मुंबई । कर्मचारियों के भविष्य की सुरक्षा की गारंटी देने वाले ईपीएफओ संगठन से एक दुखदायी खबर आ रही है। संस्थान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सैकड़ों कर्मचारियों को भविष्य अंधकार में डाल दिया। मुंबई के कांदीवली क्षेत्र स्थित कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ऑफिस में तैनात सोशल सिक्योरिटी ऑफिसर ने फर्जी तरीके से क्लेम कर कर्मचारियों के 1000 करोड़ रुपये हड़प लिए। ईपीएफओ ने आरोपी अधिकारी महिंद्र बामने को निलंबित कर दिया है और मामले में जांच के लिए उच्च अधिकारी को नियुक्त किया है। इस फर्जीवाड़े में बामने ने अपने मित्र कर्मचारियों को फायदा दिलाने के लिए एयरलाइन के कई घरेलू कर्मचारियों के हितों को सूली पर चढ़ा दिया। मामले में शामिल लोगों ने कई दस्तावेज नष्ट कर दिए और फर्जी कागजों के सहारे पूरे खेल को अंजाम दिया।
ईपीएफओ से जुड़े सूत्रों ने बताया कि वैसे तो पीएफ लूट की शुरुआत 2019 में ही हो गई थी, लेकिन लॉकडाउन के दौरान इसमें तेजी आई। बाद में कई कर्मचारियों ने पीएफ कार्यालय से डॉक्यूमेंट गायब होने की शिकायतें भी की। हालांकि, अब जेट एयरवेज पायलटों से संपर्क तक उनका इंडियन पैन कार्ड और बैंक चेक मांग रहा है, ताकि उन्हें पीएफ के पैसे वापस कर सके।
ईपीएफओ के सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज के सदस्य प्रभाकर बानासुरे ने बताया कि कर्मचारियों के पीएफ के पैसे हड़पने के लिए आरोपियों ने बोगस खाते खोले और निष्क्रिय हो चुकी कंपनियों में फर्जी तरीके से क्लेम सेटलमेंट किए जिसमें जेट एयरवेज भी शामिल है। हमारा अनुमान है कि नियमों के इस उल्लंघन और टैक्स चोरी से ईपीएफओ को करीब 1000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। दोषियों को इसके लिए कड़ी सजा मिलेगी।
मामला सामने आने के बाद ईपीएफओ के आईएएस अधिकारियों और श्रम मंत्री के साथ मामले पर बैठक भी गई। 29-30 जुलाई को हुई बैठक में इस ईपीएफओ कमिश्नर के साथ इस पर चर्चा हुई। ट्रस्टी सदस्य सुकुमार दामले का कहना है कि बैठक में जेट एयरवेज का मुद्दा भी उठा और लोगों ने इस पर बात की। कांदीवली शाखा से जुड़े इस मैटर से श्रम मंत्री को भी अवगत कराया गया। मामले में कई विदेशी कर्मचारियों के पीएफ में सेंधमारी की बात सामने आई है।
प्रभाकर बानासुरे ने कहा, मैं खुद मीटिंग में मौजूद था और मैंने जेट एयरवेज के पीएफ खातों के फॉरेंसिक ऑडिट की मांग की है। वैसे तो मामले की जांच चीफ विजिलेंस जीतेंद्र खरे करेंगे, लेकिन वे कांदीवली की उसी ब्रांच में काम करते हैं जहां का यह मामला है। ऐसे में हमें सही जांच की उम्मीद कम है। लिहाजा मेरी मांग है कि इसकी जांच सीबीआई से कराई जाए, क्योंकि इसमें कई व्हाइट कॉलर भी शामिल होंगे।