भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति में दो बड़े नेताओं मध्य प्रदेश के सत्यनारायण जटिया और राजस्थान के ओम प्रकाश माथुर का आना काफी महत्वपूर्ण है। भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के लिए भले ही अगला बड़ा मिशन 2024 का लोकसभा चुनाव हो, लेकिन उसके पहले होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए भी वह लगातार रणनीति बनाने में जुटा हुआ है
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भाजपा में केंद्रीय स्तर पर हुए बड़े बदलावों का मध्य प्रदेश और राजस्थान की सियासत पर असर संभव है। इन दोनों राज्यों में अगले साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसे देखते हुए पार्टी संगठन के स्तर पर कुछ बदलाव कर सकती है। चूंकि मध्य प्रदेश में भाजपा सत्ता में है, इसलिए सरकार के स्तर पर भी कुछ बदलाव की संभावना है।
भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति में दो बड़े नेताओं मध्य प्रदेश के सत्यनारायण जटिया और राजस्थान के ओम प्रकाश माथुर का आना काफी महत्वपूर्ण है। भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के लिए भले ही अगला बड़ा मिशन 2024 का लोकसभा चुनाव हो, लेकिन उसके पहले होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए भी वह लगातार रणनीति बनाने में जुटा हुआ है।
मध्य प्रदेश और राजस्थान में अगले साल नवंबर-दिसंबर में चुनाव होने हैं और यह दोनों राज्य लोकसभा की रणनीति के तहत भी काफी महत्वपूर्ण है। इनमें मध्य प्रदेश में अभी भाजपा सत्ता में है, जबकि राजस्थान में वह विपक्ष में है। राजस्थान के राजनीतिक माहौल को भाजपा अपने पक्ष में मान रही है, जबकि मध्य प्रदेश में ऐसी स्थिति नहीं है।
जमीनी हालात पर नजर
मध्य प्रदेश में भाजपा ने अपने वरिष्ठ नेता सत्यनारायण जटिया को केंद्रीय संसदीय बोर्ड में शामिल किया है। बोर्ड में होने के नाते जटिया केंद्रीय चुनाव समिति में भी पदेन सदस्य रहेंगे। बोर्ड में अब तक मध्य प्रदेश का प्रतिनिधित्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कर रहे थे। यह महत्वपूर्ण है कि जटिया भी मध्य प्रदेश से हैं वह प्रदेश अध्यक्ष, केंद्रीय मंत्री एवं विभिन्न पदों पर रह चुके हैं।
इससे केंद्रीय संसदीय बोर्ड से लेकर केंद्रीय चुनाव समिति तक मध्य प्रदेश के मामलों में जटिया की राय महत्वपूर्ण होगी। केंद्रीय नेतृत्व को शिवराज सिंह चौहान पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। वैसे ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा आने के बाद राज्य के भाजपा के समीकरण काफी बदले हैं।
खेमेबाजी पर अंकुश की कोशिश
राजस्थान में भाजपा की सबसे बड़ी दिक्कत वहां उसका अंदरूनी टकराव है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और उनका विरोधी गुट केंद्र की बार-बार नसीहत के बाद भी समन्वय नहीं कर पा रहा है। वसुंधरा विरोधी खेमे में भी केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया कई बार अलग-अलग राह चलते हैं।
सूत्रों के अनुसार भाजपा राजस्थान में किसी को भी मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश नहीं करेगी। ऐसे में चुनाव में वसुंधरा राजे खेमे की नाराजगी बाहर आ सकती है। इसे नियंत्रित करने के लिए पार्टी में ओम प्रकाश माथुर को केंद्रीय चुनाव समिति में शामिल कर उनका कद बढ़ाया है।