स्वतंत्रता, ओर समानता भाईचारा सिखाता है” – बंटी डामोर
आँचलिक पत्रकार संघ थांदला व भाजपा नगर मंडल ने किया माल्यापर्ण।
नगर के प्रथम नागरिक नगर परिषद अध्यक्ष बंटी डामोर ने आज़ाद के सुनाये संस्मरण।
थांदला से (विवेक व्यास, माधव एक्सप्रेस) – देश के सपूत जांबाज़ अमर शाहिद आज़ाद की जन्म जयन्ति पर आँचलिक पत्रकार संघ थांदला एवम भाजपा नगर मंडल द्वारा ऐतिहासिक आज़ाद चोक पर आज़ाद की प्रतिमा पर पत्रकार गण, जनप्रतिनिधिगण, परिषद अध्यक्ष बंटी डामोर, जियोस के पूर्व अध्यक्ष व भाजपा नेता विश्वास सोनी पूर्व परिषद उपाध्यक्ष अशोक अरोरा, मंडल अध्यक्ष समर्थ उपाध्याय आँचलिक पत्रकार संघ के जिलाध्यक्ष सुधीर शर्मा युवा नेता संजय भाबर ने आज़ाद प्रतिमा पर माल्यापर्ण कर देश भक्ति के जयकारों से चौराहा गुंजायमान हो गया कार्यक़म के सम्बोधन में नगर परिषद अध्यक्ष बंटी डामोर ने आज़ाद के संस्मरण सुनाते हुवे कहा कि आज हम जिस आजाद भारत में जी रहे हैं वह कई देशभक्तों की देशभक्ति और त्याग की वेदी से सजी हुई है.भारत आज जहां भ्रष्टाचारियों से भरा हुआ नजर आता है वहीं एक समय ऐसा भी था जब देश का बच्चा-बच्चा देशभक्ति के गाने गाता था. भारत में ऐसे भी काफी देशभक्त तो ऐसे थे, जिन्होंने छोटी सी उम्र में ही देश के लिए अतुलनीय त्याग और बलिदान देकर अपना नाम स्वर्णिम अक्षरों में अंकित करवाया. इन्हीं महान देशभक्तों में से एक थे चन्द्रशेखर आजाद.
कार्यक़म को संबोधित करते हुवे अशोक अरोरा ने कहा चन्द्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई, 1906 को उत्तर प्रदेश के जिला उन्नाव के बदरका नामक गाँव में ईमानदार और स्वाभिमानी प्रवृति के पंडित सीताराम तिवारी के घर श्रीमती जगरानी देवी की कोख से हुआ. बचपन से ही उन्हें देशभक्ति में रुचि थी. 1920-21 के वर्षों में वे गाँधीजी के असहयोग आंदोलन से जुड़े. वे गिरफ्तार हुए और जज के समक्ष प्रस्तुत किए गए, जहां उन्होंने अपना नाम ‘आजाद’, पिता का नाम ‘स्वतंत्रता’ और ‘जेल’ को उनका निवास बताया. उन्हें 15 कोड़ों की सजा दी गई. हर कोड़े के वार के साथ उन्होंने, ‘वन्दे मातरम्’ और ‘महात्मा गाँधी की जय’ का स्वर बुलन्द किया. इसके बाद वे सार्वजनिक रूप से आजाद कहलाए.
कार्यक़म में युवा नेता संजय भाबर ने कहा कि सन् 1922 में गांधीजी द्वारा असहयोग आन्दोलन को अचानक बन्द कर देने के कारण उनकी विचारधारा में बदलाव आया और वे क्रान्तिकारी गतिविधियों से जुड़ कर हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के सक्रिय सदस्य बन गये।
कार्यक़म में भाजपा नेता विश्वास सोनी ने अपने संबोधन में कहा कि राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में पहले 9 अगस्त, 1925 को काकोरी काण्ड किया और फरार हो गये. बाद में एक–एक करके सभी क्रान्तिकारी पकड़े गए, पर चन्द्रशेखर आज़ाद कभी भी पुलिस के हाथ में नहीं आए.
कहानी आखिरी पल की
27 फ़रवरी, 1931 का वह दिन भी आया जब इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में देश के सबसे बड़े क्रांतिकारी को मार दिया गया. 27 फ़रवरी, 1931 के दिन चन्द्रशेखर आज़ाद अपने साथी सुखदेव राज के साथ बैठकर विचार–विमर्श कर रहे थे कि तभी वहां अंग्रेजों ने उन्हें घेर लिया. चन्द्रशेखर आजाद ने सुखदेव को तो भगा दिया पर खुद अंग्रेजों का अकेले ही सामना करते रहे. अंत में जब अंग्रेजों की एक गोली उनकी जांघ में लगी तो अपनी बंदूक में बची एक गोली को उन्होंने खुद ही मार ली और अंग्रेजों के हाथों मरने की बजाय खुद ही आत्महत्या कर ली. कहते हैं मौत के बाद अंग्रेजी अफसर और पुलिसवाले चन्द्रशेखर आजाद की लाश के पास जाने से भी डर रहे थे।
कार्यक़म में आँचलिक पत्रकार संघ की जिलाध्यक्ष सुधीर शर्मा ने वीर सपूत चंद्रशेखर आजाद के विचार को बतौर संस्मरण सुनाये
अभी भी जिसका खून ना खौला, वो खून नहीं पानी है जो देश के काम ना आए, वो बेकार जवानी है.
‘दुश्मन की गोलियों का, हम सामना करेंगे, आजाद ही रहे हैं, आजाद ही रहेंगे.’
मैं जीवन की अंतिम सांस तक देश के लिए शत्रु से लड़ता रहूंगा.
‘मेरा नाम आजाद है, मेरे पिता का नाम स्वतंत्रता और मेरा घर जेल है.’
‘यदि कोई युवा मातृभूमि की सेवा नहीं करता है, तो उसका जीवन व्यर्थ है.’
‘अगर आपके लहू में रोष नहीं है, तो ये पानी है जो आपकी रगों में बह रहा है. ऐसी जवानी का क्या मतलब अगर वो मातृभूमि के काम ना आए.’
दुश्मन की गोलियों का सामना करेंगे,आजाद ही रहे हैं, आजाद रहेंगे.
‘दूसरों को खुद से आगे बढ़ते हुए मत देखो. प्रतिदिन अपने खुद के कीर्तिमान तोड़ो, क्योंकि सफलता आपकी अपने आप से एक लड़ाई है.’
यदि कोई युवा मातृभूमि की सेवा नहीं करता तो उसका जीवन व्यर्थ है।
आयोजन में आँचलिक पत्रकार संघ इकाई थांदला अध्यक्ष शहादत खान, जावेद खान जमील खान विवेक व्यास प्रियंक शर्मा, नीलिमा डाबी,पिंकी पाठक, राकेश डाबी शाहिद खान, गो रक्षा समिति के जिलाअध्यक्ष राजू धानक मोहन भाई, मंडल कार्यकारिणी भारती सिसोदिया, जिला उपाध्यक्ष सुनीता पंवार, नटवर पंवार, सुरेश राठौड़,कपिल पाठक, प्रणव पंख, प्रशांत उपाध्याय (बाबा) मंडल महामंत्री सुनील पण्डा, जिला पंचायत सदस्यराजेश वसुनिया पूर्व विधायक प्रतिनिधि मंडल उपाध्यक्ष राकेश सोनी, आनंद राठौड़, वरिष्ठ पार्षद व भाजपा नेता रोहित बैरागी, राजू गरवाल सहित नगर के प्रबुद्धजन उपस्थित थे।
आभार के पूर्व मंडल अध्यक्ष समर्थ उपाध्याय ने कहा कि थांदला नगर में अनेको वीर सपूत महात्मा की जन्म स्थली हैनव नोनिहलो को इसकी जानकारी होना आवश्यक है ऐसे आयोजन होते रहना चाहिये व हमारी बच्चों में ऐसे वीर सपूतों के बारे में जानकारी दे कर देश हित की भावना जागृत करना चाहिये।
आयोजन का संचालन वरिष्ठ पत्रकार सुधीर शर्मा ने आभार मंडल अध्यक्ष एवम पार्षद समर्थ (गोलू) उपाध्याय ने माना।