न्यू दिल्ली │ पत्रकार ऊषा माहना की रिपोर्ट
अखिल भारतीय श्वेतांबर स्थानकवासी जैन कॉन्फ्रेंस के राष्ट्रीय अध्यक्ष अतुल जैन ने दीपावली, भैया दूज और छठ पूजा के अवसर पर जैन समाज, देशवासियों तथा विश्वभर में बसे भारतीय समुदाय को शुभकामनाएँ दीं। उन्होंने कहा कि दीपावली केवल रोशनी का त्योहार नहीं, बल्कि आत्मा के प्रकाश और आत्मिक जागृति का प्रतीक है।
अतुल जैन ने बताया कि इसी दिन भगवान महावीर स्वामी ने पावापुरी (बिहार) में मोक्ष प्राप्त किया था। जैन समाज इस दिवस को निर्वाण दिवस के रूप में मनाता है और इसे संयम, स्वाध्याय और आत्मशुद्धि का पर्व मानता है। भगवान महावीर के मोक्ष के उपरांत उनके अनुयायियों ने दीप जलाकर उनके उपदेशों के अमर प्रकाश को सहेजा, जो दीपावली की ऐतिहासिक और आध्यात्मिक पृष्ठभूमि है।
उन्होंने कहा कि दीपावली हमें यह संदेश देती है कि हम अपने भीतर के अंधकार—अज्ञान, क्रोध, लोभ और अहंकार—को मिटाकर ज्ञान, करुणा और सत्य का प्रकाश जलाएँ। “जब भीतर का दीप जलता है, तभी जीवन में सच्ची रोशनी आती है — यही वास्तविक दीपावली है,” उन्होंने कहा।
जैन अनुयायी इस दिन उपवास, ध्यान और स्वाध्याय में लीन रहते हैं तथा मंदिरों में निर्वाण लड्डू अर्पित करते हैं। अगले दिन से जैन नववर्ष का शुभारंभ होता है।
अतुल जैन ने भैया दूज को भाई-बहन के स्नेह और पारिवारिक बंधन का प्रतीक बताया और कहा कि यह पर्व परिवार की एकजुटता का संदेश देता है। वहीं छठ पूजा को उन्होंने प्रकृति और सूर्यदेव के प्रति कृतज्ञता का अवसर बताते हुए कहा कि जीवन का अस्तित्व प्रकृति के संतुलन पर ही टिका है।
उन्होंने कहा कि दीपावली, भैया दूज और छठ — तीनों पर्व प्रेम, करुणा और एकता की भावना को मजबूत करने की प्रेरणा देते हैं। जैन धर्म के मूल सिद्धांत — अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह और अनेकांतवाद — आज भी अत्यंत प्रासंगिक हैं। यदि हम इन्हें जीवन में अपनाएँ, तो समाज में शांति, सद्भाव और आत्मिक उन्नति का दीप प्रज्ज्वलित होगा।
अपने संदेश के अंत में उन्होंने कामना की कि प्रभु महावीर की कृपा से हर घर में सुख, शांति और समृद्धि का प्रकाश फैले तथा यह दीपावली नई ऊर्जा और सकारात्मकता का संदेश लेकर आए।
