
नईदिल्ली(उषा माहना/माधव एक्सप्रेस)
भारत देश प्राचीन काल से ही तीज- त्यौहारों व धार्मिक आस्था वाला देश रहा है लेकिन आधुनिकता के इस दौर व बदलते परिवेश में पाश्चात्य सभ्यता ने भी देश की धार्मिकता को किसी न किसी रुप में प्रभावित अवश्य किया है। हालांकि धार्मिक संस्थाएं समय-समय पर देशवासियों को आगाह भी करती रही हैं कि पाश्चात्य सभ्यता के चक्कर में अपनी सभ्यता व संस्कृति को न भूलें। प्रतिवर्ष 14 फरवरी को पाश्चात्य सभ्यता में रचा-बसा वेलेंटाइन डे पिछले कई वर्षों से मनाया जाता आ रहा है। भारत देश में भी वेलेंटाइन डे ने अपने पैर पसार लिए हैं। हालांकि धार्मिक संस्थाएं इसका किसी न किसी रुप में विरोध करती रही हैं। सामाजिक संस्था जन जागरण मंच के अध्यक्ष हरि शंकर कुमार का कहना है कि देश की युवा पीढ़ी के रक्षार्थ 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन दिवस के रुप में सभी विद्यालयों व सार्वजनिक स्थानों पर मनाने की मांग संस्था ने प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी से उनके कार्यालय की ईमेल पर ज्ञापन भेजकर की है। ज्ञापन में कहा गया है कि संत आसाराम बापू ने वेलेंटाइन डे जैसी कुप्रथा से देशवासियों को बचाने के लिए 14 फरवरी को मातृ- पितृ पूजन दिवस की शुरुआत की थी। जिसका बेहद सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिला। अन्य समुदाय के लोगों ने भी इसका समर्थन किया था। सभी धर्मों में माता-पिता व गुरुजनों को श्रेष्ठ स्थान प्राप्त है। हरि शंकर का कहना है कि पाश्चात्य सभ्यता के दुष्प्रभाव का शिकार देश के बच्चे भी होते जा रहे हैं। माता-पिता के प्रति आदर व गौरव कम होता दिखाई दे रहा है। बच्चों में भी निराशा,भय, चिंता,तनाव,असंतोष जैसे देखने को मिल रहे हैं। युवा पीढ़ी को पाश्चात्य सभ्यता से बचाने के लिए 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन दिवस के रुप में मनाए जाने की जरुरत है। प्रधानमंत्री मोदी जी से संस्था ने मांग की है कि प्रतिवर्ष 14 फरवरी को सभी स्कूलों में मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाया जाए, ताकि छात्र- छात्राओं में अच्छे संस्कारों का समावेश हो सके।