.दशहरा पर्व पर नगर में धूमधाम से निकली बाबा महाकाल की सवारी
अश्विन शुक्ल पक्ष की नवमी पर सोमवार को भगवान श्री महाकालेश्वर जी की सवारी श्री महाकालेश्वर मंदिर से अपरान्ह 4 बजे सभा मंडप से प्रारंभ होकर दशहरा मैदान सीमान्लंघन हेतु निकाली गई।
.: मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के स्वरूप में सजे महाकाल, दशहरा पर्व पर धूमधाम से निकली देश भर में भले ही दशहरा मंगलवार को धूमधाम से मनाया जाएगा। लेकिन बाबा महाकाल के दरबार में सोमवार को बाबा महाकाल का मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के स्वरूप में श्रृंगार किया गया।
लाभ मंदिर में पहुंचे हजारों श्रद्धालुओं ने लिया और अपने आपको धन्य महसूस किया। .सोमवार को भगवान महाकाल का मावे से अद्भुत श्रृंगार किया गया था। भगवान महाकाल के मस्तक पर श्रीराम भी लिखा गया।विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में सोमवार को भस्म आरती के दौरान पुजारियों ने गर्भगृह में स्थापित सभी भगवान की प्रतिमाओं का पूजन कर भगवान महाकाल का जलाभिषेक और दूध, दही, घी, शक़्कर, फलों के रस से बने पंचामृत पूजन किया। इसके बाद प्रथम घंटाल बजाकर हरि ओम का जल अर्पित किया गया। कपूर आरती के बाद भगवान के मस्तक पर भांग चन्दन अर्पित कर महाकाल का भगवान राम के स्वरूप श्रृंगार किया।
श्रृंगार पूरा होने के बाद ज्योतिर्लिंग को कपड़े से ढककर भस्मी रमाई गई। भगवान महाकाल का भांग ड्राईफ्रूट चन्दन आभूषण और फूलों से श्रृंगारित किया गया। भस्म अर्पित करने के पश्चात भगवान महाकाल को शेषनाग का रजत मुकुट रजत की मुण्डमाल और रुद्राक्ष की माला के साथ-साथ सुगन्धित पुष्प से बनी फूलों की माला अर्पित की। मोगरे और गुलाब के सुगंधित पुष्प धारण किए भगवान महाकाल ने फल और मिष्ठान का भोग लगाया। भस्म आरती में बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं ने बाबा महाकाल का आशीर्वाद लिया।
अश्विन शुक्ल पक्ष की नवमी पर सोमवार को भगवान श्री महाकालेश्वर जी की सवारी श्री महाकालेश्वर मंदिर से अपरान्ह 4 बजे सभा मंडप से प्रारंभ होकर दशहरा मैदान सीमान्लंघन हेतु निकाली गई
दशहरा मैदान पर पूजन पश्चात वापसी में ओवरब्रिज से संख्याराजे धर्मशाला, देवासगेट, मालीपुरा, दौलतगंज, तोपखाना होते हुए पुनः श्री महाकालेश्वर मन्दिर पहुंची। श्री महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह में सायं पूजन के पश्चात श्रद्धालुओं को श्री महाकालेश्वर भगवान के श्री होल्कर (मुखारविन्द) स्वरूप के दर्शन हुए। साथ ही श्री महाकालेश्वर मंदिर में परम्परानुसार महाकाल मंदिर के शिखर पर ध्वज बदला गया।