भूमि सर्वे क्रमांक 1281 पर लोगों का अवैध कब्जा कोर्ट ने सागर की जमीन को सरकारी घोषित किया था
4 जेसीबी, 4 डम्पर, 5 ट्रेक्टर व एक हैमर मशीन के साथ पहुंची निगम की टीम
गोवर्धन सागर के आसपास से अतिक्रमण हटाने की मुहिम के लिये नगर निगम इंजीनियरों व कर्मचारियों की टीम झोन क्रमांक 2 पर एकत्रित हुई। यहां से 4 जेसीबी, 4 डम्पर, 5 ट्रैक्टर और एक हैमर मशीन के साथ निगम की टीम सुबह 9 बजे गोवर्धन सागर पहुंची।
उज्जैन। पौराणिक गोवर्धन सागर की जमीन पर हुए अवैध निर्माण को हटाने को लेकर जिला प्रशासन के निर्देश में नगर निगम ने भारी पुलिस बल की मौजूदगी में बड़ी कार्रवाई की है। निगम ने सागर की सर्वे क्रमांक 1281 पर हुए निर्माण को अवैध मानते हुए इन्हें हटाने का अभियान प्रारंभ किया है। राजस्व विभाग के अनुसार गोवर्धन सागर की जमीन पर बने करीब 92 अवैध निर्माण को हटाया जाएगा।
दअरसल पिछले दिनों न्यायालय ने सर्वे क्रमांक 1281 को सरकारी भूमि माना था, इसके बाद निगम ने इस सर्वे क्रमांक पर हुए निर्माण करने वालों को नोटिस जारी किए थे। गोवर्धन सागर की जमीन पर बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हुआ। सागर की जमीन पर कॉलोनी, मार्केट, शादी घर से लेकर नर्सरी व सागर किनारे गुमटियां तक लग गई थी। निगम द्वारा बुधवार को शुरु की गई कार्रवाई के से क्षेत्र के लोगों में हडक़ंप मचा हुआ है। बता दें कि गोवर्धन सागर करीब 36 बीघा में फैला हुआ था।
शहर के पांच थानों का पुलिस फोर्स लगाया….प्रशासन और नगरनिगम की टीम द्वारा संयुक्त रूप से की जा रही अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही के दौरान सुरक्षा व्यवस्था और यातायात संभालने के लिये पांच थानों का पुलिस फोर्स तैनात किया गया। यहां चिमनगंज थाना प्रभारी जितेन्द्र भास्कर, महिला थाना प्रभारी रेखा वर्मा के अलावा अन्य पुलिस अफसर फोर्स के साथ तैनात रहे।
कब्जों के कारण सिमट गया था गोवर्धनसागर का दायरा
वर्तमान में 24 बीघा तक ही सीमट कर रह गया है। पटवारी धीरज निगम के अनुसार शासकीय रिकॉर्ड में गोवर्धन सागर की शासकीय भूमि पर अतिक्रमणकारियों ने कब्जा कर मकान, दुकानें बनाई गई हैं। अतिक्रमण में कुल 92 मकान और 28 दुकानें आ रही हैं। बुधवारिया स्थित हनुमान मंदिर के पास नर्सरी से लेकर इसी मार्ग के शीतला माता मंदिर के सामने मिट्टी के बर्तनों की दुकान तक कुल 28 दुकानों का अतिक्रमण हटाया जाना है। इसके बाद नगरकोट माता मंदिर के पास स्थित गणेश टेकरी के 9 मकानों को भी जमींदोज कर शासकीय भूमि को अवैध कब्जे से मुक्त कराया जायेगा।
कब से कितनी दुकानें संचालित हो रही थीं
गोवर्धन सागर के बुधवारिया रोड की तरफ प्रभु दायमा द्वारा कटिंग की दो दुकानें, दिलीप का गैरेज, रईस की रेफ्रीजरेटर की दुकान थी। इसी प्रकार अन्य लोगों की होटल, भोजनालय आदि दुकानों के अलावा नर्सरी भी संचालित हो रही थी। दुकानदारों ने बताया कि पिछले 20 वर्षों से टीनशेड की दुकानें बनाकर व्यवसाय कर रहे थे। पूर्व में नगरनिगम द्वारा पर्ची काटी जाती थी लेकिन कुछ सालों से रसीद कटना भी बंद हो गई। दुकानदारों के अनुसार कल दोपहर में नगर निगम ने एनाउंसमेंट किया था। नोटिस नहीं दिया गया इस कारण रात से ही दुकानों का सामान समेटना शुरू कर दिया था।
1920 के नक्शे के अनुसार सागर की नपती
ग्रीन ट्रिब्यूनल ने गोवर्धन सागर मुक्त करने के आदेश दिए हैं। इसके बाद जिला प्रशासन सक्रिय हुआ और पिछले दिनों पूरे गोवर्धन सागर की 1920 के नक्शे के अनुसार नपती कराई गई। इसमें गोवर्धन सागर की भूमि पर काफी अतिक्रमण निकला था।
1920 के नक्शे के अनुसार गोवर्धन सागर की कुल भूमि 29 बीघा है, जिस पर यह सागर था। समय के साथ-साथ इस पर अतिक्रमण हुए और नपती में जो बात सामने आई है उसमें नगर कोर्ट के पीछे वाली सड़क और अंकपात मार्ग की निकास चौराहे से जाने वाली सड़क भी इसी सागर की जमीन की हद में आ रही है, वहीं चैरिटेबल तक भी इसका अतिक्रमण है।
इसके अलावा पटेल नगर वाली साइड में भी भानुशाली धर्मशाला तक लोगों ने मकान बनाकर अतिक्रमण कर लिया है, वहीं दूसरे छोर पर खेड़ापति हनुमान मंदिर के सिरे वाली पट्टी में विक्रमादित्य क्लॉथ मार्केट की एक पूरी पट्टी और निर्मल सागर टॉकीज के पीछे का भाग सहित कई स्थानों पर भूमि स्वामियों ने अतिक्रमण कर वहां दुकानें और मकान बना दिए हैं। गोवर्धन सागर की जमीन को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में भी सुनवाई चल रही है।
एनजीटी ने भी माना है कि तालाब की सरकारी है। वहीं पिछले दिनों एडीजे कोर्ट ने भी अपने फैसले में सागर की भूमि सर्वे क्रमांक 1281 को तालाब की जमीन को शासकीय मानने के आदेश जारी किए थे। इसी आदेश के बाद कलेक्टर आशीषसिंह ने नगर निगम को सागर की जमीन पर हुए अवैध कब्जे व अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए थे। इस पर नगर निगम की ओर से सागर की जमीन पर हुए निर्माण को लेकर करीब ९२ लोगों को नोटिस दिए गए थे।
समय मांगा तो थाने पहुंचाया
गोवर्धन सागर बुधवारिया मार्ग पर अतिक्रमण कर दुकान संचालित करने वाले अधिकांश लोग बिना किसी विवाद के स्वैच्छा से सामान समेटते रहे। प्रशासन की टीम मिट्टी के बर्तनों की दुकान पर पहुंची तो यहां मौजूद दुकान संचालक विवाद करने लगा। उसका कहना था कि इतने कम समय में सामान लेकर कहां जाएं। विवाद बढऩे पर पुलिस ने उक्त व्यापारी को पकड़कर चिमनगंज थाने पहुंचा दिया।