उज्जैन में अधिक महत्व है शनिचरी अमावस्या का
शनिश्चरी अमावस्या शनिदेव की आराधना का विशेष दिन रहता है। इस दिन शनि की महादशा, साढ़े साती, ढैया आदि में अनुकूलता के लिए शनिदेव की साधना तथा दान का महत्व बताया गया है।
उज्जैन। आज भादौ मास की शनिश्चरी अमावस्या पर त्रिवेणी संगम पर आस्था का सैलाब उमड़ा हुआ है। आधी रात के बाद से स्नान का सिलसिला शुरू हो गया था, श्रद्धालुओं ने स्नान कर नवग्रह शनि मंदिर में दर्शन-पूजन किए। प्रशासन द्वारा व्यवस्था के पुख्ता प्रबंध किए गए हैं।
शनिश्चरी अमावस्या शनिदेव की आराधना का विशेष दिन रहता है। इस दिन शनि की महादशा, साढ़े साती, ढैया आदि में अनुकूलता के लिए शनिदेव की साधना तथा दान का महत्व बताया गया है। शुक्रवार से ही आसपास के शहर और ग्रामीण अंचलों से हजारों लोगों का धार्मिक नगरी में आना शुरू हो गया था। रात में मंदिर के समीप ही कई श्रद्धालुओं ने भजन-कीर्तन किए।
आधी रात के बाद से स्नान का सिलसिला शुरू हो गया था। शिप्रा नदी का जल स्तर बढ़ा होने से घाट तक पानी है। इसलिए इस बार फव्वारे समीप के बगीचे में लगाए गए हैं।
: मान्यता अनुसार शनिश्चरी अमावस्या पर पनौती के रूप में कपड़े और जूते-चप्पल स्नान के बाद छोड़ दिए जाते हैं। इससे ये पूरे क्षेत्र में फैले रहते हैं। इस बार नगर निगम ने सफाई के लिए विशेष टीमें बनाकर कर्मचारियों की तैनाती की है। इससे पूरा मंदिर क्षेत्र साफ नजर आ रहा है। छोड़ी गई पनौती को तत्काल उठाया जा रहा है। कचरे को भी डस्टबीन में डाला जा रहा है।
अलग-अलग जगह पार्किंग के इंतजाम
हजारों लोग नवग्रह शनि मंदिर दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। इंदौर की ओर से वाहनों के लिए मेघदूत होटल के समीप और शहर की तरफ से आने वाले वाहनों के लिए त्रिवेणी पुल के समीप पार्किंग के इंतजाम किए हैं। इंदौर-उज्जैन फोरलेन पर रात से ही एक ही ओर से वाहनों को आने-जाने दिया जा रहा है। मंंदिर के सामने वाले हिस्से पर लोग सिर्फ पैदल आ-जा रहे हैं।
: भादौ मास की अमावस्या पर रामघाट, दत्त अखाड़ा सहित अन्य घाटों पर लोग मोक्षदायिनी शिप्रा में स्नान कर रहे हैं। इसके अलावा सिद्धनाथ घाट पर भी स्नान पूजन किया जा रहा है।