देवों के देव महादेव की आराधना के पर्व महाशिवरात्रि को लेकर उज्जैन के महाकाल मंदिर मे तैयारियां जोर शोर से शुरू महाकाल मंदिर के गर्भगृह की चांदी की दीवारें और छत पर लगे रुद्र यंत्र की पॉलिश और सफाई करवाई जा रही है. सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक पॉलिश का काम चलेगा. इस बीच किसी भी श्रृद्धालु को गर्भगृह में प्रवेश नहीं दिया जाएगा. मंदिर के सहायक प्रशासक मुलचंद जूनवाल ने बताया की दिल्ली के सुशील शर्मा की टीम गर्भगृह की रजत मंडित दीवार की सफाई कर रही है.
इस दौरान दीवार की चांदी के साथ, ज्योतिर्लिंग महाकाल की चांदी से निर्मित जलाधारी, बाहर नंदीजी की चांदी निर्मित मूर्ति आदि को भी चमकाया जाएगा. जिसके बाद मंदिर मे कोटितीर्थ कुंड की सीढ़ियो से काई हटाने का काम शुरू हो गया है. जल्द ही कुंड को खाली कर अंदर की सफाई की जाएगी. मंदिर के शिखर की साफ सफाई और धुलाई भी कराई जाएगी. गौरतलब है कि महाकाल मंदिर में आगामी 18 फरवरी तक महाशिवरात्रि का पर्व चलेगा. इस दौरान केवल मंदिर के प्रशासक और पंडित ही गर्भगृह में प्रवेश कर सकेंगे. महाकाल मंदिर मे 10 से 18 फरवरी तक महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा. इस दौरान बाबा महाकाल दूल्हा बनेंगे और नौ दिन नवश्रृंगार से भक्तों का मनमोहेंगे.
गर्भगृह में प्रवेश रहेगा वर्जित
सहायक प्रशासनिक अधिकारी आर के तिवारी ने बताया कि महाशिवरात्रि महापर्व के चलते साफ सफाई करवाई जा रही है. महाकाल मंदिर के गर्भगृह की चांदी की दीवारें और छत पर लगे रुद्र यंत्र की पॉलिश और सफाई करवाई जा रही है. सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक पॉलिश का काम चलेगा. इस बीच किसी भी श्रृद्धालु को गर्भगृह में जाने नहीं दिया जाएगा.
नौ दिनो तक दूल्हे के रूप मे दर्शन देंगे बाबा महाकाल
विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भगवान महाकालेश्वर के मंदिर में प्रत्येक वर्ष फाल्गुन कृष्ण पंचमी तक शिवनवरात्रि पर्व मनाया जाता है. इसकी शुरूआत 10 फरवरी से होगी और 18 फरवरी को महाशिवरात्रि पर इसका समापन होगा. इस दौरान बाबा महाकाल दूल्हा बनेंगे और नौ दिन नवश्रृंगार से भक्तों का मनमोहेंगे. महाकाल मंदिर के पुजारी महेश पुजारी ने बताया कि ज्योतिर्लिंग भगवान महाकाल की पूजन परंपरा के अनुसार 10 फरवरी को शिवनवरात्रि के पहले दिन शिवपंचमी का पूजन होगा. सर्वप्रथम कोटितीर्थ कुंड के समीप स्थित श्री कोटेश्वर महादेव की पूजा-अर्चना कर हल्दी चढ़ाई जाएगी.
गर्भगृह में भगवान महाकाल की पूजा होगी. तत्पश्चात पुजारी भगवान महाकाल का पंचामृत अभिषेक कर पूजा-अर्चना करेंगे. इसके बाद 11 ब्राह्मणों द्वारा रुद्रपाठ किया जाएगा. दोपहर 1 बजे भोग आरती होगी. दोपहर 3 बजे संध्या पूजा के बाद भगवान का विशेष श्रृंगार किया जाएगा. नौ दिन तक पूजन का यही क्रम रहेगा.