निप्र जावरा मध्यप्रदेश के रतलाम जिले के जावरा जनपद क्षेत्र के ज़िला पंचायत अध्यक्ष की पंचायत भूतेड़ा में दलित युवक को मानसिक और शारीरिक प्रताड़ित करने का मामला सामने आया जिस संबंध में शिकायत कर्ता युवक जितेंद्र बागरी द्वारा बताया गया की वह काम पर से आकर शौच के लिए जा रहा था जहा रास्ते में गौशाला पर युवक पर श्वान के भौंकने पर डर से बचाव के लिए उस पर पत्थर फेंकना उसके लिए अपराध हो गया जहा गांव के ही दो दबंगों द्वारा उस पर जातिसूचक अशब्दो का प्रयोग कर गाली देकर मानसिक प्रताड़ित कर राजू पांचाल द्वारा जूते से मारा गया वही दिलीप सिंह द्वारा लाठियों से मारा गया जिस पर युवक के थाने पर जाने पर मामला ओद्योगिक थाने पर प्रताड़ित दलित युवक का बीना मेडिकल कराए ही कागज़ी कार्यवाही पर घर भेज दिया गया जहां युवक को मानसिक शारीरिक प्रताड़ित देख समाज के युवाओं ने पुनः मामले को संज्ञान में लेकर दोषियों के खिलाफ़ कार्यवाही करवाने के लिए ओद्योगिक थाने पर एफ.आई.आर दर्ज कराने पर पुलिस द्वारा युवक के इंसाफ के लिए फरियाद लेकर आए युवाओं को भीड़ न कर थाने से दूर जाने का कहा गया युवाओं ने बताया की दलित युवक की फरियाद लेकर आए और उसके माता पिता नही है पुलिस प्रशासन अगर पहले ही मामले को गहनता से संज्ञान लेता तो हमे भीड़ कर थाने पर नहीं आना पड़ता लेकिन मध्यप्रदेश में दलित शब्द श्राप हो गया है ओद्योगिक थाने की पुलिस भी मामले को दबाने का प्रयास करती दिखी, प्रताड़ित युवक के दोषियों पर एक्शन लेने की जगह सुनवाई में देरी करती रही, थाने पर मौके पर आए हुए सी.एस.पी दुर्गेश आर्मो को मामला बताने पर उन्होंने मामले को संज्ञान में लेने की बात कहीं मीडिया सूत्रों की माने तो कहीं मामलों में पुलिस राजनैतिक रूप से मामलों को दबाने का प्रयास करती हैं और कई मामलों में सुनवाई में देरी कर कानून हाथ में लेकर दबंगो का हौसला अफजाई करती हैं और जब कोई आपराधिक मामला तूल पकड़ता है तो उस मामले को प्रशासनिक स्तर पर आधिकारिक रूप से विभागीय अफसर को लाइन अटैच कर कार्यवाही बन्द करने का प्रयास करती हैं जो की विचारणीय प्रश्न है।