उज्जैन 03 नवम्बर। उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि नई शिक्षा नीति एक गेम चेंजर के रूप में, पश्चिमी शिक्षा पद्धति को छोड़ अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ने की पहल है। उन्होंने कहा कि एनईपी गुरूकुल पद्धति से प्रेरित है और आउटकम बेस्ड मल्टी-डिस्प्लेनरी अप्रोच की बात करती है। डॉ. यादव बुधवार 2 नवम्बर को बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के दीक्षारम्भ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
मंत्री डॉ. मोहन यादव ने नव प्रवेशिक छात्रों को बधाई देते हुए कहा कि शिक्षा का स्वरूप वर्तमान परिस्थिति में बदल गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति शिक्षा और शोध की गुणवत्ता और कौशल पर जोर देती है, सांस्कृतिक तथा ऐतिहासिक विरासत को शिक्षा का अधिकार बनाती है और ऐसी शिक्षा की बात करती है, जिसमें विद्यार्थी का चहुँमुखी विकास हो। उन्होंने कहा कि नए विद्यार्थियों का दीक्षारम्भ जहाँ शिक्षा सीखने के अधिकार की बात करता है, वहीं दीक्षा भारत की पुरानी परंपरा के अनुसार सीखने के अधिकार के साथ दायित्व और कर्त्तव्यों की बात भी करती है।
बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एस के जैन ने कहा कि दीक्षारम्भ करने वाले विद्यार्थी विश्वविद्यालय का अभिन्न अंग बन कर नए कीर्तिमान स्थापित करने में सफल होंगे। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी ये संकल्प लें कि जितने वर्ष हम विश्वविद्यालय में इन्वेस्ट कर रहे हैं तो आउटपुट भी बेहतरीन ही होगा।
यूआईटी के निर्देशक प्रोफेसर नीरज गौर ने विश्वविद्यालय में संचालित पाठयक्रमों और विश्वविद्यालय में चल रहे इंक्यूबेशन सेंटर की जानकारी दी।
उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने “चार कदम तकनीकी की ओर’’ पत्रिका का विमोचन किया। श्री यादव ने 8 विद्यार्थियों को ऑफर लेटर भी प्रदान किये।