ट्रेनिंग इनिशिएटिव स्टार्टअप रिसर्च सेंटर के एमओयू हेतु आयोजित समारोह में लिया निर्णय
इंदौर – सिविल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में आज भी अपार संभावनाएं हैं और आगे यह और बढ़ेंगी। इस क्षेत्र में इनोवेशन, नई तकनीक और अत्याधुनिक साधनों व आवश्यकताओं को साथ लेकर बहुत अच्छा काम किया जा सकता है। इसी विचार के साथ एक्रोपोलीस इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी एंड रिचर्स और डॉ. फिक्सिट इंस्टिट्यूट ऑफ स्ट्रक्चरल प्रोटेक्शन एंड रिहेबिलिटेशन, मुंबई के बीच एक विशेष साझेदारी हुई है। दोनों संस्थानों द्वारा इनिशिएटिव स्टार्टअप रिसर्च सेन्टर के एमओयू के लिए आयोजित समारोह में यह निर्णय लिया गया। एक्रोपोलिस ग्रुप के चेयरमैन बीओजी अशोक कुमार सोजतिया ने कहा कि इस समय सिविल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में नवीन कौशल और प्रशिक्षित इंजीनियर्स की आवश्यकता बढ़ गई है। ऐसे में एक्रोपोलिस इंस्टीट्यूट और डॉ. फिक्सिट इंस्टिट्यूट स्टार्टअप रिचर्स सेन्टर में सिविल इंजीनियरिंग व इन्फास्ट्रक्चर के क्षेत्र से जुड़ी कन्ट्रक्शंस केमिकल्स जैसी कई नवीनतम तकनीकों की ट्रेनिंग दी जाएगी। इससे नए दौर की जरूरत के मुताबिक सिविल इंजीनियर्स तैयार किए जा सकेंगे। ये इंजीनियर्स के करियर के साथ ही देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती देने का काम करेगा।
कार्यक्रम की शुरूआत डॉ. फिक्सिट इंस्टिट्यूट की ट्रेनिंग हेड तीरथा बैनर्जी, श्रीअशोक कुमार सोजतिया, गौतम शूर, आशीष सोजतिया, श्रीनिवास कुटुम्बले, गौरव सोजतिया, प्रो. एम. के. दुबे,डॉ. जयंतीलाल भण्डारी एवं प्रो. शरद नाईक ने दीप प्रज्जवलित कर की। एमओयू तीरथा बैनर्जी और डॉ. एस.सी. शर्मा द्वारा साइन किया गया। ज्ञातव्य है कि एक्रोपोलिस इंस्टिट्यूट देश में तीसरा व मध्यप्रदेश का पहला ऐसा इंस्टिट्यूट है, जिसके साथ डॉ. फिक्सिट इंस्टिट्यूट का स्टार्टअप रिचर्स सेन्टर के लिए एमओयू साइन हुआ है। इसके बारे में अधिक जानकारी देते हुए- श्री बैनर्जी ने कहा कि इंदौर देश में तेजी से विकसित हो रहे शहरों में से एक है। यहां सिविल इंजीनियरिंग व कन्ट्रक्शंस के क्षेत्र में काफी कार्य किया जा रहा है। इस एमओयू से इस क्षेत्र से जुड़े सभी लोगों को लाभ होगा। साथ ही वॉटरप्रूफिंग व रिपेयरिंग की उन्नत तकनीकों को सीखने का अवसर भी प्राप्त होगा। डॉ. शर्मा ने बताया कि इस एमओयू से एक्रोपोलिस इंस्टिट्यूट के स्टूडेंट्स को तो लाभ मिलेगा ही साथ ही स्थानीय इन्डस्ट्रीज, अन्य इंस्टिट्यूट और इस विषय पर रिसर्च करने वाले स्टूडेंट्स को भी ट्रेनिंग लेने का अवसर प्राप्त होगा। गौतम सुर ने बताया कि इस स्टार्टअप रिसर्च सेन्टर से कौशल प्राप्त कर कई बेहतर निर्माण कार्य किये जा सकेंगे। प्रो. नाईक ने कहा कि भारत में कन्ट्रक्शंस प्रैक्टिस गुणवत्ता के लिए निर्धारित मानकों के अनुसार काम करने के लिए स्किल्ड मेनपॉवर की कमी होने से क्वालिटी कन्ट्रक्शंस की मॉनीटरिंग करना कठिन होता था। वर्तमान में लेटेस्ट कन्ट्रक्शंस केमिकल्स के उपयोग से यह संभव हो गया है। ख्यात अर्थशास्त्री डॉ भण्डारी ने कहा कि सिविल इंजीनियरिंग भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और देश की अर्थव्यवस्था में इस सेक्टर का प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से 70 फीसदी योगदान है। ऐसे में इस क्षेत्र में कौशल प्रशिक्षण से बहुत महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा। परिणामस्वरूप, बुनियादी ढांचे की गुणवत्ता में वृद्धि और लागत में कमी वर्ष 2047 तक भारत के विकसित देश बनने के सपने को साकार करने में अहम योगदान देगी। इस आयोजन के तहत ‘एडवांस ट्रैन्ड्स इन सस्टेनेबल एंड ड्यूरेबल कंट्रक्शन्स प्रेक्टिसेज़ एंड सेरेमनी ऑफ ट्रेनिंग’इनिशिएटिव सेंटर अंडर इंडस्ट्री अकादमीय कोलोब्रशन, विषय पर टेक्निकल सेमिनार में इंजी. श्रीनिवास कुटुम्बले ने प्रेजेन्टेशन के साथ प्रभावी विश्लेषण प्रस्तुत किये। कार्यक्रम का संचालन प्रो. नम्रता चंदेल व स्टूडेंट हिमांशी थोराट ने किया। प्रो. जयंत अवस्थी द्वारा आभार व्यक्त किया गया।कार्यक्रम में इंजीनियर विवेक मिश्रा टेक्निकल कोऑर्डिनेटर डीएफआई एंड इंजीनियर वैभव शिंदे आदि और इंदौर शहर के आर्किटेक्ट,स्ट्कचरल कंसलटेंट, स्मार्ट सिटी,नगर निगम एवं विभिन्न शासकीय विभाग के इंगिनीर्स तथा अलग अलग इंजिनीरिंग कोलेज के प्रोफेसर ने भाग लिया।