नई दिल्ली, 24 नवंबर । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में इस बार युवाओं के विषयों पर बातचीत की। उन्होंने एनसीसी की भूमिका को रेखांकित किया और युवाओं से अगले वर्ष दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित होने वाले ‘विकसित भारत यंग लीडर्स डॉयलॉग‘ में भागीदारी करने की अपील की।
‘मन की बात’ कार्यक्रम के 116वें एपीसोड में प्रधानमंत्री माेदी ने कहा कि 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद जी की जयंती पर देश में ‘युवा दिवस’ मनाया जाता है। अगले साल स्वामी विवेकानंद जी की 162वीं जयंती है। इस बार इसे बहुत खास तरीके से मनाया जाएगा। इस अवसर पर 11-12 जनवरी को दिल्ली के भारत मंडपम में युवा विचारों का महाकुंभ होने जा रहा है। इस पहल का नाम है ‘विकसित भारत यंग लीडर डायलॉग’। यह डायलॉग युवाओं को राजनीति से जोड़ने के पहल का हिस्सा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में आज एनसीसी (राष्ट्रीय कैडिट कोर) दिवस पर युवाओं को नेतृत्व की अगुवाई करने में संगठन की भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि एनसीसी युवाओं में अनुशासन, नेतृत्व और सेवा की भावना पैदा करती है। उन्हाेंने आज ‘मन की बात‘ को विशेष रूप से युवाओं से जुड़े विषयों पर केन्द्रित किया। उन्होंने युवाओं की भूमिका को रेखांकित किया और विभिन्न क्षेत्रों में किए जा रहे उनके उत्कृष्ट कार्यों की जानकारी दी। उन्हाेंने डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट की प्रक्रिया का उल्लेख किया, जिससे बुजर्गों को अब जीवित होने का प्रमाण देने के लिए बैंक नहीं जाना होता है। इस क्रम में उन्होंने लखनऊ के रहने वाले वीरेंद्र के बारे में बताया जो बुजुर्गों को सर्टिफिकेट दिलाने के काम में मदद करते हैं। वहीं भोपाल के महेश अपने मोहल्ले के कई बुजुर्गों को मोबाइल के माध्यम से पेमेंट करना सिखाया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश के कई हिस्सों में ‘युवा’ बेकार समझी जाने वाली चीजों को लेकर कचरे से कंचन बना रहे हैं। तरह-तरह के नवाचार कर रहे हैं। इससे वो पैसे कमा रहे हैं, रोजगार के साधन विकसित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के कानपुर में मॉर्निंग वॉक करते हुए गंगा के घाटों पर युवा प्लास्टिक उठाने का काम कर रहे हैं। इस समूह को कानपुर प्लॉगर्स ग्रुप नाम दिया गया है। उन्होंने असम की इतिशा के बारे में भी बताया जिसने कॉर्पोरेट दुनिया की चमक-धमक छोड़कर अरुणाचल की सांगती घाटी को साफ करने का अभियान छेड़ा है। पर्यटक यहां प्लास्टिक वेस्ट छोड़ जाते हैं। इतिशा स्थानीय लोगों के साथ मिलकर इनकी सफाई का काम कर रही है।
जैव विविधता के संरक्षण की दिशा में हो रहे कुछ प्रयासों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि चेन्नई के कुडुगल ट्रस्ट ने गौरैया की आबादी बढ़ाने के लिए स्कूल के बच्चों को अपने अभियान में शामिल किया है। संस्थान के लोग स्कूलों में जाकर बच्चों को बताते हैं कि गौरैया रोजमर्रा के जीवन में कितनी महत्वपूर्ण है। उन्हाेंने लाइब्रेरी की उपयोगिता का उल्लेख किया। उन्होंने चेन्नई का एक उदाहरण साझा किया जहां बच्चों के लिए एक ऐसी लाइब्रेरी तैयार की गई है, जो सृजनात्मकता और सीखने की ललक का हब बन चुकी है। वहीं बिहार में गोपालगंज के ‘प्रयोग लाइब्रेरी’ की चर्चा तो आसपास के कई शहरों में होने लगी है।
हाल ही अपनी गयाना यात्रा का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत से हजारों किलोमीटर दूर गयाना में भी एक मिनी भारत’ बसता है। आज से लगभग 180 वर्ष पहले, गयाना में भारत के लोगों को खेतों में मजदूरी के लिए, दूसरे कामों के लिए ले जाया गया था। आज गयाना में भारतीय मूल के लोग राजनीति, व्यापार, शिक्षा और संस्कृति के हर क्षेत्र में गयाना का नेतृत्व कर रहे हैं। गयाना के राष्ट्रपति डॉ. इरफान अली भी भारतीय मूल के हैं, जो अपनी भारतीय विरासत पर गर्व करते हैं।
एक रोचक जानकारी देते हुए प्रधानमंत्री ने ओमान में बसे प्रवासी भारतीयों के बारे में बताया। हाल ही में ओमान में भारतीय दूतावास ने नेशनल आर्काइव ऑफ इंडिया के सहयोग से एक टीम ने इन परिवारों के इतिहास के संरक्षण का काम शुरू किया है। उन्होंने बताया कि अनेक भारतीय परिवार कई शताब्दियों से ओमान में रह रहे हैं। इनमें से ज्यादातर गुजरात के कच्छ से जाकर बसे हैं। इन लोगों ने व्यापार के महत्वपूर्ण लिंक तैयार किए थे। आज भी उनके पास ओमानी नागरिकता है, लेकिन भारतीयता उनकी रग-रग में बसी है।
प्रधानमंत्री ने स्लोवाकिया में स्लोवाक भाषा में उपनिषदों के अनुवाद की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इन प्रयासों से भारतीय संस्कृति के वैश्विक प्रभाव का भी पता चलता है। हम सभी के लिए ये गर्व की बात है कि दुनिया भर में ऐसे करोड़ों लोग हैं, जिनके हृदय में भारत बसता है। ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के वैश्विक होने का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान अब दुनिया के दूसरे देशों में भी फैल रहा है। जब वे गयाना में थे, तो वहां भी इस अभियान के साक्षी बने।