घर से टिफन लेकर साइकिल से जाते थे प्रचार करने
Exclusive Report by Abhijeet. Dubey, Ujjain
उज्जैन/ अभिजीत दुबे माधव एक्सप्रेस,, स्व. श्री गंगाराम परमार दो बार विधायक रहे। कोरोना काल में निधन हो चुका है
82 साल की उम्र में निधन हो चुका
जनसंघ कार्यकर्ता थे, कभी सोचा नहीं था कि विधायक बनेगे। बात 1967 की है। मक्सी में आरा मशीन से लकड़ी कटवा रहा थे, तभी जनसंघ के चुनाव प्रभारी श्री स्व. प्यारेलाल खंडेलवाल आए। बोले- आपको उज्जैन दक्षिण की अजा सीट से चुनाव लड़ना है। दूसरे दिन से वह 8-10 साथियों के साथ साइकिल लेकर प्रचार पर निकल पड़े साथ में रोटी-सब्जी भी बांध लेते थे। जहां 10-20 लोग मिलते, चुनाव जिताने की अपील करते और आगे चल देते। तब पहली बार 27 साल की उम्र में कांग्रेस के नाथूराम मरमट को 5685 वोट हराया था। पूरे चुनाव में ज्यादा खर्च नहीं किया। एक-दो झंडे में काम चल गया। पार्टी फंड का सिस्टम नहीं था, जिनसे विचारधारा मिलती, वो चंदा दे देता था। तब विधायक का वेतन 250 रुपए था। विधानसभा चलने पर 10 रुपए भत्ता मिलता था। गाड़ी-बंगला नहीं मिलते। रेस्ट हाउस में ठहर सकते थे। हां, बस का पास भी मिलता था जिससे भोपाल तक आना-जाना कर लेते थे। ऐसे जनसंघ कर्मठ कार्यकर्ता को भारतीय जनता पार्टी भूल गई है उनके परिवार को कभी पूछा भी नहीं जाता है उनके पोते अभिषेक परमार ने बताया कि दादाजी साफ स्वच्छ छवि के ईमानदार व्यक्ति थे उन्होंने हमेशा संगठन की सेवा करी (जब भारतीय जनता पार्टी का नाम जनसंघ हुआ करता था) 22 साल के उनके पोते अभिषेक परमार ने बताया कि वह शिक्षित है उसके बाद भी उसे नौकरी के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है परिवार में पिताजी है माताजी है भाई है परिवार की स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण हमें प्राइवेट जॉब करना पड़ती है जिससे परिवार का पेट पल सके गुमनामी के अंधेरे में अपना जीवन यापन कर रहे हैं भाजपा को चाहिए कि ऐसे धरोहरी परिवार को बुलाकर सम्मान करके उचित रोजगार दिया जाना चाहिए ताकि युवा आगे बढ़कर देश- प्रदेश की सेवा कर सके
चुनाव लड़े – उज्जैन दक्षिण : 1967 में जीते, 1972 में हारे। घट्टिया : 1977 में जीते, 1985 में हारे।