राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (आरआरवीयूएनएल) के परसा ईस्ट केते बासेन (पीईकेबी) खुली खदान को नियमित रूप से चालू करवाने के लिए स्थानीय ग्रामवासि जिला प्रशासन और ने चुने हुए विधान सभ्यों को आवेदन सौपेंगे। कथित अभियानकारिओ के दबाव के चलते पिछले कुछ सप्ताह से पीईकेबी खदान को अतिरिक्त जमीन मिल नहीं पायी थी जिसके चलते खदान का काम स्थगित किया गया था। एक तरफ सुरगुजा जिले की सबसे बड़ी खदान बंद होने से करीब 5,000 लोगो के रोजगार पर विपरीत असर पड़ा है तो दूसरी तरफ राजस्थान को भी महंगा कोयला खरीदकर राज्य के करोडो ग्राहकों को बिजली पहुंचानी पड रही है।
राज्य में सरकार बदलने से सुरगुजा के स्थानियो में आशा बानी है की अब रोजगार और विकास विरोधी तत्वों को जिले दूर रखा जाएगा। पिछले दो साल से स्थानियो ने छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गेहलोत को अनेक बार आवेदन के अलावा कांग्रेस के राहुल गाँधी को भी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान अपनी बात पहुंचाने का प्रयास किया था। अशोक गेहलोत ने भी अपने नेता राहुल गाँधी और सोनिया गाँधी को अपने राज्य को हो रही सस्ते कोयले की किल्लत के बारे में अवगत कराया था। हालाँकि ग्रामवासिओ को कोई सफलता मिली नहीं थी और करीब दो महीने से खदान बंद हो जाने से उनकी रोजी रोटी भी छीन गयी थी।
राज्य के साथ साथ सुरगुजा जिले में भी आये राजकीय बदलाव के चलते ग्राम परसा, फत्तेपुर, बासेन, घाटबर्रा, साल्हि, इत्यादि के निवासियों ने अपनी बात नए प्रतिनिधिओ के सामने रखने का मन बना लिया है। ग्रामवासिओ के प्रतिनिधिओ ने पीईकेबी खदान के पक्ष में विगत से आवेदन तैयार कर लिया है और उस पर हस्ताक्षर करवाए जाएंगे। जरुरत पड़ने पर परसा, फत्तेपुर, बासेन, घाटबर्रा और साल्हि के निवासी नयी सरकार के शपथ ग्रहण के तुंरत बाद रायपुर जाकर नए मुख्यमंत्री और मंत्रीओ के सामने अपनी बात रखेंगे और बाहरी तत्वों को भी जिले में प्रवेश करने से रोकने के लिए आवेदन करेंगे।
पीईकेबी खदान से आसपास के हजारों लोगों की जीविका जुड़ी हुई है। यह खदान बंद होने से इस क्षेत्र में भयंकर बेरोजगारी के चलते कई परिवार भुखमरी के कगार पर आ गए है। पिछड़े हुए आदिवासी विस्तार में युवा का कहना है की उन्हें भी राज्य के बिलासपुर, कोरबा और रायगढ जैसे जिलों की तरह विकास के अवसर चाहिए जो की सिर्फ राजस्थान सरकार की तीन खदाने ही दिला सकती है। केंद्र ने राजस्थान सरकार को दी हुई तीन में से सिर्फ एक ही खदान चल रही थी और स्थानीय चाहते है की बाकी खदानों को जल्द ही चालु कर पिछड़े हुए सुरगुजा जिले की शक्ल बदल सकते है।
अपनी पीईकेबी खदान बंद हो जाने के बावजूद भी उसने CSR के तहत मुफ्त शिक्षा, स्वास्थ्य, कौशल विकास, महिला सशक्तिकरण इत्यादि जैसी जन उपयोगी सुविधाएं और सेवाए स्थानियों के हित में चालु रखा हुआ है। राजस्थान सरकार ने 100 बिस्तर की अद्यतन मल्टीस्पेशलिटी वाली हॉस्पिटल भी बनाने का वादा किया है।
उल्लेखनीय है कि देश के सबसे बड़े कोयला उत्पादन करने वाले छत्तीसगढ़ में भारत सरकार द्वारा राजस्थान सरकार के 4400 मेगावॉट के ताप विद्युत उत्पादन संयंत्रों के लिए सरगुजा जिले में तीन कोयला ब्लॉक परसा ईस्ट केते बासेन (पीईकेबी), परसा और केते एक्सटेंशन आवंटित किया गया है। तीनो खदानें शुरू होने से स्थानीय ग्रामवासियों का रोजगार के लिए पलायन कम हो जायेगा।