मुख्य बाजार में अतिक्रमण और ट्रैफिक जाम से सड़कों पर आफत
नलखेड़ा (प्रदीप चौबे)–शहर के अतिक्रमण के कारण ट्रैफिक जाम की व्यवस्था ने नगर में विकराल रूप धारण कर लिया है। हर दिन लगने वाला जाम न सिर्फ लोगों के लिए मुसीबत बन गया बल्कि व्यापार की दृष्टि से भी यह जाम अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रहा है। मुख्य सड़कों पर राहगीर और वाहनों का आवागमन रामभरोसे है। खास बात यह है कि जिम्मेदार भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। दो किलोमीटर लंबे दायरे में फैले कस्बे के प्रमुख बाजार में दुकानदारों व ठेलों के अतिक्रमण से सड़क आधी घिर गई है। सड़क पर बार बार जाम से वाहन चालक और राहगीरों को जूझना पड़ रहा है। बेलगाम बढ़ते अतिक्रमण और अनियंत्रित ट्रैफिक से आमजन परेशान हैं। दुकानदारों ने अपनी दुकानों के आगे सड़क पर काफी आगे तक तख्ते, बैंच, तंबू तिरपाल लगाकर बिक्री के लिए सामान सड़क पर सजा रखा है। कई जगह पूरी दुकानदारी ही सड़क पर चल रही है। सड़क पर ही ग्राहक के लिए कुर्सी डाल देते हैं। मुख्य मार्गो की दुकानों, गुमटी और ठेलों के आगे भी लोग अपनी मोटरसाइकिल खड़ी कर देते हैं। अतिक्रमण ने पूरे बाजार का हुलिया बिगाड़कर रख दिया है। अतिक्रमणकारी किस कदर निरंकुश हो गए हैं, इसका नजारा कस्बे की लखुन्दर नदी से माँ बगलामुखी मन्दिर एवं गणेश दरवाजा तक देखा जा सकता है, जहां लगभग 35 फीट चौड़ा रास्ता सिकुड़कर वर्तमान में महज 13 फीट रह गया है। जबकि यहां सड़क के दोनों तरफ फुटपाथ की जगह पर पूरी तरह दुकानदारों का कब्जा हो गया है।नगर की बिगड़ी यातायात व्यवस्था एक बार फिर सुर्खियो में है। क्योकि बिगड़ी यातायात व्यवस्था के कारण आए दिए जाम लगना एवं दुर्घटनाएं होना शहर में आम बात हो गई है। वही आए दिन सड़को पर लग रहे जाम से नागरिको का पैदल चलना भी दुभर हो गया है, लेकिन यातायात व्यवस्था को सुधारने के लिए प्रशासन और नगर परिषद् ने कोई कदम नही उठाया है, जिससे लोगों में आक्रोश है। फसलों का सीजन आते ही प्रति वर्ष हमेशा नगर में ऐसे ही हालात बनते है, पिछली बार तो इन हालातों से निपटने के लिए पुलिस प्रशासन द्वारा योजना बनाकर यातायात व्यवस्था को सुचारू किया गया था, लेकिन इस बार प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान नही है। वही नगर की यातायात व्यवस्था का मुद्दा वर्षो पुराना मुद्दा है, क्योकि नगर में यातायात व्यवस्था वर्षो से बिगड़ी हुई है। और हर बार शान्ति समिति की बैठक या प्रशासनिक स्तर की बैठकों में यातायात का मुद्दा उठाया जाता है एवं वह मुद्दा प्रोसेडिंग में लिखा जाता है, लेकिन उस समय जो यातायात व्यवस्था को सुधारने की बात प्रशासनिक अधिकारियों और नगर के जनप्रतिनिधियों द्वारा कही जाती है, वह लिखावे मात्र रह जाती है, एवं हालात ज्यौ के त्यौ बने रहते है।
दुर्घटनाओं का बना रहता है खतरा
गौरतलब है कि नगर की सड़को पर पैदल यात्रियो सहित स्कूली छात्र-छात्राओं को भारी वाहनों के कारण हमेशा दुर्घटना का डर बना रहता है। भारी वाहनो से लग रहे जाम के कारण आए दिन छोटी-मोटी दुर्घटनाएं भी घटित हो रही है। हालांकि प्रशासन द्वारा कई बार व्यवस्थाएं बनाने प्रयास भी किए गए है लेकिन कुछ ही दिनो में यह कार्रवाई दिखावा बन कर रह जाती है।
भारी वाहनों से सबसे ज्यादा परेशानीबाजार से सामान खरीदने वाले किसान भी अपने टैक्टर-टॉलियों को बीच बाजार में खडा कर देते है। जिससे भी नगर में जाम की स्थिति बन जाती है। इसके अलावा हाथ ठेला व्यापारी एवं दो पहिया वाहन भी नगर में जाम की स्थिति निर्मित कर रहे है। यदि प्रशासन टैक्टर-ट्रालियो एवं दों पहिया वाहनों के लिए पार्किग की उचित व्यवस्था कर देता है, तो कुछ हद तक यातायात व्यवस्था को सुचारू किया जा सकता है।
मुख्य मार्ग पर पर्याप्त है सड़को की चौड़ाई
नगर में मुख्य मार्ग पर सड़कों की चौड़ाई पर्याप्त है। परन्तु नगर की रात में चौड़ी नजर आने वाली सड़कें दिन में संकरी हो जाती हैं। मुख्य मार्गो पर निर्मित दुकाने नगर परिषद् से प्राप्त परमिशन से कही अधिक कब्जा कर दुकानदार दुकाने संचालित कर रहे है। आखिर सवाल यह उठता है, कि जिम्मेदारों को पता होने के बावजूद कार्यवाही क्यों नहीं की जाती है ? बेतरतीब तरीकों से बन रहे वाहनों और इन दुकानों पर पहुंचे ग्राहकों के वाहनों से जाम की स्थितियां बन रही है।
पार्किंग का अभाव
नगर में मां बगलामुखी का विश्व प्रसिद्ध मंदिर होने से नगर में यातायात का दबाव बना रहता है। सम्पूर्ण नगर में पार्किंग व्यवस्था का अभाव है। अव्यवस्थित जाम का आलम यह है कि मंदिर में पधारें दर्शनार्थियों को लखुन्दर नदी से मंदिर तक पहुँचने में काफी ज्यादा समय लग जाता है। ऐसे में जाम में फंसकर दर्शनार्थी परेशान होता रहता है। यहां प्रमुख समस्या पार्किंग का अभाव है। पार्किंग नहीं होने के कारण फुटपाथों एवं सड़कों किनारे वाहनों का जमघट लगा रहता है। स्थिति यह रहती है कि लोगों को पैदल निकलने में भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। बाजार में सड़क तक दुकानें सजी हुई हैं। चारो तरफ अतिक्रमण होने से सड़कें संकरी हो गई है। वहीं माँ बगलामुखी मंदिर के मुख्य मार्ग के दोनों ओर बने फूटपाथ जिस प्रयोजन हेतु बनाए गए उनका केवल मात्र दुरूपयोग किया जा रहा है।
सड़कों तक फैला आतिक्रमण
गणपति दरवाजे से चौक बाजार तक की स्थिति तो काफी बदतर अव्यवस्था में पहुंच गई है। इस मार्ग की हालत यह हो गई कि यदि नगर में एक वाहन बाजार में खड़ा हो जाता है, तो जाम की स्थिति बन जाती है। जिसका सबसे बड़ा कारण यहां पर फैला हुआ सड़क तक अतिक्रमण है। व्यापारियों द्वारा अपनी दुकानें खोलने के साथ ही अपने सामान को सड़क तक फैला लिया जाता है। बदहाल यातायात के मुख्य चौराहों पर लग रहे पल-पल जाम के कारण हर कोई त्रस्त है लेकिन जिम्मेदार अधिकारी सबकुछ जानकर भी इस समस्या को लेकर अनभिज्ञ बने हुए हैं। जिम्मेदारों द्वारा अतिक्रमण हटाने के नाम पर मात्र खानापूर्ति की जाती है। जिसका शिकार गरीब हाथठेले वाले बन जाते है। जिन्है डरा धमकाकर दो-चार दिन हेतु अपनी वाहवाही लूट कर हालातों को पुनः वही शक्ल दे दी जाती है। और वास्तविक अतिक्रमणकारियों पर कोई कार्यवाही नहीं की जाती है।
माँ बगलामुखी मंदिर तक वैकल्पिक मार्ग की व्यवस्था
आगामी 2 अप्रैल से चैत्र नवरात्र प्रारम्भ हो रहे है। नवरात्रि में आसपास के क्षैत्र सहित पूरे देश-प्रदेश से श्रद्धालुओ का आवागमन बना रहता है। जिस हेतु यातायात व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालन हेतु प्रशासन द्वारा ग्राम गुदरावन के बाहर से लखुन्दर नदी में से होते हुए मंदिर तक पहुँचने हेतु वैकल्पिक मार्ग की व्यवस्था की है। परन्तु शहर के अतिक्रमण और यातायात व्यवस्था के सुधार हेतु अभी कोई उचित कदम नहीं उठाए है। यदि प्रशासन चाहे तो नवरात्रि पूर्व इस अतिक्रमण की विकट समस्या को स्थायी रूप से हल कर इस विकट समस्या से शहर को निजात दिला सकते है।