मौका मिल गया है। जो भी हो भारत को बांग्लादेश की घटना से सबक लेना चाहिए भारत में भी कई राज्य है जहां पर मिनी बांग्लादेश जन्म ले रहे हैं।
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