विक्रम विश्वविद्यालय के हालात कैसे है यह अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि उच्च शिक्षामंत्री के समर्थक और विवि कार्यपरिषद के एक सदस्य को यह कहना पड़ गया कि आप लोग अपना न सही, मगर शहर की गरिमा, संस्थान की प्रतिष्ठा और प्रोटोकॉल का तो ध्यान रखें।
अभी तक तो आरोप ही लग रहे थे कि विक्रम विश्वविद्यालय के ‘कुल’ में ‘कलह’ और ‘गुटबाजी’ चल रही है, लेकिन यह सामने भी आ गया। विवि में युवा उत्सव का समापन गुटबाजी का ‘शिकार’ हो गया। संस्थान के प्रतिष्ठापूर्ण और गरिमामय कार्यक्रम से विवि के प्रथम श्रेणी के अधिकारी-शिक्षक से चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी तक ने दूरी बनाए रखी और वह भी तब,जबकि अतिथि और कोई नहीं इस विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र और प्रदेश सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री थे। नौबत यह आ गई कि कार्य परिषद सदस्य को ‘प्रोटोकॉल’ याद दिलाना पड़ा…!
। विश्वविद्यालय में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। बाहरी तौर पर सब अच्छा नजर आता है, लेकिन आंतरिक तौर पर अशांति बनी हुई है। विवि में कलह तो चल ही रहा था, पर यूजीसी से बी डबल प्लस की ग्रेड मिलने के बाद यह बढ़ गया और विवि के संभाग स्तरीय युवा उत्सव के समापन कार्यक्रम में अंर्तकलह सतह पर आ गया है।
दरअसल समापन कार्यक्रम में बहुत ही दयनीय स्थिति उजागर हो गई। समापन समारोह में यदि प्रतिभागी, विजेता विद्यार्थी और दल प्रबंधक नहीं होते तो विवि का पूरा हॉल खाली रह जाता। विक्रम विवि का अपना बड़ा स्टॉफ है, लेकिन समापन में विवि की ओर से कुलपति-कुलसचिव, अधिकारी सहित कुल जमा 11 लोग ही थे और यह भी शायद इसलिए उपस्थित थे क्योंकि इन पर आयोजन के दायित्व था। दरअसल यह स्थिति विवि के स्टॉफ की कार्यक्रम से दूरी के कारण बनी।
विक्रम विवि के ‘कुल’ में कुलपति-कुलसचिव के अलावा 11 अधिकारी, 40 प्रोफेसर-रीडर्स-लेक्चरार, 90 अतिथि शिक्षक और 450 से अधिक तृतीय, चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी है। अंगुली पर गिने जाने वाले जिम्मेदारों के अतिरिक्त सभी ने अपनी संस्था के कार्यक्रम में शामिल होना मुनासिब नहीं समझा
जिस हॉल में समापन कार्यक्रम हुआ उसमें 650 चेयर है। इनमें से बमुश्किल 200-225 ही भरी हुई थी। वह भी युवा उत्सव के प्रतिभागियों और प्रतिभागी, विजेता छात्र-छात्रओं और दल प्रबंधक की वजह से..।बहरहाल यह सब विवि केआंतरिक ‘कलह’ की वजह से हुआ। सभी अपने हित, स्वार्थ के चलते खींचतान और एक दूसरे को नीचा दिखाने की तिकड़ी में जुटे है और इसका खामियाजा विक्रम विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को भुगतना पड़ रहा है।