10 लाख के बजट मे 500 सहेली समन्वय केंद्र कैसे चलेंगे?
नईदिल्ली(माधव एक्सप्रेस/ऊषा माहना)
प्रारम्भिक बाल देखरेख एवं विकास से संबंधित दिल्ली बजट 2023-24 पर चर्चा एवं सुझाव हेतु नींव, दिल्ली फोेर्सेस द्वारा (फोरम फाॅर क्रैष एंड चाइल्ड केयर सर्विसेस) राज्य स्तरीय प्रेसवार्ता एवं परिचर्चा का आयोजन 30 मई 2023 को प्रेस क्लब आॅफ इंडिया, नई दिल्ली में किया गया। प्रेसवार्ता में बच्चों एवं संबंधित मुद्दों पर कार्यरत विशेषज्ञ भारती अली (हक संस्था) राज शेखर (दिल्ली रोजी रोटी अभियान) थानेष्वर दयाल आदिगौड़ (निर्माण मजदूर अधिकार अभियान) ऋचा (जन स्वास्थ्य अभियान) सुभद्रा (नींव, दिल्ली फोर्सस) और दिल्ली की अलग-अलग बस्तियों से समुदाय प्रतिनिधि सहित नींव, दिल्ली फोर्सेस के 45 साथी संस्थाओ की भागीदारी थी।
हक संस्था के प्रतिनिधि श्री कुमार शलभ ने दिल्ली सरकार बजट 2023-24 के विष्लेषण के मुख्य बिन्दुओं को साझा किया कि हम पूरे बजट को देखे तो सरकार ने गर्भवती एवं धात्री महिलाओं और 06 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए बजट मे कुछ बेहतरीन स्वागत योग्य कदम उठाए है। जैसे कि आंगनवाड़ी सेवाओं हेतु सरकार ने 26.33 प्रतिशत बजट बढ़ाया है , पोषण मिशन के बजट मे 233.33 प्रतिशत की बहुत बड़ी व्रद्धी की है आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के वेतन हेतु 0.56 प्रतिशत बजट बढ़ाया है, प्रधानमंत्री मात्र वंदना योजना हेतु फ्लेकसी फंड को 41.25 प्रतिशत बढ़ाया है ।
परंतु कुल बजट का मात्र 1.08 प्रतिशत हिस्सा ही बच्चों के प्रारंभिक बाल देखरेख एवं संरक्षण के लिए रखा गया है। बजट के इस छोटे से हिस्से मे समेकित बाल विकास योजना (आईसीडीएस) कार्यक्रम के अलावा राष्ट्रिय क्रेच स्कीम (पालना), टीकाकरण कार्यक्रम , प्रधानमंत्री मात्र वंदना योजना , गर्भवती एवं धात्री महिलाओं के लिए योजनाए शामिल है । सरकार का बजट यह स्पष्ट दिखता है कि सरकार के लिए प्रारम्भिक बाल देखरेख एवं संरक्षण प्राथमिकता पर नही है जबकि इस उम्र मे ही बच्चों का 80 से 85 प्रतिशत मानसिक विकास होता है।
दिल्ली सरकार ने बजट 2021- 22 मे महिलाओं के सामाजिक एवं आर्थिक सशक्तिकरण और बच्चों के विकास के लिए सहेली समन्वय केंद्र (एसएसके) के नाम से एक नई योजना की घोषणा की थी जिसके लिए वर्ष 2022 -23 मे मात्र 01 करोड़ का बजट रखा था जिसे वर्ष 2023-24 मे घटा कर मात्र 10 लाख कर दिया गया।
ऽ इसी प्रकार दिल्ली सरकार ने , केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित योजना पालना स्कीम, जिसे नॅशनल क्रेच स्कीम के नाम से जाना जाता है , के लिए भी लगातार बजट घटाया है। इस योजना के तहत कामकाजी माताओं के 06 वर्ष से छोटे बच्चों हेतु डे केयर सुविधाएं प्रदान की जाती है ।
ऽ दिल्ली सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 मे इस योजना हेतु मात्र 1.02 करोड़ आबंटित किए है जबकि 2022-23 मे यह आबंटन 1.05 करोड़ था और 2021-22 मे 1.88 करोड़ है ।
ऽ आंगनवाड़ी के प्रोत्साहन हेतु वर्ष 2022-23 मे 15 करोड़ रुपये थे वहीं वर्ष 2023-24 के बजट मे इसे 10 करोड़ रुपये कर दिया गया है ।
ऽ इसी प्रकार दिल्ली सरकार ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण के लिए 2.57 करोड़ रूपय की कुल राशी निर्धारित की है जो कि पिछले वर्ष के आवंटन के बराबर ही है इसमे कोई बदलाव नही किया है।
बजट को इस प्रकार कम करना सरकार की मंशा को स्पष्ट दिखाता है कि प्रारम्भिक बाल देखरेख एवं संरक्षण को प्राथमिकता नही दे रही है। विश्लेषण से यह स्पष्ट है कि सरकार का ध्यान छोटे बच्चों , गर्भवती एवं धात्री महिलाओं से संबन्धित योजनाओं के बेहतरीन क्रियान्वयन से अधिक उनकी घोषणाओं पर है तभी बजट का आबंटन कम होता जा रहा है।
दिल्ली की अलग-अलग बस्तियों से समुदाय प्रतिनिधियों ने बाल देखरेख से संबंधित चुनौतियों को साझा किया। रीना यादव, सावदा घेवरा, पूनर्वास बस्ती की निवासी है ‘‘मैं फैक्ट्री में मजदूरी करती हुँ, मेरे 2 छोटे बच्चे है जब मैं काम पर जाती हुँ तो बच्चों को पड़ोसियों के भरोसे छोड कर जाती हुँ पर मुझे हमेषा उनकी चिंता लगी रहती है और मेरा काम में भी पूरी तरह से ध्यान नहीं लगा पाती हुँ बच्चों के कारण कई बार मुझे छूट्टी भी करनी पड़ती है इसकी वजह से मेरा पैसा भी कट जाता है इस लिए मैं चाहती हुँ कि मेरे बच्चों की पूरे दिन देखरेख के लिए बस्ती में व्यवस्था हो ताकि मेरे बच्चे भी सुरक्षित रहें और मैं भी निष्चित हो कर काम कर सकूं‘‘
ममता, मदनपुर खादर पूनर्वास बस्ती, ‘‘जब मैं पहली बार गर्भवती हुई तो आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के द्वारा प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना का फार्म सभी दस्तावेजों के साथ भरा गया था। 6 माह तक जब मेरे खाते में पैसा नहीं आया जब मैं आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के पास गई तो पता चला कि मेरा फार्म ही खो गया है और फिर से आंगनवाड़ी कार्यकर्ता द्वारा पुनः आवेदन किया गया पर भी तक मुझे पैसा नहीं मिला है जब कि मेरा बच्चा लगभग 2 वर्ष का होने वाला है मुझे मेरा हक नही मिलना चाहिए‘‘
रूनी देवी, राजीव रत्न आवास बापरोला ‘‘मेरे परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है और मैं काम करना चाहती हुँ पर मेरे छोटे बच्चे के कारण काम पर नहीं जा पा रही हुँ यदि मेरे बच्चे की देखरेख व्यवस्था होती तो मैं आराम से काम कर पाती‘‘
आज की परिचर्चा एवं प्रेस के माध्यम से नींव दिल्ली फोर्सेस सरकार से यह मांग करती है कि जैसे सरकार ने प्रारमाभिक बाल देखरेख सेवाओं मे आंगनवाड़ी और पोषण हेतु बजट बढाया है वैसे ही सहेली समन्वय केंद्र एवं पालना स्कीम हेतु तय किए गए बजट को रिवाइस करते समय बढ़ाए। सरकार प्रारम्भिक बाल देखरेख एवं संरक्षण हेतु बजट राशि बढ़ाएगी ताकि दिल्ली जैसे बड़े शहर मे कामकाजी महिलाओं के बच्चों का समेकित एवं सम्पूर्ण विकास हो पाये।