नीमच। रामेश्वर नागदा/ माधव एक्सप्रेस । कोरोना माहमारी संक्रमण के चलते कई युवा अकाल मौत का ग्रास बने है, ऐसे में नीमच के युवा सॉफ्टवेयर इंजीनियर अंकित सोप ने उदयपुर निजी अस्पताल में कोरोना क्रिटकल स्थिति में दवा और दुआ के साथ अपनी इच्छाशक्ति से 62 दिन अस्पताल में भर्ती होने के बाद कोरोना को मात देकर घर वापसी की है। जिसे घर पाकर परिजनों की आंखों में आंसू भर आए, उनके लिए तो अंकित का नया जीवन है। उसके घर पहुंचते परिजनों ने उसको नया जीवन मिलने पर मित्र और परिजनों ने केक काटकर स्वागत किया।
माधव एक्सप्रेस टीम ने अंकित के घर पहुंचकर उससे बात की और यथास्थिति को जाना है, 
नीमच मूलचंद मार्ग निवासी 24 वर्षीय अंकित कुमार सोंप ने बताया कि 15 अप्रैल से बुखार और घबराहट व बॉडी में दर्द हो रहा था नीमच में निजी हॉस्पिटल में ट्रीटमेंट लेने के बाद भी कुछ फर्क नही पड रहा था। डॉक्टर ने आरटीपीसीआर टेस्ट कराने की सलाह दी व उस वक्त कोरोना के मामले बहुत ज्यादा आ रहे है तो मैने व मेरे बड़े भाई विपुल कुमार सोंप ने 17 अप्रैल के दिन अपना आरटीपीसीआर टेस्ट कराया। जिसकी रिपोर्ट 19 अप्रैल को हम दोनों की पॉजिटिव प्राप्त हुई। अंकित ने बताया कि उसकी हालत ठीक नही होने व घबराहट भी हो रही थी। जिससे दोनों भाई अपनी बहन के यहां उदयपुर चले गए वहाँ होम कोरेंटीन होकर निजी हॉस्पिटल में ट्रीटमेंट कराया। बड़े भाई को आराम पड़ गया पर मुझे कुछ फर्क नही पड़ रहा था और अंकित की स्थिति खराब होती जा रही थी, उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी व घबराहट भी ज्यादा हो रही थी तो मुझे मेरे भाई 24 अप्रैल 2021 के दिन सिद्धि विनायक हॉस्पिटल लेके गए जहाँ डॉक्टर ने मेरा ऑक्सिजन लेवल चेक किया जो 70 के करीब आया व सिटी सकेन में 20 स्कोर आया (जो मुझे आज पता पडा। डॉक्टर व बड़े भाई ने मुझे नही बताया ओर बोला कि बहुत कम दिक्कत है 2-3 दिन ऑक्सिज पर रखेंगे तू ठीक हो जायेगा, तो मुझे डॉ गजेंद्र जोशी ने आईसीयू में एडमिट कर लिया जहाँ मुझे ऑक्सिजन पर रखा पर सुधार नही हो रहा था। अंकित ने बताया कि 15 लीटर से भी ऊपर ऑक्सीजन दी जाने लगी व घबराहट ज्यादा होने पर बाईपेप भी लगाया जाता था। परंतु उसे अपने आप में कोई सुधार नही दिख रहा था। 30 अप्रैल के दिन मेरी वापस से सिटी स्केन कराई मुझे उस वक्त भी लगा कि मेरे लंग्स में इन्फेक्सन ज्यादा हो गया है, परंतु मेरे बड़े भाई विपुल ओर मेरी बहन गुडिय़ा ने बताया कि तेरा इन्फेक्सन पहले से कम हो गया है। बस 5 ही स्कोर है उनहोनर मेरा हौसला न टूटे इसी लिए मुझसे झूठ बोल मुझे अभी पता पड़ा के मेरा उस दिन सिटी स्कोर 22 हो गया था। मेने कभी नही सोचा था कि इतनी कम उम्र में कोरोना मुझे इतना ज्यादा जकड़ लेगा पर मेरे बड़े भाई विपुल बहन गुडिय़ा व मेरे जीजा जी महेंद्र राजोरा व सन्नी जी मरोलिया ने मुझे बहुत मोटिवेट किया ।
परिवार के हौंसले ने दी कोरोना से लडऩे की ताकत अंकित ने बताया कि आईसीयू में मिलने का टाइम फिक्स होता था जितनी देर मुझसे मिलने ये आते थे, मुझे बहुत मोटिवेट करते थे पॉजिटिव न्यूज पड़ाते थे और मेरा हौसला बड़ाया करते थे। ओर बोलते थे के तू तो जो ठान लेता है वो करता ही है तूने ठान लिया था कि मुझे एमसीए इंडिया के नंबर वन कॉलेज एनआईटी त्रिचुरापल्ली (तमिलनाडु) से ही करना है तो तूने उस कॉलेज में एडमिशन लेने के लिए कितनी मेहनत की ओर पूरे भारत में निमसेट एग्जाम में केटेगरी के हिसाब से 5 वे नंबर पे आया व तुझे उस कॉलेज में आसानी से एडमिसन मिल गया। ये कोरोना तेरे आगे क्या चीज है, इस प्रकार की बातों से मेरा हौसला बढ़ाया करते थे। इससे मुझे बहुत हिम्मत मिलती थी व मेने भी मन मे ठान लिया था कि इस कोरोना को बहुत जल्द हराऊंगा व पूरी तरह ठीक होके घर जाऊँगा। पर मेरे हिम्मत के आगे मेरे शरीर मेरा साथ नही दे रहा था व 7 मई को सुबह के समय अचानक मेरी स्थिति बहुत खराब हो गई, उसके बाद मुझे कुछ नही पता के मेरे साथ क्या हुआ क्या नही। जब होश आया तब देखा कि मेरे गले मे, नाक में ट्यूब डाली हुई है ये सब देख थोड़ी घबराहट तो हुई उतने में मुस्कुराते हुए मुझे मेरे भाई और बहन का चेहरा दिखा दोनी मेरे पास आये और बोले ओर हमारे टाईगर केसा है कितना सो लिया अब जागा है। चल जल्दी से ठीक होजा मम्मी-पापा, दादा-दादी, मौसी, चाचा-चाची तेरे सभी दोस्त व परिवार वाले सब याद कर रहे है। उस वक्त ऐसा महसूस हुआ मानो की मेरा नया जन्म हुआ हो फिर क्या था मन में ओर हिम्मत आई और मेरी मम्मी भी हॉस्पिटल आ चुकी थी। उन्होंने भी मुझे बहुत प्यार से छोटे बच्चे की तरह समझाया कि तू पूरी तरह ठीक है बेटा कुछ टेंशन नि लेनी बहुत जल्द अपन घर चलेंगे। मेरे पापा, चाचा मेरे मित्र व सभी मुझसे मिलने आते व फोन पर मोटिवेट करते रहते थे सभी का बहुत बहुत धन्यवाद और आज में पहले से बहुत स्वस्थ हु। में डॉ गजेंद्र जोशी सर व हॉस्पिटल के सभी डॉक्टरो, नर्सिग व वार्ड स्टाफ व हॉस्पिटल के
सभी कर्मचारियों को दिल से धन्यवाद देना चाहुगा सभी ने मेरा बहुत ख्याल रखा और मेरे कुल देवी देवता, परिवार जन मित्रगण व प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग करने वालों का जीवन भर आभारी रहूंगा।
युवा को बचाना मेरे लिए थी चुनौती
जब मेरे पास अंकित आया था तो फूल ऑक्सिजन के ऊपर 80-85 मेंटेन कर रहा था, हमने उसे 4-5 दिन मेंटेन किया बाईपेप पर कंडीसन डाउन होने पर हमने उसे सांस की मशीन पर लिया अंकित करीब 23-24 दिन वेंटिलेटर पर रहा हमने गले मे छेद कर के ट्यूब डाली उसके बाद धीरे-धीरे रिकवरी हुई बहुत ही स्लो रिकवरी हुई पर ऑलमोस्ट ये मानलो की राजस्थान का दूसरा या तीसरा पेसेंट है, जो वेंटीलेटर से बाहर निकला ओर अंकित 62 दिन बाद स्वस्थ होके हॉस्पिटल से घर जा रहा है, जिसका की बिना ऑक्सिजन के उपर 88 सचुरेसन आ रहा है।
ये हमारे लिए बहुत बड़ा अचिवमेंट है कि हम एक यग बच्चे को उस कंडीसन से निकल के घर भेज पा रहे है। पर अंकित को अभी हमने घर पर भी ऑक्सिजसन सपोर्ट के रहने की सलाह दी है। और मेरी देख रेख में आगे का ट्रीटमेंट भी चल रहा है। पूरी तरह स्वस्थ होने में अभी थोड़ा वक्त लगेगा।
- डॉ. गजेंद्र जोशी, मुख्य चिकित्सक सिद्धी विनायक हॉस्पिटल उदयपुर
