UJJAIN/विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में कार्तिक मास में ठंड का मौसम शुरू होने के बाद बाबा महाकाल की दिनचर्या में भी परिवर्तन हो गया है। मंदिर में रोज होने वाली भगवान महाकाल की आरती का समय रविवार कार्तिक कृष्ण प्रतिपदा से परिवर्तित हो गया है। यह व्यवस्था कार्तिक कृष्ण प्रतिपदा से फाल्गुन पूर्णिमा तक रहेगी बाबा महाकाल मंदिर की पूजन परंपरा में गर्मी व सर्दी के क्रम से प्रत्येक छह माह में भगवान की दिनचर्या बदलती है। वर्तमान में भगवान की दिनचर्या गर्मी के मौसम अनुसार चल रही थी। भगवान को शीतल जल से स्नान करवाया जा रहा था। लेकिन कार्तिक कृष्ण प्रतिपदा रविवार से मंदिर में सर्दी की शुरुआत मानी गई और इस दिन से मंदिर में प्रतिदिन होने वाली पांच में से तीन आरती का समय बदल गया।
बता दें कि तड़के चार बजे होने वाली भस्म आरती तथा रात 10.30 बजे होने वाली शयन आरती अपने निर्धारित समय पर होगी। मंदिर के पुजारी पंडित महेश गुरु ने बताया कि वर्तमान में प्रतिदिन सुबह सात बजे द्दयोदक आरती हो रही है। इसे बालभोग आरती कहा जाता है। इसमें भगवान को दही-चावल का भोग लगाया जाता है। आज सुबह यह आरती 7.30 बजे हुई।
इसी प्रकार वर्तमान में सुबह 10 बजे भोग आरती हो रही है। इसमें पुजारी भगवान महाकाल को दाल, चावल, रोटी, सब्जी, मिष्ठान का नैवेद्य लगाते हैं। अर्थात भगवान वर्तमान में सुबह 10 बजे भोजन कर रहे हैं। आज भोग आरती सुबह 10.30 बजे से हुई।
इसका आशय यह है सर्दी में भगवान ने आज आधा घंटा देरी से भोजन किया। वर्तमान में संध्या आरती प्रतिदिन शाम को सात बजे हो रही है, क्योंकि गर्मी में सूर्यास्त देरी से होता है। वहीं, संध्या आरती 29 अक्तूबर से शाम 6.30 बजे से होगी। इसके पीछे कारण है कि सर्दी में सूर्यास्त जल्दी होगा।