निप्र, जावरा मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव की शुरूआत दोनों ही पार्टियों में वाद विवाद से शुरू हुई जिसकी गूंज भोपाल तक सुनाई दे रही हैं वर्तमान उम्मीदवारों की मांग को लेकर जहां कांग्रेस के समर्थकों में रोष है,उसी तरह भाजपा में भी दिखाई दे रहा हैं लेकिन जावरा भाजपा की अनुशासन राजनीति के चलते विरोध सड़कों पर नहीं आया, भाजपा से ज्योतिरादित्य सिंधिया के द्वारा पूर्व कृषि मंत्री महेंद्र सिंह कालूखेड़ा के अनुज केके सिंह कालूखेड़ा को चुनाव लडने के लिए आश्वत किया गया था जिसके बाद से कालूखेड़ा लगातार विधानसभा में जन संपर्क कर लोकप्रिय नेता के रुप में व्यक्तिगत निर्विरोध प्रत्याशी की भूमिका निभा रहे थे, लेकिन चंबल संभाग की कई सीटों पर सिंधिया उम्मीदवारों की मांग से कालूखेड़ा को विधानसभा में तैयारी के बाद अंत समय में सिंधिया की कूट नीति की राजनीति से मूक समर्थन के चलते राजेंद्र पाण्डेय को उम्मीदवार घोषित कर दिया गया मालवा क्षेत्र से कालूखेड़ा को पारिवारिक संबंधों का गढ़ बताने वाले सिंधिया से बात करने ग्वालियर पहुंचे कालूखेड़ा भाजपा समर्थकों को सिंधिया जवाब न दे पाए जिससे भाजपा कार्यकर्ता कालूखेड़ा के नाम न आने से पांडेय विरोधी भाजपा नेता बागी हो गए और पार्टी के निर्णय से नाराज़ नज़र आए वही कई भाजपा नेता कार्यकर्ता निर्दलीय जीवन सिंह शेरपुर को समर्थन करते नजर आए, जिसमे भाजपा मंडल अध्यक्ष एव पूर्व नगर पालिका उपाध्यक्ष रहे पवन सोनी का नाम चर्चा में हैं पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष अनिल दसेड़ा भी पांडेय की कूट नीति के चलते भाजपा से बागी होकर नगर पालिका से निर्दलीय प्रत्याशी बन विजय हुए थे,एक और जावरा विधानसभा के कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी हिम्मत श्रीमाल को दावेदार घोषित करते ही पार्टी के कई कार्यकर्ताओं में पार्टी द्वारा उम्मीदवार के गलत चयन को लेकर विरोध पुतला दहन कर शुरू किया गया ,जो धीरे धीरे भाजपा की मुख्य सोशल मीडिया तक पहुंच गया इतना ही नहीं पार्टी कार्यकर्ताओं ने कहा की जिताऊ उम्मीदवार का नाम घोषित करती तो विरोध न होता जिसमे सबसे ऊपर लोकप्रियता में वीरेंद्र सिंह सोलंकी का नाम आगे है, सोलंकी द्वारा ज़मीनी स्तर पर कांग्रेस से पूर्व कृषि मंत्री महेंद्र सिंह कालूखेड़ा की तरह विकास कार्यों को आगे बढ़ाने और जनता के बीच पार्टी को मज़बूत करने का कार्य किया गया और समस्याओं को लेकर जन यात्रा भी निकाली गई, वही सक्रिय राजनीति निभाते हुए पार्टी से उम्मीदवारी की मांग की गई लेकिन उम्मीदवार श्रीमाल को घोषित किया गया कांग्रेस समर्थकों का कहना हैं की पार्टी से उम्मीदवारी के लिए पूर्व सांसद मीनाक्षी नटराजन की सहमति शामिल हैं वही पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष कांग्रेस नेता युसूफ कड़पा की कूट नीति से पार्टी ने गलत फैसला लिया है जोकि पूर्व चुनाव में कांग्रेस को जावरा से हरवाने में कड़पा द्वारा हमीर सिंह राठौर को बागी बनाने का कार्य किया गया था,जिससे कांग्रेस के उम्मीदवार कालूखेड़ा की हार हुई थी ,और वर्तमान में भाजपा को सहयोग करते कड़पा अपेक्षा कृत कमजोर उम्मीदवार का समर्थन कर भीतर से भाजपा को मजबूत करने का कार्य कर रहे हैं , जोकि दबे स्वर में कांग्रेस कार्यकर्ताओ द्वारा जगह जगह कहा जा रहा हैं, उम्मीदवार विरोध में ज़िला जनपद सदस्य कांग्रेस नेता डीपी धाकड़, राजेश भरावा सोलंकी के साथ भोपाल उम्मीदवार बदलने के लिए विरोध प्रदर्शन करने पहुंचे,मीडिया सूत्रों की माने तो नगर पालिका में भी भाजपा से जिताऊ उम्मीदवार शिवेंद्र माथुर को उम्मीदवार घोषित करने के बाद अनिल धारीवाल को प्रत्याशी घोषित करने पर माथुर को पार्टी के खिलाफ़ जाकर निर्दलीय चुनाव लड़ना पड़ा वही भाजपा युवा मोर्चा नगर अध्यक्ष विश्वास शर्मा को भी पार्टी से किनारा करना पड़ा था, और नगर पालिका से पार्टी को हार देखना पड़ी विरोधाभास की राजनीति में अधिकारों के हनन की नीति में वर्तमान में जावरा विधानसभा से बागी समर्थकों के विरोध के चलते भाजपा को हार न देखना पड़ जाए।