इंदौर – छठ महापर्व के तीसरे दिन आज बुधवार को शहर एवं इसके आसपास क्षेत्रों – महू, राउ, पीथमपुर, देवास, उज्जैन में बसे पूर्वांचल के हज़ारों छठ व्रतधारी कोरोना काल में सामाजिक दुरी तथा कोरोना से बचने के सभी सावधानियों का निर्वहन करते हुए प्राकृतिक जलाशयों, कृत्रिम जलकुण्डों में खड़े होकर गोधूलि बेला में अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगे। पूर्वोत्तर सांस्कृतिक संस्थान जो पूर्वोत्तर समाज के लोगों की शहर में सबसे बड़ी संस्था है, के आवाहन एवं अपील पर इस वर्ष दो सालों में पहली बार शहर के श्रद्धालुगण सार्वजनिक जलाशयों तथा कृत्रिम जलकुण्डों में खड़े होकर सूर्यदेव को कोरोना नियमों का अनुपालन करते हुए अर्घ्य देंगे तथा अपने संतानों, परिवारों के अच्छे स्वास्थ्य, उनके दीर्घायु एवं सुख समृद्धि की कामना करने के साथ कोरोना महामारी का देश एवं पुरे विश्व से यथाशीघ्र निर्मूलन का छठी मैया से कामना करेंगे।
पूर्वोत्तर सांस्कृतिक संस्थान के महासचिव के के झा, संगठन मंत्री बटेश्वर सिंह ने कहा कि आज सुबह से ही शहर के समस्त पूर्वांचल परिवारों में, खासकर छठ व्रतियों के घरों में उत्सव एवं उल्लास का माहौल था। जहाँ परिवार की महिलाऐं अपने अपने घरों की साफ़ सफाई कर खरना का प्रसाद बनाने में व्यस्त थी, वहीँ दूसरी तरफ घर के पुरुष छठ पूजा एवं पूजा में उपयोग होने वाले फलों की खरीदारियों में व्यस्त रहे। प्रसाद के रूप में महिलाओं ने गुर एवं गेहूं, घी मिश्रित ठेकुआ के अलावा चावल के भुसवा, इत्यादि का प्रसाद मिटटी के बने चूल्हे पर बनाया।
छठ महापर्व के दूसरे दिन मंगलवार को छठ व्रतियों के घरों में खरना का आयोजन हुआ। दिन भर व्रत रखने के पश्चात व्रतियों ने शाम को गंगाजल मिश्रित जल से स्नान करने के पश्चात भगवान सूर्य का ध्यान कर छठ मईया का पूर्ण विधि विधान से पूजा किया। उसके बाद मिटटी के बने चूल्हे पर पूर्ण स्वछता एवं पवित्रता के साथ अरवा चावल, दूध व गुड़ की खीर और गेहूं की रोटी का प्रसाद बनाकर कर भगवान सूर्य और छठ मईया को समर्पित करने के पश्चात, उसे ग्रहण किया।
इसके साथ ही व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो गया। व्रती अपने निर्जला उपवास का पारण गुरुवार (11 नवंबर) को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के पश्चात करेंगे।