निप्र, रतलाम जिले में गठित डायग्नोस्टिक टीम जिसमें जिले की कृषि विज्ञान केंद्र के प्रमुख वैज्ञानिक सर्वेश त्रिपाठी, जिले के उप संचालक कृषि ज्ञानसिंह मोहनिया, परियोजना संचालक आत्मा निर्भयसिंह नरगेश, सहायक संचालक कृषि वास्केजी, विकासखंड के वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी बी.एस. चंद्रावत, ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी सोलंकी संयुक्त रुप से ग्राम बरखेड़ी, बड़ावदा, गुर्जर बरडिया, खजुरिया, ताल, कराडिया, सोनचिड़ी आदि द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों का भ्रमण किया गया। ग्राम सोनचिड़ी के भ्रमण के दौरान क्षेत्रीय विधायक मनोज चावला द्वारा भी मौके पर उपस्थित रहकर कर सोयाबीन खेतो का भ्रमण कर सोयाबीन फसलों का मौके पर वैज्ञानिक के साथ निरीक्षण किया गया। कुछ-कुछ क्षेत्र में सोयाबीन खेत में फसल में एंथ्रेक्नोज बीमारी, स्टेम फलाय एवं पीला मोजे की शिकायत देखी गई है जो अभी प्रारंभिक अवस्था थी। खेतों में घेरे में फसल पीलापन लिए हुए लक्षण दिखाई दे रहे थे। क्रषि वैज्ञानिक टीम द्वारा किसान भाइयों से अपील की गई, कि उक्त एंथ्रेक्नोज बीमारी के नियंत्रण के लिए निम्न दवा में से किसी एक पौध संरक्षण दवा का उपयोग कर सकते हैं। फफूंद नाशक दवा हेक्जाकोनाजोल 5 प्रतिशत की 800 मिली दवा को 25 मिली दवा प्रति 15 लीटर पानी की टंकी में या टेबुकोनाजोल की 625 मिली लीटर दवा 20 मिली लीटर दवा 15 लीटर पानी वाली टंकी मे घोल बनाकर छिड़काव करें जिससे एंथ्रेक्नोज बीमारी की प्रारंभिक अवस्था में रोकथाम की जा सकती है। उक्त दवा को 7 दिन बाद पुनः दोहराए। एंथ्रेक्नोज बीमारी के साथ-साथ फसल में स्टेम फ्लाय का भी आंशिक प्रकोप देखा गया है। उक्त कीट के नियंत्रण हेतु थायोमिथोकजाम 12.60+लेंबडा सायहेलोथ्रीन 9.50 प्रतिशत ZC के मिश्रण को 4 मिली दवा की मात्रा प्रति 15 लीटर पंप वाली टंकी म घोल बनाकर छिड़काव करे। आवश्यकता पड़ने पर 10 से 12 दिनों के बाद दूसरा छिड़काव करने की सलाह दी जाती है। अधिक जानकारी के लिए क्षेत्र के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी एवं विकासखंड के वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं। साथ ही कृषि विज्ञान केंद्र कालूखेड़ा जावरा के वरिष्ठ वैज्ञानिक से भी संपर्क कर सलाह ले सकते हैं। जिला स्तर पर बनाया गया यूट्यूब चैनल आधुनिक खेती की ओर रतलाम पर भी किसान भाई वीडियो देखकर वैज्ञानिक सलाह अपना सकते हैं।