Bhojshala: ज्ञानवापी की तरह अब धार भोजशाला मंदिर का भी होगा सर्वे, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का आदेश
हिंदू समुदाय के लोग भोजशाला को देवी वाघदेवी का मंदिर मानते हैं, जबकि मुस्लिम इसे कमल मौला की मस्जिद मानते हैं। इस मुद्दे पर धार में कई बार तनाव की स्थिति बन चुकी है। खासकर जब बसंत पंचमी शुक्रवार को पड़ती है
Dhar Bhojshala Case। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ज्ञानवापी की तर्ज पर धार की भोजशाला का सर्वे करेगा या नहीं, मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में सोमवार को इस बात को लेकर बहस पूरी हो गई। न्यायालय ने सभी पक्षकारों को सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया।भोजशाला को लेकर मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ के समक्ष चार अलग-अलग याचिकाएं चल रही हैं। इन्हीं में से एक याचिका हिंदू फ्रंट फार जस्टिस ने दायर की है। इसमें मांग की गई है कि मुसलमानों को भोजशाला में नमाज पढ़ने से रोका जाए और हिंदुओं को नियमित पूजा का अधिकार दिया जाए। कहा गया है कि हर मंगलवार हिंदू भोजशाला में यज्ञ कर उसे पवित्र करते हैं और शुक्रवार को मुसलमान नमाज के नाम पर उन्हीं यज्ञ कुंडों में थूककर उन्हें अपवित्र कर देते हैं।
कोर्ट ने याचिकाकर्ता के आरंभिक तर्क सुनने के बाद मामले में राज्य शासन, केंद्र शासन सहित अन्य संबंधित पक्षकारों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। इस याचिका में एक अंतरिम आवेदन प्रस्तुत करते हुए मांग की गई है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को आदेश दिया जाए कि वह ज्ञानवापी की तर्ज पर धार की भोजशाला में सर्वे करे। सोमवार को इसी अंतरिम आवेदन पर बहस हुई है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का कहना है कि वर्ष 1902-03 में भोजशाला का सर्वे हुआ था। इसकी रिपोर्ट कोर्ट के रिकार्ड में है। नए सर्वे की कोई आवश्यकता नहीं है। मुस्लिम पक्ष भी सर्वे की आवश्यकता को नकार रहा है। उसका कहना है कि वर्ष 1902-03 में हुए सर्वे के आधार पर ही भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने आदेश जारी कर मुसलमानों को शुक्रवार को नमाज का अधिकार लिया था। यह आदेश आज भी अस्तित्व में है।