सोमवार को स्वर्णिम भारत मंच रखेगा मांग…..
उज्जैन । महाकाल लोक का लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कर चुके है पूरे विश्व इसके लिए मध्यप्रदेश सरकार सहित पूरे प्रशासन की प्रशंसा कर रहा है । महाकाल लोक के लोकार्पण अवसर पर पूरा शहर सजाया गया था जिसकी चमक दमक अभी भी है । देशभर से सन्त व कई विभूतियों ने इस ऐतिहासिक आयोजन में सहभागिता की थी । प्रधानमंत्री ने भी उज्जैन का अपने उद्बोधन में महिमा मंडन खूब किया और करनस भी चाहिये क्योंकि बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन अपने आप मे आध्यत्मिक पावन नगरी है 12 वर्षों में एक बार सिहंस्थ महाकुंभ का आयोजन होता है पूरी दुनिया उज्जैन आने के लिए उत्साहित रहती है परन्तु अब महाकाल लोक के अद्भुत नवनिर्माण से पूरे विश्व पटल पर उज्जैन का नाम छा गया है । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगभग 3 घण्टे का समय देकर उज्जैन वासियों के ह्रदय को छू लिया परन्तु इतना सब होने के बाद भी एक बहुत बड़ा कलंक लगा हुआ है और वो है महाकाल लोक के बिल्कुल पास मांस का बहुत एक बड़ा उद्योग है । जहां कई घरों में बेजुबान जानवरों को काटकर मांस का विक्रय किया जाता है। इसी के साथ प्रतिबंधित संगठन सिमी व पीएफआई के तार भी यही से हर बार जुड़े मिलते है ।
इसके खिलाफ स्वर्णिम भारत मंच द्वारा प्रशासन से कई सालों से मांग की जा रही है परन्तु कोई सुध लेने को तैयार नही है । मांस मदिरा व कत्लखानों को हटाने के लिए ब्रह्मलीन संत प्रतितराम राम स्नेही जी के आंदोलन के बाद नगर पालिका निगम ने 2004 में एक ठहराव प्रस्ताव पास किया था उस प्रस्ताव का आज तक अमल नही हुआ है । सोमवार को स्वर्णिम भारत मंच महापौर मुकेश टटवाल से मांग करेगा कि 2004 में पवित्र नगरी के सबन्ध में एक प्रस्ताव पास हुआ था उसका अमल क्यो नही किया जा रहा है।
स्वर्णिम भारत मंच के संयोजक दिनेश श्रीवास्तव ने कहा कि उज्जैन पवित्र नगरी में से खासकर महाकाल मंदिर के 2 किमी क्षेत्र व समस्त धार्मिक स्थलों के आसपास अंडे चिकन मटन मदिरा की दुकानों को हटाने के लिए नगर पालिका निगम की एमआईसी ने 9 फरवरी 2004 को एक प्रस्ताव पास कर निगम सम्मेलन में 24 फरवरी 2004 को रखा था जिसमे सर्व सहमति से निर्णय लेकर उस प्रस्ताव को पारित कर दिया गया लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण आज तक उस निर्णय का पालन नही हो पाया है । स्वर्णिम भारत मंच सोमवार को महापौर मुकेश टटवाल से मिलकर मांग करेगा कि उक्त प्रस्ताव का पालन कराया जाए ।
ब्राह्मिल संत प्रतिराम स्नेही की आत्मा थी पवित्र नगरी में …….
पवित्र नगरी से कत्लखानों व मांस मदिरा की दूकानों को हटाने के लिये ब्रह्मलीन संत प्रतिराम रामस्नेही जी ने अपने प्राण त्याग दिए परन्तु नगर निगम ,जिला प्रशासन व मध्यप्रदेश सरकार ने उनके बलिदान को याद नही रखा । मध्यप्रदेश सरकार ने 31 अक्टूम्बर 2005 को एक गजट नोटिफिकेशन जारी किया था जिसमें सात नगरियों को उज्जैन सहित पवित्र घोषित किया था परन्तु केवल उज्जैन सम्पूर्ण नगर की बजाय महज 200 मीटर कर दिया जिससे संत प्रतितराम जी को बहुत असहनीय पीड़ा हुई वे चीखते पुकारते ब्राह्मिल हो गए लेकिन उनकी मन्सा पूरी नही हुई । आज भी एक सन्त की आत्मा भटक रही है ।