
:: बाणेश्वरी कावड़ यात्रा में शामिल होंगी तीन प्रमुख झांकियां : डिजीटल रथ भी साथ चलेगा ::
:: अब तक 3 हजार से अधिक पंजीयन ::
इन्दौर । मांलवाचंल की सबसे बड़ी बाणेश्वरी कावड़ यात्रा में इस बार तीन झांकियों सहित एक डिजीटल रथ भी आकर्षण का मुख्य केन्द्र रहेगा। यात्रा 9 जुलाई को दोपहर 12 बजे मरीमाता चौराहा स्थित सिद्ध विजय गणेश मंदिर पर अभिषेक, पूजन के बाद बसों से महेश्वर के लिए प्रस्थित होगी। अब तक करीब 3 हजार श्रद्धालुओं ने अपने पंजीयन करा लिए हैं। इनमें 5 दिव्यांग भी शामिल हैं। महेश्वर में 10 जुलाई को सुबह देवी अहिल्या की प्रतिमा पर माल्यार्पण, मां नर्मदा का 101 लीटर दूध से अभिषेक एवं 1200 मीटर लंबी चुनरी समर्पण के बाद कावड़ यात्रा महाकालेश्वर उज्जैन के लिए प्रस्थित होगी।
यात्रा संयोजक गोलू शुक्ला एवं यात्रा प्रभारी दीपेन्द्रसिंह सौलंकी ने बताया कि बाणेश्वरी कावड़ यात्रा में इस बार भगवान भोलेनाथ की साक्षी में मूषकराज गणेशजी के समक्ष नृत्य करते हुए, महाकालेश्वर को तीर्थ भ्रमण कराते हुए गणेशजी एवं राज्य के यशस्वी मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान द्वारा लाड़ली बहना और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजनाओं के माध्यम से आए बदलाव की झांकियां भी शामिल रहेंगी। प्रख्यात भजन गायक श्रीधर झरकर एवं गन्नू महाराज इस यात्रा में अपने भजनों से भक्तिभाव का माहौल बनाए रखेंगे। इसके अलावा यात्रा जहां-जहां रात्रि विश्राम के लिए रूकेगी, वहां-वहां प्रतिदिन सुबह पंद्रह मिनट के लिए योग, ध्यान शिविर एवं पौधरोपण तथा रात्रि में सुंदरकांड के पाठ एवं भजन संकीर्तन के आयोजन होंगे। जो डिजीटल रथ बनवाया जा रहा है, उसमें राज्य सरकार की ओर से बुजुर्गों के लिए तीर्थदर्शन एवं हवाई जहाज से धर्मस्थलों की यात्रा के साथ ही धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक बदलाव के लिए राज्य शासन की कल्याणकारी योजनाओं का विवरण भी रहेगा। महाकाल लोग एवं ओंकारेश्वर की तस्वीर बदलने की दिशा में हो रहे प्रयासों की जानकारी भी दी जाएगी।
उन्होंने बताया कि यात्रा के लिए पंजीयन का सिलसिला अभी भी जारी है। इच्छुक श्रद्धालु मरीमाता चौराहा स्थित कार्यालय पर अपना पंजीयन 8 जुलाई तक करा सकते हैं। रविवार को यात्रा को बिदाई देने के लिए मरीमाता चौराहे पर शहर के सभी प्रमुख जन प्रतिनिधि आएंगे और सिद्ध विजय गणेश का अभिषेक-पूजन कर यात्रा को बिदाई देंगे। महेश्वर से महाकालेश्वर तक की लगभग 190 किलोमीटर की यह यात्रा करीब 8 दिनों में पूरी होगी। उज्जैन में सोवमार, 17 जुलाई को भगवान महाकालेश्वर से प्रदेश में सुख, शांति और समृद्धि की प्रार्थना के साथ जलाभिषेक के बाद यात्रा का समापन होगा। यात्रा के लिए झांकियों का निर्माण कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है।