• 12 दिसंबर से फेयरफील्ड बाय मैरियट में शुरू हो रहा है
इंदौर, 12 दिसंबर 2025। खानपान की दुनिया में एक यादगार अनुभव जोड़ते हुए फेयरफील्ड बाय मैरियट इंदौर ने ऐसा आयोजन तैयार किया है जो मेहमानों को दिल्ली की ऐतिहासिक गलियों और उनके सदाबहार स्वादों की यात्रा पर ले जाएगा। यह विशेष आयोजन “पुरानी दिल्ली का ज़ायका” 12 दिसंबर से 20 दिसंबर 2025 तक चलेगा और इंदौर के भोजन प्रेमियों को पुरानी दिल्ली की ऐतिहासिक गलियों, सदियों पुरानी पाक विधाओं और मशहूर व्यंजनों के असली स्वाद से रूबरू कराएगा। यह फेस्टिवल शहरवासियों को दिल्ली की रूह, उसकी खुशबू और उसकी पारंपरिक रसोई का अनुभव दिलाने के लिए तैयार किया गया है।
फेयरफील्ड बाय मैरियट इंदौर के मैनेजर श्री सुदीप सिन्हा ने बताया कि* “यह फूड फेस्टिवल केवल व्यंजनों का परिचय मात्र नहीं है, बल्कि पुरानी दिल्ली की सांस्कृतिक और पाक विरासत का अनुभव है। चांदनी चौक, जामा मस्जिद, परांठे वाली गली और दरियागंज की पहचान बन चुके व्यंजनों की वही रौनक, वही महक और वही प्रामाणिकता आधुनिक माहौल में महकेगी। पारंपरिक रेसिपीज़ की तैयारी के लिए विशेषज्ञ शेफ्स ने क्लासिकल कुकिंग तकनीकों का उपयोग किया है, ताकि मेहमानों तक पुरानी दिल्ली का असली स्वाद पहुँच सके।फूड फेस्टिवल में दो विशेष थीम पर आधारित सेक्शंस तैयार किए गए हैं। पहला सेक्शन है चांदनी चौक की चाट और पकवान, जहाँ मेहमान पुरानी दिल्ली के लोकप्रिय स्ट्रीट फूड का जीवंत अनुभव करेंगे। इसमें परांठे वाली गली के प्रसिद्ध भरवाँ परांठे, दही भल्ले, आलू टिक्की, गोलगप्पे, दिल्ली वाले छोले कुलचे, छोले भटूरे और दिल्ली शैली के स्टीम्ड मोमोस शामिल किए गए हैं। बदामी पूरी और मसालेदार आलू की सब्ज़ी भी इस सेक्शन का आकर्षण होंगी।
दूसरा सेक्शन दस्तरख़्वान ए मुगलई पुरानी दिल्ली की समृद्ध मुगलई पाक परंपरा को समर्पित है। इसमें मटन नल्ली निहारी, चिकन चेंजेज़ी, मटन और चिकन इश्तू जैसी धीमी आँच पर पकाई जाने वाली क्लासिक डिशेज़ अपने असली स्वाद के साथ परोसी जाएंगी। सीक कबाब और शामी कबाब खमीरी रोटी के साथ परोसे जाएंगे, जिससे मेहमानों को मुगलई व्यंजनों की गहराई और नज़ाकत का स्वाद मिल सके।आगे श्री सिन्हा बताते हैं कि “फेयरफील्ड बाय मैरियट इंदौर का कहना है कि यह फूड फेस्टिवल केवल स्वाद का उत्सव नहीं है, बल्कि एक सांस्कृतिक यात्रा है।
पुरानी दिल्ली का हर व्यंजन अपनी अनूठी विरासत, विविध समुदायों और पीढ़ियों से आगे बढ़ाई जा रही परंपराओं को दिखाता है। हमारा उद्देश्य इंदौर के लोगों को ऐसा मौका प्रदान करना है कि वे बिना दिल्ली जाए उसकी पाक परंपरा को महसूस कर सकें।”
