निप्र,जावरा मध्य प्रदेश के रतलाम जिले के जावरा नगर पालिका अंतर्गत कुल 30 वार्डो से लगी कॉलोनी से चुनाव के समय मुलभुत सुविधाओं की कमी को पुर्ण करने के लिए अवेध कॉलोनी को वेध कराने का नेताओं द्वारा वादा किया जाता हैं लेकिन पुरा नही होता,इसी को ध्यान में रखते हुए पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष द्वारा कई अविकसित कॉलोनी को कार्यकाल के दौरान वेध की प्राथमिकता दी गई, जबकी कॉलोनी में कोई विकास नही हुआ, एक ओर कॉलोनी में सस्ते प्लॉट लेने के चक्कर में लोग कॉलोनी में मूलभूत सुविधाओं को भी नही देखते है और इसी वजह जनता फिर समस्याओं का सामना करती दिखाई देती है। कई कॉलोनाइजर जैसे काट्जू ओर पत्रकार कॉलोनी जैसी कॉलोनी के भु- स्वामी, राजनीतिक नेताओं से जुड़े होने के कारण राजस्व मामले को आपस में ही समझ लेते हे शायद इसी लिए कार्यवाही सीमित दायरे तक ही दिखाई पड़ती हैं वैसे शहर में तकरीबन 37 वैध,38 अविकसित, 99 अवैध और नव निर्माण 9 कॉलोनीयां मिलाकर कुल 183 कॉलोनी है। जिसके संबंध में कई सालो से कॉलोनियों में रह रहे रहवासी मूल भुत सुविधाओं के लिए आवाज उठा रहे है। कई वैध कॉलोनियों में नाली के पानी की निकासी ही नही है, तो कही नालियां टुटी फुटी है और गंदा पानी खाली प्लॉट पर जमा हो रहा है। वही समस्या उठाने के दौरान यह सब समस्या वैध कॉलोनी में शामिल पूनम विहार, तिलक विहार, रत्नराज कॉलोनी,श्रीराम कॉलोनी, तिलक नगर, आशीर्वाद परिसर कॉलोनी जैसी कॉलोनियो में भी है जिनमें मूल भूत सुविधाओं की कमी है। सवाल उठता है कि कई कॉलोनियों में नाली नही बनी, सीवरेज की सबसे ज्यादा समस्या लेकिन वह वैध और हेंडओवर है। पूनम विहार कॉलोनी के लोगों को तो पीने के पानी की समस्या से जूझना पड़ रहा है। तिलक विहार कॉलोनी में नलियां तो बनी लेकिन नाली के पानी की निकासी ही नही। सारा पानी प्लॉट पर जमा होता है। वहीं रत्नराज कॉलोनी में भी यही हाल है।यहां भी नालियां फुटी है, प्लॉट पर पानी बह रहा है। वही पटेल कॉलोनी में भी नाली की निकासी की समस्या हें, इन्हीं में से ज्यादातर कॉलोनियां 2015 से 2018 में वैध हुई। इस दौरान अनिल दसेड़ा ही नपा अध्यक्ष थे। जिसे संज्ञान में लेते हुए “सुविधाओं के नाम पर ढेर समस्या होने पर भी कॉलोनी वैध कैसे हुई”। मामले को संज्ञान में लेते हुए, पूर्व नपा.अध्यक्ष खुद ही कॉलोनी काटकर फंसे हुए है। इनकी सागर मोती, शिवमहिमा सिटी कॉलोनी को जांच के घेरे में लिया गया है वर्तमान में दो ओर अन्य कॉलोनियां खारीवाल एक्सटेंशन और महावीर कॉलोनी के कॉलोनाईजर पर कार्रवाही की जानी है लेकिन अन्य वार्डो के कई कॉलोनी मे सुविधा नही है, अन्य कॉलोनाईजर को क्यो संज्ञान मे लिया जा रहा जावरा क्षेत्र की तीन कॉलोनियों की जांच के बाद एक ओर चौथी कॉलोनी के बाद सागर मोती कॉलोनी में भी जांच के दौरान फॉल्ट निकलकर सामने आया जिसमें कॉलोनी के बीच से शासकीय जमीन पाई गई । जो कि 0.055 हेक्टेयर थी। याने कि 6 हजार स्क्वेर फिट जमीन शासन की निकली।जबकि यह कॉलोनी बकायदा 2016 में नपा हेंडओवर, टीएनसीपी, तत्कालिन कलेक्टर और राजस्व से अप्रुव हो चुकी थी। बता दें कि उस संमय दसेड़ा ही नपा अध्यक्ष थे। जन सुविधाओं के लिए विधायक राजेंद्र पांडेय ने कॉमन पत्र लिखा था कि रहवासियों को सुविधा मिले और सभी कॉलोनी वैध होने के साथ उनमें विकास कार्य हो। लेकिन इधर तो ऐसी कई कॉलोनियां सामने आ रही है जो वैध होने के बाद भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रही है। एक ओर नगर पालिका द्वारा अविकसित और अवेध कॉलोनी के नामांतरण पर रोक लगा दी है,तो वही मामले में एसडीएम ने तहसील कार्यालय से रजिस्ट्री के अविकसित कॉलोनी होने पर अविवादित नामांतरण करवाने की बात कही है वही कहा कि नगर पालिका द्वारा नामांतरण मान्य नहीं किया जाएगा, तो कार्यवाही में देरी क्यों आखिर क्या कारण हैं जहाँ राजस्व प्रशासन कॉलोनाईजर पर कार्यवाही में देरी कर मामले को आड़े हाथ लेकर जनता के बीच से ध्यान हटा रहे है?
आम जनता की राय- क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि और राजनीतिक दबाव के कारण समस्याओं का निराकरण नहीं हो रहा और प्रशासन सिर्फ कार्यवाही का आश्वासन देता है ।