• विशेषज्ञों ने बताया – समय पर इलाज और अंगदान ही है किडनी रोगियों की सबसे बड़ी ज़रूरत
• नई दवाओं और लाइफस्टाइल बदलाव पर केंद्रित रहे सेशन्स, आमजन को भी दी अहम सीख
• देशभर से आए डॉक्टरों ने साझा किए अनुभव, शोध और आधुनिक तकनीकों की झलक
*इंदौर, 13 सितम्बर 2025* – इंडियन सोसाइटी ऑफ नेफ्रोलॉजी, वेस्ट ज़ोन चैप्टर (आईएसएन डब्ल्यूज़ेड) एनुअल साइंटिफिक कॉन्फ्रेंस का दूसरा दिन 13 सितम्बर 2025 को मैरियट होटल इंदौर में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। कॉन्फ्रेंस का दूसरा दिन नॉलेज, इनोवेशन और एक्सपीरियंस से भरपूर रहा। कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन की शुरुआत के सेशन में देश-भर से आए विशेषज्ञों ने आधुनिक इलाज और तकनीकों पर विचार साझा किए। इंटरैक्टिव लेक्चर्स और हैंड्स-ऑन ट्रेनिंग से युवा किडनी रोग विशेषज्ञों को वास्तविक अनुभव मिला।
दिनभर चले विभिन्न सेशन्स में किडनी से जुड़ी बीमारियों के अहम विषयों पर गहन चर्चा हुई। कॉनफ़्रेंस हॉल्स में संवाद और विचारों का आदान-प्रदान लगातार चलता रहा। किडनी के उपचारों के साथ-साथ प्रतिभागियों को रिसर्च के नवीनतम ट्रेंड्स से भी रूबरू कराया गया।
तमिलनाडु से आए डॉ. गोपाल कृष्णन ने कहा – “किडनी की बीमारियों में सबसे अहम है समय पर इलाज मिलना और जिन मरीजों को प्रत्यारोपण की ज़रूरत होती है, उन्हें समय पर किडनी उपलब्ध होना। इसके लिए अंगदान के प्रति जागरूकता बढ़ाना बेहद ज़रूरी है, क्योंकि आज भी देश में कई मरीज अंगदान के इंतजार में अपनी बीमारियों से जूझते रहते हैं। हमें सिर्फ किडनी ही नहीं, बल्कि अन्य अंगदान की दिशा में भी कदम बढ़ाने चाहिए। इस काम में सरकार, लोग, सिस्टम और डॉक्टर – सभी का समान योगदान है।”
मुंबई से आईं डॉ. श्रुति टापियावाला ने कहा कि “कॉनफ़्रेंस का दूसरा दिन नवाचार और नई दवाओं पर केंद्रित रहा। किस तरह ये दवाएं मरीजों के लिए लाभदायक हैं और किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, इस पर विस्तार से चर्चा हुई। कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली कई दवाएं किडनी पर असर डालती हैं। आम जनता को यह संदेश देना भी ज़रूरी है कि चीनी, नमक और मैदा – ये तीन चीजें सेहत को गंभीर नुकसान पहुँचाती हैं। इनसे बचकर एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाएँ ताकि डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट की ज़रूरत ही न पड़े।”
मुंबई से आए डॉ. भरत शाह ने कहा कि “लाइफस्टाइल और खानपान के अलावा कई अन्य कारण भी किडनी पर असर डालते हैं। कुछ राज्यों में दूषित पानी या फसलों पर छिड़के जाने वाले कीटनाशक भी लोगों की किडनी को नुकसान पहुँचाते हैं। यदि हम बेहतर खानपान और संतुलित जीवनशैली अपनाएँ, तो किडनी की बीमारियों से बचा जा सकता है और एक सामान्य जीवन जिया जा सकता है। हमें यह समझना होगा कि स्वास्थ्य हमारी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए, क्योंकि एक स्वस्थ शरीर ही स्वस्थ समाज और स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण करता है।”
ऑर्गनाइजिंग चेयरमैन डॉ. प्रदीप सालगिया ने कहा कि “कॉन्फ्रेंस का दूसरा दिन नई खोजों को समर्पित रहा। विशेषज्ञों ने जटिल बीमारियों और उनके आधुनिक उपचार पर उपयोगी जानकारी साझा की, जिससे प्रतिभागियों को लाभ हुआ।”
ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. राजेश भराणी ने बताया कि “आज हुए सत्रों ने यह स्पष्ट किया कि किडनी से जुड़ी बीमारियों में समय पर पहचान और नई दवाओं का सही उपयोग बेहद अहम है। आने वाले समय में इस तरह के संवाद मरीजों के बेहतर इलाज की राह खोलेंगे।”
