
मुंबई । टाटा समूह के स्वामित्व वाली एयरलाइन एयर इंडिया के पायलटों ने वेतन ढांचे में बदलाव के प्रबंधन के फैसले के बाद इसके समाधान के लिए रतन टाटा से दखल का आग्रह किया है। एयर इंडिया के 1,500 से ज्यादा पायलटों के हस्ताक्षर वाली एक याचिका में आरोप लगाया गया कि मौजूदा मानव संसाधन विभाग (एचआर डिपार्टमेंट) पायलटों की चिंताओं को नहीं सुन रहा है। एयर इंडिया ने अपने पायलटों और चालक दल के सदस्यों के लिए 17 अप्रैल को रिवाइज्य कॉम्पंसेशन स्ट्रक्चर पेश किया था।
हालांकि, इस दो पायलट संघों, भारतीय वाणिज्यिक पायलट संघ (आईसीपीए) और इंडियन पायलट गिल्ड (आईपीजी) ने खारिज कर दिया था। दोनों संघों का कहना है कि विमानन कंपनी ने श्रम प्रक्रियाओं का उल्लंघन किया गया है और नए अनुबंध कराने से पहले उनसे परामर्श नहीं किया गया है। दोनों संघों ने अपने सदस्यों को भी संशोधित अनुबंध और वेतन ढांचे पर हस्ताक्षर नहीं करने या इन्हें स्वीकार नहीं करने को कहा है।
एयर इंडिया के पायलटों ने लिखा है, हम अपने काम और टाटा समूह में अपनी जगह को लेकर गर्व महसूस करते हैं। हालांकि, अभी हमें एचआर विभाग के ओर से कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। हम समझ सकते हैं कि एयर इंडिया के सामने अभी चुनौतियां कुछ जटिल हैं और हम उनका हल ढूंढने को लेकर कंपनी के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं जिससे सभी हितधारकों का लाभ हो। लेकिन हमें लगता है कि हमारी चिंताओं को एचआर विभाग ठीक से नहीं समझ रहा है।
एयर इंडिया ने 24 अप्रैल को एक टाउन हॉल मीटिंग में कहा कि संशोधित मुआवजा प्रणाली (सैलरी व अन्य भत्ते) कानून के तहत हैं। कंपनी ने कहा कि कॉन्ट्रेक्ट में अगर कोई भी बदलाव हुआ है, तब वह कानूनी दायरे के अंदर ही है। उन्होंने पायलटों से कहा कि अगर आपको कोई यह कह रहा है कि नई प्रणाली कानून से इतर है तो वह तथ्यामक रूप से गलत है। संशोधित मुआवजा प्रणाली के तहत एयर इंडिया ने गारंटीड फ्लाइंग अलाउंस को 20 घंटे से बढ़ाकर 40 घंटे कर दिया है। यही विवाद की जड़ बन गया है।