नई दिल्ली, 3 दिसंबर । गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने मंगलवार को कहा कि पिछले तीन वर्षों में भारत-पाकिस्तान सीमा पर पांच भारतीय सैनिक शहीद हुए हैं।
लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने पिछले तीन वर्षों में भारत-पाकिस्तान सीमा पर आतंकवादी हमलों में हताहत हुए भारतीय सैनिकों का विवरण साझा करते हुए कहा कि वर्ष 2021 में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर चार सैनिक शहीद हुए, जबकि 2022 में एक सैनिक की जान चली गई।
उन्होंने कहा कि सरकार ने भारत-पाकिस्तान सीमा सहित आतंकवाद के विरुद्ध जीरो टोलरेंस की नीति अपनाई है तथा सरकार का दृष्टिकोण आतंकवादी पारिस्थितिकी तंत्र को नष्ट करना है। उन्होंने कहा कि सरकार ने कई कदम उठाए हैं, जिसके परिणामस्वरूप सीमा पर आतंकवादी गतिविधियों पर नियंत्रण हुआ है। उन्होंने कहा कि इन उपायों में आतंकवाद से संबंधित सभी मामलों पर केन्द्र और राज्य स्तर पर खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों के बीच घनिष्ठ और प्रभावी समन्वय शामिल है। इसके अलावा मल्टी एजेंसी सेंटर (एमएसी) को मजबूत करना और इसे अन्य खुफिया एजेंसियों और राज्यों के साथ आतंकवाद से संबंधित सभी मामलों पर वास्तविक समय पर खुफिया जानकारी एकत्र करने और साझा करने के लिए 24×7 आधार पर कार्य करने के लिए व्यवस्थित करना, और राज्य और केंद्रीय एजेंसियों के बीच सूचना का निर्बाध प्रवाह सुनिश्चित करना शामिल है।
उन्होंने कहा कि आतंकवादी घटनाओं से निपटने के लिए राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा विशेष बलों का गठन किया गया। ऐसी घटनाओं से निपटने में राज्यों की सहायता के लिए केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड को भी विभिन्न स्थानों पर तैनात किया गया है।
मंत्री ने कहा कि आतंकवाद से संबंधित मामलों की जांच के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की स्थापना की गई है। केंद्रीय एजेंसियों ने खुफिया जानकारी साझा करने और आतंकवादी मामलों की जांच के संबंध में राज्य बलों के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित किए हैं। सीमा सुरक्षा बलों द्वारा सीमा पर चौबीसों घंटे निगरानी, नियमित गश्त, सुरंग रोधी अभ्यास, नाके लगाना तथा अंतरराष्ट्रीय सीमा पर निगरानी चौकियों पर कर्मियों की तैनाती के माध्यम से आतंकवादी घुसपैठ को रोकने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सीमा बाड़ के रूप में भौतिक अवसंरचना का निर्माण तथा रखरखाव किया गया है तथा अंधेरे के समय क्षेत्र को रोशन करने के लिए सीमा पर फ्लड लाइटें लगाई गई हैं। कमजोर सीमा चौकियों की नियमित रूप से समीक्षा की जाती है तथा अतिरिक्त जनशक्ति, विशेष निगरानी उपकरण तथा अन्य बल गुणकों की तैनाती करके उन्हें मजबूत बनाया जाता है। कमजोर सीमा क्षेत्रों में व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली के रूप में एक तकनीकी समाधान लागू किया गया है। सीमा सुरक्षा बलों को सख्त सतर्कता तथा निगरानी बनाए रखने तथा घुसपैठ को रोकने के लिए सभी संभव कदम उठाने की सलाह दी गई है।