इंदौर, फरवरी 26, 2024– विजय नगर स्थित लाइफ़ केयर हॉस्पिटल आज गौरवशाली क्षण का साक्षी और भागीदार बना जब हॉस्पिटल में 40 दिन पूर्व जन्म लिया सिर्फ़ 700 ग्राम का शिशु पूर्णतः स्वस्थ होकर 1.50 किलो के वजन के साथ परिवार के साथ अपने घर की ओर स्वस्थ होकर लौटा । परिवार के चेहरे पर ख़ुशी और उल्लास देखने लायक थी ।
उज्जैन के आगे ग्राम जस्तीखेड़ी ज़िला उज्जैन में रहने वाले श्री संदीप पाटीदार जी की पत्नी सिमरन गर्भवती थी किंतु मात्र छह माह ही हुए थे कि उन्हें ब्लीडिंग प्रारंभ हो गई । जब पास ही स्थित डॉक्टर से संपर्क किया तो उन्होंने सोनोग्राफी कर बताया कि बच्चेदानी के अंदर खून का थक्का जमा हुआ है जिसके कारण ब्लीडिंग हो रही है । ऐसे में बच्चे को बचाना बहुत मुश्किल है और गर्भपात भी करना पड़ सकता है । किसी ने उन्हें लाइफ़ केयर अस्पताल में जाने की सलाह दी । दंपती हॉस्पिटल पहुँचे तो अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ कनकप्रिया तिवारी ने तुरंत गर्भवती महिला का परीक्षण किया और पाया कि बच्चेदानी के अंदर खून का थक्का जमा है और निरंतर रक्त प्रवाह हो रहा था , माँ का ब्लडप्रेशर भी बढ़ा हुआ था , बच्चे के आस पास पानी की कमी थी और बच्चा गर्भ में उल्टा था । गर्भ में बच्चे का वजन मात्र 650 ग्राम परिलक्षित हो रहा था । ऐसे में सुरक्षित डिलेवरी कराना, माँ और बच्चे के बचाना एक बहुत बड़ी चुनौती है ।
तब *डॉ कनकप्रिया तिवारी , डॉ ब्रजबाला तिवारी तथा बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अक्षय वनवट , डॉक्टर विनीता अग्रवाल और डॉक्टर आशीष जायसवाल* ने टीम बनाकर इसे चुनौती के रूप में लिया । सिमरन के पूरे परिवार को साथ बिठाकर काउंसलिंग की गई और साथ ही सारी सुविधाओं के साथ सिमरन को गहन चिकित्सा इकाई में लेकर इलाज प्रारंभ किया गया । उन्हें कुछ स्पेशल इंजेक्शन एवं दवाइयां दी गई जिससे कि माँ के गर्भ में ही बच्चे के फेफड़े एवं दिमाग़ को मज़बूती मिल सके । इंजेक्शन के प्रभाव के लिए लगभग 48 घंटे का समय आवश्यक था । उसके बाद डिलीवरी कराई गई । डिलेवरी के पूर्व बच्चे के लिए यह सुनिश्चित किया जाना आवश्यक था कि अस्पताल के नवजात शिशु विभाग ( एनआईसीयू ) में ऑक्सीजन का प्रवाह निरंतर बना रहे और साथ ही संक्रमण पर पूर्ण नियंत्रण रहे । 700 ग्राम के शिशु को हॉस्पिटल के नवजात शिशु विभाग में शिफ्ट किया गया । सेप्टिक बेबी और आउट बोर्न बेबी के सेक्शन अलग होने और सभी बच्चों के बेड में NABH के अनुसार पर्याप्त दूरी होने के कारण इलाज और प्रबंधन में बहुत मदद मिली और संक्रमण को नियंत्रित करने में बहुत सुविधा रही । कम हीमोग्लोबीन और कम प्लेटलेट्स होने से बेबी सिमरन की रक्त मापदंडों की बारीक से निगरानी की गई । सोनोग्राफी , इकोकार्डियोग्राफ़ी कर गहन चिकित्सा इकाई में कड़े तापमान नियंत्रण उपाय लागू किए गए । और 40 दिनों के अथक परिश्रम के बाद डॉक्टर्स की टीम ने स्वास्थ्य शिशु को पाटीदार परिवार के सुपर्द कर अपार ख़ुशी और गौरव का अनुभव किया । टीम के साथ ही सोनोलॉजिस्ट , एनआईसीयू स्टाफ़ फूलसिंह , सिस्टर सेलेस्टोलीना, अंकिता , मनीषा , शानू और अन्य सभी ने विश्व स्तरीय देखभाल की ।इस सभी प्रक्रिया में सिमरन के माता पिता और परिवार ने ग़ज़ब का संयम और विश्वास रखा ।