लोक सभा अध्यक्ष ने संसद परिसर में भारतीय राजस्व सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों को किया संबोधित
नई दिल्ली, 03 दिसंबर । लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आज इस बात पर जोर दिया कि भारत की टैक्स प्रणाली दुनिया में सबसे श्रेष्ठ प्रणाली है, जिसमें पारदर्शिता, कानून का शासन और कर नीतियों में स्थिरता है। इन नीतियों और कानूनों के कारण, पूरी दुनिया की कंपनियां और वहां के लोग भारत में निवेश करना चाहते हैं। ओम बिरला ने कहा कि स्थिर कर नीति के कारण भारत वैश्विक निवेशकों के लिए पसंदीदा निवेश स्थलों में से एक बन गया है। कर सुधार उपायों, विशेष रूप से जीएसटी का उल्लेख करते हुए, बिरला ने इस बात पर प्रकाश डाला कि हाल में किए गए इन उपायों से कराधान सरल हुआ है और भारत में व्यापार करना आसान हो गया है। उन्होंने कहा कि जीएसटी ने हमारे देश में ‘एक राष्ट्र, एक कर’ की प्रणाली शुरू की है और पूरा विश्व इससे सीखने को उत्सुक है।
बिरला ने कहा कि संसद और सरकार ने समय-समय पर कराधान प्रणाली में सुधार किए हैं, यही कारण है कि आज भारत की टैक्स प्रणाली दुनिया में सबसे पारदर्शी और विश्वसनीय मानी जाती है। उन्होंने कहा कि आईआरएस अधिकारियों द्वारा किए गए उत्कृष्ट कार्य से भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत हुई है, जिसके कारण दुनिया भर के निवेशक भारत में निवेश करना चाहते हैं।
बिरला संसद भवन परिसर में आईआरएस (सीमा शुल्क और अप्रत्यक्ष कर) के 73 अधिकारी प्रशिक्षुओं (ओटी) के लिए संसदीय प्रक्रियाओं और कार्यपद्धतियों में प्रशंसा पाठ्यक्रम के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। इस समूह में 74वें और 75वें बैच के अधिकारी और रॉयल भूटान सीमा शुल्क के 5 अधिकारी प्रशिक्षु शामिल थे। इस पाठ्यक्रम का आयोजन संसदीय लोकतंत्र अनुसंधान और प्रशिक्षण संस्थान (प्राइड), लोकसभा सचिवालय द्वारा किया गया था।
बिरला ने युवा प्रशिक्षु अधिकारियों को बताया कि जहां 1947 में बजट 175 करोड़ रुपये था, वहीं आज हमारा बजट 40 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। उन्होंने कहा कि यह उनके जैसे अधिकारियों के प्रयासों और योगदान का परिणाम है। इस बात पर जोर देते हुए कि हमारे संविधान और साझे लोकतांत्रिक मूल्यों से भारत की प्रगति का मार्ग प्रशस्त हुआ है, बिरला ने कहा कि हमारे संस्थापकों ने संसदीय लोकतंत्र का एक ऐसा मॉडल स्थापित किया है जिसने दुनिया को दिखाया है कि विभिन्न भाषाओं, धर्मों और संस्कृतियों के लोगों वाली विविध आबादी को कैसे एकजुट किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि देश की लोकतांत्रिक यात्रा के 75 वर्षों में भारत की संसद ने न केवल संविधान में संशोधन किए हैं, बल्कि समाज के हर वर्ग के लिए कल्याणकारी योजनाएं भी बनाई हैं।
इस अवसर पर बिरला के नेतृत्व में अधिकारियों को संविधान की प्रस्तावना का पाठ किया। कड़ी मेहनत के बाद आईआरएस में चयनित होने पर प्रशिक्षु अधिकारियों को बधाई देते हुए बिरला ने कहा कि अधिकारी अपनी सेवा को अपना मिशन बनाएं ताकि राष्ट्र उज्जवल भविष्य की ओर आगे बढ़े। बिरला ने इस बात पर जोर दिया कि प्रशिक्षु अधिकारियों को जो जिम्मेदारियां दी गई हैं, उन्हें उन जिम्मेदारियों का निर्वहन पारदर्शिता, ईमानदारी और दक्षता के साथ करना चाहिए। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि अपनी मेहनत, कौशल और तकनीकी ज्ञान से वे न केवल देश के राजस्व में वृद्धि करेंगे, बल्कि समाज में नैतिक मूल्यों की स्थापना भी करेंगे।
प्रशिक्षु अधिकारियों की भूमिका और जिम्मेदारियों के बारे में बात करते हुए बिरला ने कहा कि भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) राष्ट्र की समृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उन्होंने कहा कि यह सेवा राजस्व को नियमित करने, राजस्व के पारदर्शी संग्रह और ईमानदारी और निष्ठा के साथ राजस्व बढ़ाने में सबसे अग्रणी है। उन्होंने प्रशिक्षु अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि कोई भी सामान अवैध रूप से देश में प्रवेश न करे; क्योंकि इससे समाज और भावी पीढ़ियों को नुकसान पहुंचता हैं। बिरला ने आशा व्यक्त की कि इस परिबोधन पाठ्यक्रम से अधिकारियों का कार्यनिष्पादन बेहतर होगा और राष्ट्र के लिए उनके योगदान और अधिक प्रभावशाली होगा।
लोक सभा के महासचिव उत्पल कुमार सिंह ने इस अवसर पर स्वागत भाषण दिया। लोक सभा सचिवालय में संयुक्त सचिव, गौरव गोयल ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा। इस अवसर पर एनएसीआईएन के प्रधान महानिदेशक गाइगोंगडिन पनमेई भी मौजूद रहे।