देश में सबसे पहले बाबा महाकाल के आंगन में होगा होलिका दहन, भक्तों संग होली खेलेंगे बाबा महाकाल
कोई भी त्यौहार हो सबसे पहले बाबा महाकाल के आंगन में मनता है बड़ी धूमधाम से बनेगी महाकालेश्वर मंदिर में होली का दहन होगा
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होलिका दहन के दिन पूरे देश में सबसे पहले बाबा महाकाल के आंगन में होलिका जलाई जाएगी। ऐसा इसलिए क्योंकि महाकाल के दरबार में होलिका दहन की तैयारी एक दिन पहले से ही कर ली जाती है। खास बात यह है कि महाकाल के दरबार में होलिका दहन के लिए किसी प्रकार का मुहूर्त नहीं देखा जाता।
विश्वभर में सबसे पहला होलिका दहन बाबा महाकाल के दरबार में होता है। इसके बाद देशभर में होलिका जलाई जाती है। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार महाकाल के दरबार में होलिका दहन की तैयारी एक दिन पहले से ही कर ली जाती है। खास बात यह है कि महाकाल के दरबार में होलिका दहन के लिए किसी प्रकार का मुहूर्त नहीं देखा जाता। इसके पहले हजारों की संख्या में भक्त महाकाल की भक्ति में लीन होकर अबीर गुलाल के साथ होली खेलते हैं और भगवान महाकाल का आशीर्वाद लेते हैं। संध्या आरती के दौरान पूरा मंदिर परिसर गुलाल और रंग से पट जाता है। इस खूबसूरत नजारे को देखने के लिए श्रद्धालु हर साल होली के एक दिन पहले उज्जैन पहुंचते हैं। महाकाल मंदिर परिसर में होने वाले होलिका दहन का अपना अलग ही महत्व है।
ग्वालियर पंचांग के अनुसार, 12 ज्योतिर्लिंग में से एक महाकालेश्वर मंदिर में 24 मार्च 2024 को प्रदोष काल में मंत्रोच्चार के साथ होलिका दहन किया जाएगा। अगले दिन 25 मार्च 2024 को सुबह भस्म आरती के बाद बाबा को अबीर और हर्बल गुलाल का श्रृंगार कर रंगोत्सव मनाया जाएगा। हिंदू धर्म में मनाए जाने वाले सभी प्रमुख त्योहार सबसे पहले बाबा महाकाल के मंदिर में मनाए जाते हैं।
महाकाल मंदिर के पुजारी पंडित महेश गुरु ने बताया कि महाकाल मंदिर के आंगन में 24 मार्च को गोधूलि बेला में होलिका दहन किया जाएगा। इससे पहले संध्या आरती में भगवान महाकाल के साथ जमकर होली खेली जाएगी। इस अवसर पर महाकाल के हजारों भक्त रंग और गुलाल में सराबोर नजर आएंगे। होली के इस पावन पर्व का सभी भक्त बेसब्री से इंतजार करते हैं। होली के एक दिन पहले ही महाकाल मंदिर में पुजारियों और श्रद्धालुओं द्वारा भगवान महाकाल के साथ होली खेली जाएगी। इसके बाद पुजारी मंदिर परिसर में पूजा-अर्चना कर होलिका दहन करेंगे।
ठंडे जल से करेंगे स्नान, आरती का समय भी बदलेगा
पं. महेश पुजारी ने बताया की चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से गर्मी की शुरुआत मानी जाती है, इस दिन से शरद पूर्णिमा तक भगवान ठंडे जल से स्नान करते हैं। ऋतु अनुसार निर्धारित इन छह-छह माह में प्रतिदिन होने वाली पांच में से तीन आरती का समय भी बदलता है। वर्तमान में शीत ऋतु के अनुसार भगवान की सेवा पूजा की जा रही है। 25 मार्च चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से अगले छह माह गर्मी के अनुसार दिनचर्या होगी। 25 मार्च से भस्म आरती तड़के 4 बजे, बालभोग आरती सुबह 7 बजे, भोग आरती सुबह 10 बजे, संध्या पूजा शाम 5 बजे संध्या आरती शाम 7 बजे, शयन आरती रात 10.30 बजे होगी।