कलियुग के दोषों से बचने का उपाय नाम महामन्त्र संकीर्तन
श्रीमद्भागवत कथा के अन्तिम दिन डॉ.उमेशचन्द्र शर्मा ने कहा
थांदला से (विवेक व्यास, माधव एक्सप्रेस) थांदला नगर स्थित प्राचीन मंदिर लक्ष्मींनारायण मंदिर पर
“वर्तमान वक्त के इस दौर अर्थात कलियुग में अनेकोनेक दोष विद्यमान है, किंतु भगवान श्री कृष्ण के नाम कीर्तन से सभी दोषों और पापों से छूटकर प्रभु को पाया जा सकता है।
“उक्त उद्गार “अरण्यपथ” के संपादक एवं “ईएमएस” सम्वाददाता डॉ. उमेशचंद्र शर्मा ने जिले के थांदला में श्रीलक्ष्मीनारायण मन्दिर सभागार में श्रीमद्भागवत सप्ताह के अन्तर्गत आयोजित “भागवत भक्ति पर्व” में अन्तिम दिवस की कथा के दौरान कल व्यासपीठ से व्यक्त किए।कथा में परमहंसों के भी स्वामी श्री शुकदेव जी महाराज द्वारा राजा परीक्षित को दिया गया अन्तिम उपदेश भी वर्णित किया गया।डॉ. शर्मा ने कहा कि श्रीमद्भागवत में उद्धवजी द्वारा भगवान् श्रीकृष्ण को मन को वश में करने के उपाय पूछे जाने पर भगवान् श्रीकृष्ण ने कहा था कि “अर्जुन ने भी मुझे यही प्रश्न पूछा था। मन को अभ्यास और वैराग्य से वश में किया जा सकता है,किन्तु सरलतम मार्ग है, मेरी भक्ति। भक्ति पथ पर आरूढ़ मनुष्य अनायास ही ज्ञान प्राप्त कर बुद्धिमान और विवेकशील हो जाते हैं।” डॉ.शर्मा ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण का नाम परम पावन, मधुरातिमधुर, दुःख नाशक एवम पापों का नाश करने वाला है। अतएव हम सबको प्रभुनाम का ही सहारा लेना चाहिए। और वह नाम कौनसा है? डॉ. शर्मा ने कहा इस युग में परम जपनीय,कीर्तनीय, स्मरणीय और गाने योग्य तो केवल यह नाम महामंत्र ही है, यथा “हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे.” इस नाम महामंत्र का श्रीब्रह्माजी द्वारा कलिसंतरणोपनिषद में श्री नारद को उपदेश किया गया था। ५५० वर्ष पहले श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु ने सबको इसका उपदेश कर जीवों को कृतार्थ किया था, और परम सिद्ध महापुरुष श्री सीतारामदास ओंकार नाथजी महाराज ने भी यही नाम प्रदान कर कलियुग के मनुष्यों को कृतकृत्य किया। श्रीमद्भागवत महा पुराण में नाम कीर्तन की महानतम महिमा का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि……..
“नाम संकीर्तनं यस्य सर्वपाप प्रणाशनम्
प्रणामों दुःखशमनस्तं नमामि हरिं परम्”
अर्थात “जिसका नाम संकीर्तन सभी पापों का नाश करता है,और जिनको किए गए प्रणाम समस्त दुखों को शांत कर देते हैं, उस परब्रह्म परमात्मा को, भगवान् श्रीहरि को हम प्रणाम करते हैं।” प्रभुनाम जीव के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।द्वादश स्कन्द में कलियुग के दोषों तथा उससे बचने के उपायों को बताते हुए कहा गया है कि “सबसे श्रेष्ठ उपाय है भगवान् के नाम का संकीर्तन।”