निप्र, जावरा मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में चुनाव आयोग की मुख्य भूमिका का असर हो रहा बेअसर चुनाव प्रचार के होर्डिग्स पर मुद्रण संख्या और एजेंसी का नाम की कोई जानकारी नहीं, एक और लाखों खर्च कर विज्ञापन के तर्ज पर चुनाव लड़ने की राजनीति और दूसरी और गरीबों से किनारा करती राजनैतिक और सामाजिक नेताओं की नीति से गरीबों के जुबां से यहीं जिक्र निकलता है की चुनाव कुछ समय के हैं हमें सिर्फ मजदुरी करने जाना है, कोई रोजी रोटी का नहीं पूछता,पूछते हैं तो सिर्फ चुनाव के समय इतना की आपके घर में वोट कितने हैं जिसके जितने वोट उसकी उतनी इज्ज़त और सहयोग की चेष्ठा, चुनाव के प्रचार में कोई नेता कोई कसर नहीं छोड़ रहे बस चुनाव आयोग सख्ती में कसर छोड़ रहे हैं जिससे भाजपा, कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी हो या निर्दलीय प्रत्याशी सबके होर्डिग्स चौराहों के निजी घरों पर लगाए गए हैं जिस पर पार्टी से निवेदक कर वोट तो मांगे जा रहे हैं लेकिन नियम विरूद्ध होर्डिग्स से मुद्रण संख्या और एजेंसी की मुहर को दरकिनार किए जा रहे हैं । निर्वाचन अधिकारी को सूचना करने पर बताया की “जिन होर्डिग्स पर मुद्रण संख्या और एजेसी का नाम नहीं है उन्हें एसडीएम सर से चर्चा कर तत्काल हटाए जाएंगे निर्वाचन शाखा प्रभारी ईश्वर लाल राठौर।”