निप्र, जावरा मध्यप्रदेश के रतलाम जिले में राजस्व विभाग एवं स्वास्थ्य विभाग से लेकर नगरपालिका के शासकीय अधिकारी कर्मचारियों में विगत कई वर्षों से तबादलों को लेकर शासन द्वारा कोई प्रतिक्रिया नही देखी गई जिसका बड़ा कारण कांग्रेस पार्टी के अल्प समय मे सत्ता से बेघर होना और भारतीय जनता पार्टी के सत्ता में वापसी होने के दौरान कोरोना काल की देश व्यापी समस्या उत्पन्न होना है, लेकिन वर्तमान में शासन को स्थानातरण को लेकर विचार विमर्श करना अतिआवश्यक है , विगत वर्ष में ही जिले के कई विभाग भ्रष्टाचार में लिप्त पाए गए है जिले में कई पटवारी रिश्वत लेते लोकायुक्त की कार्यवाही में पकड़े गए ,वही जावरा कृषि उपज मंडी सचिव से लेकर नगरपालिका अधिकारी सीएमओ एवं राजस्व निरीक्षक भी रिश्वत लेते पाए गए, लेकिन कार्यवाही सिर्फ लाइन अटैच तक ही सीमित रह गई शासकीय अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टर की कमी और वर्षों से कार्यरत डॉक्टर वर्तमान में भी पदस्थ रहकर इलाज के लिए प्राइवेट हॉस्पिटल को बढ़ावा मुख्य बिंदु है,जहाँ कई डॉक्टरों ने अपने निजी स्वास्थ्य केंद्र खोल कर बैठ गए लेकिन अब तक जिले की मुख्य तहसीलों को एक ह्रदय रोग एवं महिला डॉक्टर स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर न मिल सका, वही वर्तमान में जिले के विभागों की स्थिति कार्यालय में बैठे अधिकारी व कर्मचारी पद की गरिमा को भूल मनमर्जी से कार्यवह्न कर रहे है ‘जिससे जनता के कार्यों में सुनवाई नही होती वही सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत पर विभागीय अधिकारियों द्वारा कॉल कर धमकाया व शिकायत वापस लेने के लिए दबाव बनाया जाता है’ ,प्रदेश सरकार को जिले की नगर एवं ग्रामीण अधिकारी व कर्मचारियों की व्यवस्था को सही ढंग से सुचारू करने के लिए स्थानांतरण कर भृष्ट नीतियों पर लगाम कसना अतिमहत्वपूर्ण है क्या लोकतंत्र में एक ही पद पर कई वर्षों से रहना और कई तहसीलों के ग्रामीणों में एक ही अधिकारी को अन्य खाली पदों पर पदभार सौपना जनतंत्र के लिए उचित व्यवस्था है -या कहि शासन की लापरवाही तो नही?