प्रतिष्ठा महोत्सव मध्य प्रदेश के कटनी में 11 नवंबर, 2025 को
इंदौर/भोपाल/ग्वालियर –कटनी नगरी सनातन धर्म की ऐतिहासिक और परम आध्यात्मिक चेतना से ओत-प्रोत एक भव्य उत्सव की साक्षी बनने
जा रही है, जो सनातन धर्म की भक्ति, सेवा और एकता की दिव्य भावना को मूर्त रूप देगा।परम पूज्य गृहस्थ संत गुरुदेव पंडित श्री देव प्रभाकर
शास्त्री ‘दद्दाजी’ के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा का महामहोत्सव दद्दाजी धाम परिसर में 9 से 13 नवंबर, 2025 तक बड़े श्रद्धा और वैभव के साथ
आयोजित होगा।
यह पाँच दिवसीय महोत्सव देशभर से आने वाले हज़ारों श्रद्धालुओं, संतों, आध्यात्मिक आचार्यों और विशिष्ट अतिथियों को एक सूत्र में बाँध
देगा। इस दौरान पूरी कटनी नगरी आस्था, भक्ति और भारतीय सांस्कृतिक विरासत के केंद्र के रूप में आलोकित होगी। यह महोत्सव परम पूज्य
दद्दाजी के विश्वभर में फैले लाखों अनुयायियों के लिए ऐतिहासिक क्षण लेकर आ रहा है – एक ऐसा अवसर जो अपने गुरु के प्रति उनकी गहन
श्रद्धा, निष्ठा और अटूट भक्ति का प्रतीक है। गुरुदेव दद्दाजी का सेवा, करुणा और मानवता से परिपूर्ण जीवन आज भी उनके हर अनुयायी के लिए
मार्गदर्शन और प्रेरणा का अमृत स्रोत बना हुआ है।
यह पावन महोत्सव 9 नवंबर, 2025 से शुभारंभ होगा, जिसकी शुरुआत असंख्य पार्थिव शिवलिंगों के निर्माण और रुद्राभिषेक जैसे दिव्य
अनुष्ठानों से होगी। वातावरण में हर ओर वैदिक मंत्रों की गूंज और भक्ति का आलोक व्याप्त रहेगा।मुख्य प्राण प्रतिष्ठा समारोह मंगलवार, 11
नवंबर, 2025 को प्रातः 10 बजे से दद्दाजी धाम, कटनी में विधिवत् होगा। इसके साथ कलश यात्रा, हवन, अभिषेक, आरती और पूर्णाहुति जैसे
धार्मिक अनुष्ठानों के साथ यह महोत्सव आगे बढ़ेगा – एक ऐसी श्रृंखला, जिसमें हर क्षण श्रद्धा, साधना और आध्यात्मिक आनंद का अनुभव
होगा।
11 से 13 नवंबर, 2025 वृंदावन के प्रतिष्ठित कथावाचक पंडित इन्द्रेश उपाध्याय महाराज अपने दिव्य वचनों से श्रद्धालुओं को आशीषित करेंगे।
उनका ‘अमृतमयी कथा प्रवचन’, भजन और कीर्तन से अलंकृत, प्रतिदिन दद्दाजी धाम परिसर में गूंजेगा और समूचे वातावरण को भक्ति और
आनंद की माधुर्यता से भर देगा।इस पावन अवसर पर पंडित मोहित मराल गोस्वामीजी, पंडित अनिरुद्धाचार्यजी, पंडित पुंडलिक गोस्वामीजी
और रेणुकाजी जैसे पूज्य संतों की गरिमामयी उपस्थिति भी महोत्सव को और अधिक आध्यात्मिक ऊँचाई प्रदान करेगी।
महोत्सव की तैयारियों पर बोलते हुए श्री संजय सत्येन्द्र पाठक, जो परम पूज्य दद्दाजी के अनन्य भक्त, दद्दाजी मंदिर निर्माण समिति के संरक्षक
और महोत्सव के मुख्य संयोजक हैं, ने कहा – ‘परम पूज्य दद्दाजी के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा, उन सभी भक्तों के लिए आध्यात्मिक पुनर्मिलन का
अवसर है, जिन्हें दद्दाजी के श्रद्धा, सेवा और समर्पण के संदेश ने छुआ है। यह मंदिर शांति, भक्ति और सामाजिक सौहार्द का दीपस्तंभ बनकर,
आने वाली पीढ़ियों को दद्दाजी के निष्काम सेवा और अटूट आस्था के संदेश से निरंतर प्रेरित करता रहेगा।’
सरलता, सेवा और लोककल्याण के प्रतीक गृहस्थ संत के रूप में परम पूज्य दद्दाजी ने अपना संपूर्ण जीवन आस्था, करुणा और समाज में सद्भाव
के प्रसार के लिए समर्पित कर दिया।एक ऐसे युग में जब हिंदू समाज में शैव और वैष्णव परंपराएँ अलग-अलग मार्गों पर चल रही थीं, दद्दाजी ने
अपनी अद्भुत दृष्टि से दोनों को एक सूत्र में पिरोकर सनातन धर्म की एकता और शक्ति को और सुदृढ़ किया। उनकी वाणी में विनम्रता, ईश्वर-
भक्ति और निष्काम समाजसेवा का ऐसा गूढ़ संदेश निहित था, जो आज भी देश-विदेश में करोड़ों अनुयायियों के जीवन का आधार बने हुए हैं।
दद्दाजी शिष्य मंडल, जो मंदिर निर्माण और महोत्सव के आयोजन का दायित्व संभाले हुए है, ने श्रद्धालुओं के लिए व्यापक और सुव्यवस्थित
व्यवस्थाएँ की हैं। भक्तों के लिए आवास की सुविधाएँ, विशाल भंडारे, सेवा समितियों की व्यवस्था और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रृंखला – हर
पहलू को इस प्रकार योजनाबद्ध किया गया है कि प्रत्येक श्रद्धालु इस अद्वितीय और जीवन में एक बार मिलने वाले आध्यात्मिक अनुभव में पूर्ण
रूप से सहभागी हो सके।
दद्दाजी मंदिर निर्माण समिति, जिसने इस भव्य मंदिर के निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के आयोजन का नेतृत्व किया है, निरंतर सेवा के
माध्यम से आस्था को जीवन में उतारने और दद्दाजी के करुणा, एकता और मानवता के संदेश को आगे बढ़ाने का कार्य कर रही है।यह प्राण
प्रतिष्ठा महोत्सव उसी अमर भावना का सजीव प्रतीक है, जहाँ भक्ति का संगम सेवा से होता है, और हर हृदय में दद्दाजी के आदर्शों की ज्योति
नई चेतना के साथ प्रज्वलित होती है।
