( अमिताभ पाण्डेय )
हमारे देश में बदलती सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक परिस्थितियों के कारण कानून व्यवस्था को लेकर नई नई समस्याएं सामने आती रहती हैं। बदलती तकनीक के साथ अपराध के तरीकों में भी बहुत बदलाव आया है ।
कानून व्यवस्था को बेहतर बनाने और अपराध पर नियंत्रण पाने के लिए अब पुलिस को अधिक अधिकार संपन्न बनाए जाने की जरूरत है।
पुलिस की शक्तियों को बढ़ाने के लिए मध्यप्रदेश शासन भी गंभीर है।
इसी को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विगत 21 नवंबर 2021 को मध्य प्रदेश के 2 शहरों में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू किए जाने की घोषणा की है ।
माना जा रहा है है कि यह प्रणाली इंदौर, भोपाल महानगरों में दिसंबर माह के प्रथम सप्ताह से प्रभावशील हो जाएगी।
शासन स्तर पर इसे लागू करने की प्रक्रिया इन दिनों बहुत तेजी से चल रही है ।
उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश में पुलिस आयुक्त प्रणाली को लागू किए जाने की चर्चा पिछले लगभग 20 वर्षों से लगातार चल रही है।
भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी चाहते हैं कि इसे लागू किया जाए।
दूसरी ओर भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी चाहते हैं कि पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू नहीं हो क्योंकि इससे उनके अधिकार कम होते हैं ।
शायद यही कारण है कि पुलिस आयुक्त प्रणाली अब तक लागू होने से रुकी रही।
अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अफसरों के दबाव प्रभाव में आए बिना पुलिस आयुक्त प्रणाली को लागू करने का ऐलान कर दिया है।
यह भी सही है कि इस प्रणाली का विरोध करने वाले अभी इसको लागू नहीं होने देना चाहते हैं।
इस बारे में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक स्तर के एक सेवानिवृत्त अधिकारी ने बताया कि पुलिस कमिश्नर सिस्टम समय की मांग है।
राजस्थान ,उत्तर प्रदेश , महाराष्ट्र सहित कुछ अन्य राज्यों के महानगरों में पुलिस कमिश्नर प्रणाली पहले से ही लागू हो चुकी है ।
यहां यह बताना जरूरी होगा कि मध्य प्रदेश में आईएएस लॉबी के विरोध के कारण दो बार घोषणा होने के बाद भी पुलिस आयुक्त प्रणाली को लागू नहीं किया जा सका ।
उक्त सेवानिवृत पुलिस अधिकारी के अनुसार पुलिस कमिश्नर सिस्टम में कानून व्यवस्था बनाए रखने से संबंधित कार्यपालक मजिस्ट्रेट की शक्तियां राजपत्रित पुलिस अधिकारियों को एसीपी, डीसीपी के रूप में मिल जाती है।
गुंडे बदमाशों के विरुद्ध धारा 151 , 107, 116 , रासुका, जिला बदर की कार्रवाई जैसे अधिकार भी कार्यपालक मजिस्ट्रेट की जगह पुलिस को मिल जाते हैं ।
इससे पुलिस अपराधों पर प्रभावी तरीके से नियंत्रण कर सकती है वहीं दूसरी ओर यह भी बताना जरूरी होगा कि पुलिस जिस कानून प्रक्रिया का पालन अभी कर रही है ,उसके कई कानून अंग्रेजों के जमाने के बनाए हुए हैं।
इन पुराने हो चुके कानूनों का उपयोग शासक वर्ग की इच्छा शक्ति के अनुसार विरोधियों के दमन के लिए भी किया जाता है। अभी तक पुलिस की ज्यादती वाले कार्यों पर कलेक्टर, एडीएम, एसडीएम का अंकुश लगा रहता था।
यदि पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू हो गई तो अब कलेक्टर, एसडीएम, एडीएम का पुलिस पर नियंत्रण खत्म हो जाएगा।
उल्लेखनीय है कि पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होने से यदि अपराध और अपराधियों पर रोक लग सकती है तो निश्चित रूप से इसका स्वागत किया जाना चाहिए।
दूसरी और हमें यह भी देखना होगा कि इस प्रणाली का कोई पुलिस अधिकारी दुरुपयोग न कर सके ।
यदि हमें पुलिस कमिश्नर प्रणाली में ऐसे अधिकारियों को जिम्मेदारी देने का मौका मिले जो कि अपने अधिकारों का दुरुपयोग करें और हिटलर की तरह मनमाने फैसले करते रहे तो आम जनता के लिए परेशानी बढ़ जाएगी ।
यहां यह बताना जरूरी होगा कि मुंबई में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू होने के बाद भी यदि परमवीर परमजीत सिंह जैसे विवादित अधिकारी उसके प्रमुख बने रहते हैं तो ऐसे अधिकारी पुलिस कमिश्नर प्रणाली को निश्चित रूप से बदनाम करते हैं।
सरकार की यह जिम्मेदारी है कि पुलिस आयुक्त प्रणाली में ऐसे अधिकारियों को सामने लाया जाए जो कि अपने कर्तव्य के प्रति अधिक गंभीर , संवेदनशील और ईमानदार हो।
अपने कार्य को नियम के अनुसार बिना राजनीतिक दबाव प्रभाव के करें ।
अभी स्थिति यह है कि ऐसे अनेक ईमानदार पुलिस अधिकारी हैं जो पुलिस मुख्यालय या किसी बटालियन में अपना समय गुजार रहे हैं ।
राजनीतिक संपर्कों वाले पुलिस अधिकारी निर्धारित योग्यता ना होने के बाद भी महत्वपूर्ण पदों पर बैठे हैं और मनमाने तरीके से फैसले ले रहे हैं ।
इसके कारण पुलिस की भी बदनामी होती है ।
अब समय आ गया है कि पुलिस आयुक्त प्रणाली में ऐसे जिम्मेदार और ईमानदार अधिकारियों को मौका दिया जाए जो संवेदनशीलता के साथ बिल्कुल सही फैसले लें ।
ऐसा होने से पुलिस आयुक्त प्रणाली की जनता में साख बढ़ेगी।
अपराधों पर प्रभावी नियंत्रण हो सकेगा।
आम जनता भी यह चाहती है कि पुलिस आयुक्त प्रणाली इस तरह लागू हो कि उसको पुलिस की मनमानी, हिटलर शाही , मनमाने ढंग से कानून का दुरपयोग से मुक्ति मिले ।
अमीर गरीब लोगों के साथ बिना भेदभाव के न्याय हो सके ।
पुलिस आयुक्त प्रणाली से जनता को ऐसी उम्मीद है। जनता की उम्मीद पर यह प्रणाली सही साबित होगी ऐसा विश्वास है।
( लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं , संपर्क 9424466269 )