कोलकाता : हाल ही में पश्चिम बंगाल के प्रसिद्ध बांग्ला डिजिटल मीडिया प्लेटफार्म कैलकॉलिंग के 10 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष में कोलकाता के ICCR स्थित सत्यजीत रे सभागार में आयोजित एक सफर संगीत का कार्यक्रम में पद्मश्री अनूप जलोटा और ताल सम्राट आदित्य नारायण बैनर्जी की मधुर सुर – ताल का अनूठा संगम देखने को मिला, जहाँ “भजन सम्राट” के नाम से पहचाने वाले वाले श्री जलोटा ने मेने माखन खाया……. रंग दे चुनरिया ……. इतना तो करना स्वामी ……. से कार्यक्रम का शुभारम्भ करते हुए जगजीत सिंह का सुपरहिट सॉन्ग होंटो से छूलो तुम जैसे गीतों के साथ ही काजी नजरुल इस्लाम खेली छो ऐ विश्वलोए बांग्ला गीत गा कर श्रोताओं को संगीत रास में डूबा दिया, श्री जलोटा के साथ लिम्का बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर आदित्य-राणा-संदीप की तिगड़ी का बहुत सुन्दर कमेस्ट्री जैम रही थी जिसको देख श्रोताओं के मुँह से वाह निकल गया, जहाँ श्री जलोटा ने भजन और ग़ज़लों की प्रस्तुत दी तो वहीँ पंडित आदित्य नारायण बैनर्जी (पद्मश्री तृप्ति मुखर्जी के साथ “व्हाइट हाउस” में वाजाने वाले एकमात्र तबला वादक हैं) ने श्री जलोटा के गीतों को तबले की थाप से सजाया तो वहीँ सही धुन और ताल का सामंजस्य स्थापित करने में “MUSIX” टीम ने अपनी अहम् भूमिका निभाई, ज्ञातव्य रहे की आदित्य-राणा-संदीप लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड धारक, एफटीटीआई पुने मे पंडित रमेश नारायण के साथ 36 घंटे लगातार तबला कीबोर्ड सीटर वादन किया है।
जैसे जैसे शाम ढलती चली गयी अनूपजी जलोटा की उदासीन आवाज के साथ शाम खिल उठी, जिसमें नजरूल के गीतों सहित उनके प्रसिद्ध गीतों का प्रदर्शन जारी रहा। जिसमे श्री जलोटा का साथ कीबोर्ड पर साथ दे रहे थे मशहूर संगीत निर्देशक कौस्तव राणा सरकार, सितार पर संदीप बनर्जी, बांसुरी की कमान गौरव दत्त ने सभाल रहे थे तो वहीँ गिटार पर गौतम चटर्जी ने अपने संगीत का जादू बिखेर रहे थे, पार्श्व ताल वादन पर अशोक घोष एवं तबले की थाप से संगीत को आदित्य नारायण बनर्जी (ताल सम्राट ) पूरा कर रहे थे।
“CALCALLING TV” की दसवीं वर्षगांठ का जश्न पर जहाँ संगीत जगत की हस्तियां मौजूद थी तो वहीँ अलग अलग क्षेत्रों से आये संगीत व् कलाप्रेमियों ने कैलकॉलिंग टीम ऋतिक मुखर्जी, ध्रुवज्योति सेनगुप्ता, देबाशीष जी को शुभकामनाये प्रेषित की। कार्यक्रम का संचालन अमित आदित्य सान्याल व मनाली चक्रवर्ती ने किया।
ज्ञातव्य रहे की ‘MUSIX’ एक ऐसा ग्रूप है जो गायक की आवाज, जुनून और गीत का समर्थन करता है। यह अपने संगीत स्वाद के लिए एक मिशाल हैं। इसका स्थापना बाबा महांकाल के नगरी उज्जैन में वर्ष 2012 को वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी स्व श्री अशोक जी लुनिया के विशेष आशीर्वाद के साथ हुआ।