(लखन पंवार) माधव एक्सप्रेस भारत के आजाद हुए सात दशक बाद भी देश के हालात धर्म और समाज में द्वेष नीति के कारण विलीन होकर विकसित और विकासशील प्रगति से उभर नहीं पा रहे नतीजा भारत में महिलाओं और दलितों पर शोषण के केस दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे है, जिनमें कई प्रदेश शामिल हैं,हाल ही में देश के मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदाय के बीच बीते ढाई महीनों से हिंसक संघर्ष जारी है,मणिपुर में बीते मई से हिंसा शुरू हुई और अब तक 120 लोगों की मौत हुई है. 50,000 लोगों को अपने घरों को छोड़ना पड़ा है और 17,000 घरों और 250 चर्च नष्ट कर दिए गए हैं.यूरोपीय संसद ने कड़े शब्दों में भारतीय प्रशासन से हिंसा पर काबू करने की अपील की थी और जातीय और धार्मिक हिंसा रोकने और सभी धार्मिक अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए तुरंत सारे ज़रूरी उपाय करने को कहा था हिंसा पर चुप्पी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी और मणिपुर सीएम मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह द्वारा राज्य पर कोई ध्यान नहीं दिया गया नतीजा विद्रोह की आग में आज एक समुदाय ने दूसरे समुदाय की महिला को नग्न होकर घूमने पर मजबूर कर दिया और पिता और भाई की निर्मम हत्या कर दी ,चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ द्वारा शासन की निंदा करते हुए कहा गया कि ‘हम सरकार को कार्रवाई करने के लिए थोड़ा समय देंगे नहीं तो हम खुद इस मामले में हस्तक्षेप करेंगे। हमारा विचार है कि अदालत को सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से अवगत कराया जाना चाहिए ताकि अपराधियों पर हिंसा के लिए मामला दर्ज किया जा सके। मीडिया में जो दिखाया गया है और जो दृश्य सामने आए हैं, वे घोर संवैधानिक उल्लंघन को दर्शाते हैं और महिलाओं को हिंसा के साधन के रूप में इस्तेमाल करके मानव जीवन का उल्लंघन करना संवैधानिक लोकतंत्र के खिलाफ है।’ वही ब्रिटेन की सांसद फियोना ब्रुश ने मामले को गंभीरता से लेते हुए ब्रिटेन के निचले सदन में सवाल उठाते हुए कहा की मई से मणिपुर में सौ से ज्यादा चर्च जला दिए गए, सौ से अधिक लोग मारे जा चुके, 50,000 लोगों को घर छोड़ना पड़ा न सिर्फ चर्च बल्कि उनसे जुड़े स्कूलों को भी निशाने पर ले रखा है ब्रुश ने कहा इससे साफ है की सब पहले से प्लानिग के तहत किया जा रहा हैं, और धर्म इन मामलों में पहला फैक्टर है ।