– ऑटिस्टिक बच्चों के लिए हुईं कई एक्टिविटीज
इंदौर। वर्ल्ड ऑटिज्म अवेयरनेस-डे पर शहर में ऑटिस्टिक बच्चों के लिए एक जागरूकता कार्यक्रम ‘वन सेंटर फॉर रिहेबिलिटेशन’ द्वारा होटल अपना एवेन्यू में आयोजित किया गया। कार्यक्रम में एक्सपर्ट ने ऑटिज्म बीमारी से जुड़ी प्रत्येक जानकारी से पैरेंट्स को अवगत कराया। डॉ. शालिनी नामदेव ने बताया कि इस इवेंट में हमने करीब 25 से 30 ऑटिस्टिक बच्चों को इनवाइट किया और उनके साथ बहुत सारी एक्टिविटीज कीं। बच्चों के साथ पैरेंट्स ने भी उन एक्टिविटीज में भाग लिया। बच्चों ने डांस किया, गेम्स खेले और ड्राइंग भी की। इन एक्टिविटी से उनमें भय कम हुआ और वे सभी से खुलकर मिले। विजेताओं को पुरस्कार भी दिए गए। पैरेंट्स अपने बच्चों में जो समस्या देख रहे हैं उन्होंने बताया और उस पर एक्सपर्ट ने अपने सुझाव दिए। यह एक ऐसा कार्यक्रम था जहां हर पैरेंट ने अपने अनुभव से दूसरों को जानकारी दी जो सामूहिक रूप से सभी के लिए लाभदायक सिद्ध हुई।
ऑटिज्म एक मानसिक विकार
डॉ. शालिनी नामदेव ने बताया कि ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसॉर्डर एक मानसिक विकार है जो जन्म से आता है। चार साल की उम्र तक में विकसित होने वाला वाली इस बीमारी के कारण बच्चे लोगों से घुलने मिलने में हिचकिचाते हैं किसी भी बात पर गुस्सा ज्यादा करते हैं एक जगह बैठने में परेशानी होती है। नज़रें ना मिलना, चिड़चिड़ापन इसके आम लक्षण हैं।
क्या ध्यान रखें माता-पिता
1. अपने नाम पर आवाज़ लगाने पर जवाब न देना
2. अपनी ही दुनिया में रहना ख़ुद से बातें करना
3. किसी भी सामान्य वस्तु का पूछने पर पॉइंट न करना
4. हर वक्त हाइपर एक्टिव रहना एक जगह पर न बैठना
5. तेज़ आवाज़ और ऊंचाई से डरना
6. बात बात पर क्रोध और गुस्सा करना
बच्चों के साथ कैसा व्यवहार करें
– उनके साथ ज्यादा समय बिताएं
– उन्हें मोबाइल TV से दूर रखें,
– उनके इस रोग के बारे में घर में सब को बताये ताकि हर वक्त कोई न कोई बच्चों के साथ रहे।
– उन्हें नॉर्मल स्कूल में नार्मल बच्चों के साथ रखें ताकि वह एक सामान्य जीवन जीना सीखें।
– हर दिन गार्डन भेजें ताकि उनका ग़ुस्सा कम हो