बिलासपुर, 28 जनवरी । छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में मंगलवार को बस्तर के जिलों में सोलर लाइट और अन्य उपकरणों को लेकर हुए कथित भ्रष्टाचार और अनियमितता के मामले में सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायाधीश रविन्द्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बैंच में इस कथित भ्रष्टाचार के मामले में प्रकाशित समाचार रिपोर्ट को स्वतः संज्ञान में लेकर सुनवाई करते हुए पूरे मामले में शासन को रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिया हैं।
दरअसल इस स्वतः संज्ञान जनहित याचिका में छत्तीसगढ़ राज्य में वर्ष 2021 से 2023 के बीच बस्तर के विभिन्न गांवों में संबंधित अधिकारियों द्वारा बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और अनियमितताएं होने और आदर्श ग्राम योजना, प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना, खनिज न्यास निधि और क्षमता विकास निधि जैसे विभिन्न मदों के तहत उपलब्ध धनराशि का दुरुपयोग संबंधित मामले की जानकारी सामने आई। वहीं आवश्यकता से कहीं अधिक लागत पर सौर स्ट्रीट लाइट लगाई गई। मीडिया रिपोर्ट में बताया गया कि बस्तर संभाग में 181 गांवों में 3620 सौर स्ट्रीट लाइट 2500 रुपये प्रति यूनिट की दर से लगाई गई। प्रति स्ट्रीट लाइट 47,600 रुपये की लागत से 17.23 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। इसी प्रकार जिला सुकमा में 85 लाख रुपये, जिला जांजगीर में 2.96 करोड़ रुपये, जिला कोंडागांव में 8 करोड़ रुपए तथा जिला कांकेर में 14.40 लाख रुपये सोलर स्ट्रीट लाइट लगाने में खर्च किए गए हैं। पिछली सुनवाई के दौरान इसको लेकर छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (संक्षेप में क्रेडा) के अधिवक्ता देवर्षि ठाकुर ने बताया था कि सोलर स्ट्रीट लाइट खरीदने की प्रक्रिया उचित नहीं थी तथा संपूर्ण निविदा प्रक्रिया क्रेडा के माध्यम से की जानी चाहिए थी, जो वर्तमान मामले में नहीं की गई है। राज्य के अधिकारियों को पूरी जानकारी थी, लेकिन उन्होंने इस पर ध्यान नहीं दिया। यहां तक कि भंडार क्रय नियम के तहत निर्धारित नियमों का भी उल्लंघन किया गया है।
मंगलवार को बैंच के सामने छत्तीसगढ़ सरकार के ऊर्जा सचिव ने अपना व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल किया। वहीं शासन की ओर से अधिवक्ता शशांक ठाकुर ने जांच के बाद एफआईआर किए जाने और राज्य असेंबली की आंतरिक समिति गठन किए जाने की जानकारी दी। वहीं इस मामले में जांच की रिपोर्ट जल्द पेश करने की जानकारी दी। वहीं अब इस मामले में अगली सुनवाई 19 फरवरी 2025 को होगी।