तपस्या से ही जिनशासन की प्रभावना होती है – निखिलशीलाजी तपस्या से आत्मा का तेज बढ़ता है – निखिलशीलाजी
मासक्षमण तपस्वी आरती श्रीश्रीमाल का श्रीसंघ ने किया बहुमान
थांदला। जैन धर्म जीव दया व तप प्रधान धर्म कहा जाता है। सकल प्राणियों के प्रति करुणा भाव रख कर अपनी आत्मा को तप के माध्यम से परमात्मा बनाया जा सकता है। इस परंपरा को निर्वहित कर सुश्रावक सुजानमल श्रीश्रीमाल की पौता बहु श्रीमती आरती लवी श्रीश्रीमाल ने दीर्घ मासक्षमण (30उपवास) की उग्र तप आराधना की वही श्रीमती निधि दीपक चौधरी ने 9 उपवास की कठिन तपस्या पूर्ण की। इस अवसर पर तपस्वी गुणानुवाद सभा को सम्बोधित करते हुए विदुषी महासती पूज्या श्रीनिखिलशीलाजी म.सा. ने तपस्या का महत्व बताते हुए कहा कि जिस प्रकार दूध तपाने से मावा बनता है व घी को तपाने से उसकी दुर्गन्ध समाप्त हो जाती है ठीक उसी प्रकार तपस्या करने से आत्मा से मानसिक व शारीरिक विकार दूर हो जाते है जिससे आत्मा का तेज बढ़ जाता है। पूज्या श्री ने कहा कि चार गति में एक मानव भव ही है जहाँ स्वेच्छा से आहार का त्याग किया जा सकता है व तपस्वी दृढ़ मनोबल से ही तपस्या करते है उन्होंने कहा पुण्य तपस्वी के मस्तक का तिलक करता है व रिद्धि सिद्धि उनके हाथों व पैरों में निवास करती है। इस अवसर पर पूज्या श्रीदीप्ति जी म.सा. ने कहा कि 21 लक्षणों वाली आत्मा ही धर्म का सच्चा स्वरूप समझकर उसे ग्रहण कर सकती है और उसके अनुरूप उसे आचरण में ला सकती है। जानकारी देते हुए संघ प्रवक्ता पवन नाहर ने बताया कि तपस्वी बहुमान परम्परा का निर्वहन करते हुए श्रीसंघ थांदला कि ओर से शाब्दिक बहुमान श्रीसंघ अध्यक्ष जितेंद्र घोड़ावत ने किया वही सभी संघ पूर्वाध्यक्षों, ललित जैन नवयुवक मंडल, धर्मलता महिला मंडल ने संघ की भेंट व अभिनन्दन पत्र तपस्वी को प्रदान किया। संघ की ओर से दोनों ही तपस्वियों की तप से बोली लगाकर बहुमान का लाभ मुकेश चौधरी ने 11 उपवास, किरणबाला छाजेड़ ने 5 अपवास व अन्य तपस्वियों ने विविध तप की बोली लगाकर किया गया। इस अवसर पर अणु आराधना मण्डल, श्रीमती अनुपमा श्रीश्रीमाल एवं श्रीमती शुचि भण्डारी ने भी भावाभिव्यक्ति द्वारा तपस्वी का बहुमान किया। तेरापंथ सभा, अखिल भारतीय चन्दना श्राविका संगठन, गादिया परिवार, घोड़ावत परिवार, भंसाली परिवार व चौधरी परिवार तथा मोहनलाल पीपाड़ा परिवार रतलाम वालों ने भी तपस्वियों का बहुमान किया। प्रवचन प्रभावना सुजानमल स्व. संजय श्रीश्रीमाल परिवार, रमेशचन्द्र सागरमल चौधरी परिवार एवं कमल कटारिया (दानपुर) परिवार कि ओर से वितरित की गई। उल्लेखनीय है कि विगत 25 दिनों से 40 तपस्वी सिद्धिभक्ति तप की आराधना भी कर रहे है जिनकी प्रभावना स्व. शांता सुरेंद्र कुमारजी तलेरा (नाकु सेठ) परिवार द्वारा प्रदान की गई। धर्म सभा के अंत मे श्रमण संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष दिवाकर सम्प्रदाय के महान संत उपाध्याय श्री मुलमुनिजी म.सा. ने विगत अपने जन्मदिवस पर संथारा ग्रहण किया था जो आज प्रातः सिझ गया अतः उनके स्वर्गारोहण चले जाने पर उनके जल्द मोक्ष कामना के लिए सकल संघ ने 4 लोगस्स का काउसग्ग (ध्यान) किया। धर्मसभा का संचालन संघ सचिव प्रदीप गादिया ने किया।