शिमला । हिमाचल प्रदेश चुनाव में राज बदलता है रिवाज नहीं है। यह कहावत एक बार फिर से सच साबित हुई है। हर पांच साल में सरकार बदलने की परंपरा इस बार फिर जारी रही। भाजपा को सत्ता से हटाकर अब हिमाचल में कांग्रेस सरकार बनाने जा रही है। प्रदेश की हमीरपुर विधानसभा सीट का रिजल्ट दिलचस्प रहा। इस सीट पर आशीष शर्मा को जीत मिली है। आशीष निर्दलीय चुनाव जीते हैं।
खास बात है कि आशीष पहले भाजपा में थे लेकिन उन्हें इस बार टिकट नहीं मिला। भाजपा छोड़कर कांग्रेस गए लेकिन वहां भी टिकट नहीं मिलने के बाद उन्होंने 48 घंटे के अंदर पार्टी छोड़ दी और निर्दलीय नामांकन कराया था। कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला ने उन्हें पार्टी जॉइन करवाई। हालांकि महज 48 घंटे में उन्हें समझ आ गया कि टिकट नहीं मिलेगा इसके बाद उन्होंने निर्दलीय पर्चा भरने का निर्णय लिया।
हमीरपुर सीट पर टिकट बंटवारा बहुत दिलचस्प था। कांग्रेस ने तो नामांकन का समय खत्म होने से महज ढाई घंटे पहले अपने प्रत्याशी के नाम का ऐलान किया था। आशीष शर्मा ने हमीरपुर सीट से निर्दलीय के रूप में 47 फीसदी वोट हासिल करके दोनों पार्टियों को चौंका दिया। 25916 मतों पर शर्मा ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के पुष्पिंदर वर्मा से लगभग दोगुना वोट हासिल किए जिन्हें 13017 वोट मिले। हिमाचल प्रदेश चुनाव में मैदान में उतरे 35 भाजपा के बागियों में से केवल दो अन्य जीतने में कामयाब रहे। हालांकि अन्य ने आधिकारिक उम्मीदवारों के वोट काटे और कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में अपनी हार भी सुनिश्चित की।
कांगड़ा के देहरा निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा के बागी होशियार सिंह ने भाजपा के रमेश चंद और कांग्रेस के राजेश शर्मा को 3877 मतों के अंतर से हराया। सिंह को 22997 वोट मिले जबकि राजेश शर्मा को 19120 और और रमेश चंद 16730 वोट मिले। केएल ठाकुर जिन्होंने 2012 का राज्य चुनाव बीजेपी के टिकट पर जीता था लेकिन 2017 में हार गए थे। इस बार पार्टी ने उन्हें टिकट से इनकार कर दिया गया था। उन्होंने नालागढ़ से भाजपा के लखविंदर राणा और कांग्रेस के हरदीप बावा को हराकर जीत हासिल की। ठाकुर को 33427 मत मिले उन्होंने बावा को 13264 मतों के अंतर से हराया। कुल 99 निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में थे जिनमें से 21 भाजपा के और 14 कांग्रेस के बागी थे। जहां भाजपा ने छह बागियों को निष्कासित कर दिया था वहीं कांग्रेस ने पांच को निलंबित कर दिया था।