
उज्जैन,विश्वविद्यालय का चतुर्थ दीक्षांत समारोह 24 मई 2023 बुधवार को प्रात 11:00 बजे विक्रमकीर्ति मन्दिर, देवास मार्ग, उज्जैन के सभागार में आयोजित किया जाएगा।
दीक्षान्त समारोह के बारे में महर्षि पाणिनि संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विजयकुमार सी.जी. ने बताया कि समारोह में मुख्यातिथि के रूप में माननीय उच्च शिक्षा मन्त्री मध्यप्रदेश डॉ. मोहन यादव तथा सारस्वत अतिथि के रूप में अध्यक्ष भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन (ISRO) आदरणीय श्रीधर सोमनाथ जी उपस्थित रहेंगे। विशिष्टातिथि के रूप में आदरणीय श्री. अनिल फिरोजिया, सासद उज्जैन आलोट लोकसभा क्षेत्र उज्जैन एवं आदरणीय श्री पारसचन्द्र जैन विधायक विधानसभा क्षेत्र उत्तर उज्जैन, उपस्थित रहेंगे। दीक्षान्त समारोह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विजयकुमार सी.जी. की अध्यक्षता में सम्पन्न होगा। विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ दिलीप सोनी भी दीक्षान्त समारोह में उपस्थित रहेंगे। विश्वविद्यालय का कार्यक्षेत्र सम्पूर्ण मध्यप्रदेश है। विश्वविद्यालय से 21 महाविद्यालय सम्बद्ध है। जिनमें 09 शासकीय एवं 12 अशासकीय महाविद्यालय सम्मिलित है। विश्वविद्यालय से सम्बद्ध समस्त महाविद्यालयों के छात्र सत्र 2021-22 में स्नातक, स्नातकोत्तर तथा डिप्लोमा परीक्षाओं में उत्तीर्ण हुए कुल 1397 छात्र उपाधि हेतु पात्र है। जिनमें से स्वर्ण, रजत एवं कांस्य पदक हेतु 14-14-14 छात्र पात्रता रखते हैं। प्रावीय सूची में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त छात्रों को स्वर्ण, रजत एवं कांस्य पदक सहित विद्यावारिधि के 01 छात्र को उपाधि प्रदान की जाएगी। विश्वविद्यालय द्वारा श्रीमद्भगवत गीता फाउंडेशन हैदराबाद के अध्यक्ष श्री गंगाधर शास्त्री जी को विद्यावारिधि मानद उपाधि प्रदान की जाएगी ।
संस्कृत भाषा एवं प्राचीन ज्ञान-विज्ञान परम्परा के संरक्षण अभिवर्धन एवं उन्मुखीकरण के लिए मध्यप्रदेश शासन के संकल्प से महर्षि पाणिनि संस्कृत विश्वविद्यालय अधिनियम 2006 क्रमांक 15 सन् 2008 द्वारा मध्यप्रदेश की प्राचीन पौराणिक नगरी उज्जैन में महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय की स्थापना की गयी | अपने स्थापना वर्ष से वर्तमान सत्र तक इस विश्वविद्यालय को स्थापित हुए कुल 14 वर्ष की अवधि पूर्ण हो चुकी है। भारतीय संस्कृति के मूल सिद्धान्तों में निहित ज्ञाननिष्ठ, समावेशी, उदात्त, सहिष्ण एवं सार्वभौमिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए समर्पित यह विश्वविद्यालय उत्तरोत्तर प्रगति पथ पर अग्रसर है।
महर्षि पाणिनि संस्कृत विश्वविद्यालय के मुख्य उद्देश्य-
देवभाषा संस्कृत का प्रचार प्रसार एवं “संस्कृत सभी के लिए” इस ध्येय के साथ विविध पाठ्यक्रम
तथा कार्यक्रमों का आयोजन करना ।
• शास्त्रीय मर्यादा की रक्षा करते हुए देव भाषण संस्कृत तथा उससे निष्पन्न अन्य भाषाओं एवं उनके
साहित्य का संरक्षण, संवर्धन करने
वैदिक साहित्य और वेदांग तथा उन पर विकसित सम्पूर्ण आयमिक साहित्य, प्राचीन विज्ञान का
समुन्नयन एवं प्रचार प्रसार करना।
आयुर्वेद, ज्योतिर्विज्ञान, गणित, रसायनशास्त्र, धातुशास्त्र ऋतुविज्ञान, विमानशास्त्र, बुद्धशास
अश्वशास्त्र, प्राचीन प्राणिशास्त्र, वनस्पतिशास्त्र तथा पचभूतात्मक पर्यावरण से सम्बन्धित विज्ञान स्थापत्य, वास्तुशिल्प, इत्यादि वैश्विक ज्ञान एवं विधाओं को विस्तृत करना।
• सम्बद्ध महाविद्यालयों के माध्यम से वैश्चिक मानदण्ड अपनाते हुए अध्ययन, अध्यापन और शोध
सम्बन्धी सेवाएं प्रदान करना।
विश्वविद्यालय के संकाय एवं विभाग
महर्षि पाणिनि संस्कृत विश्वविद्यालय अधिनियम, 2006 क्र 15 सन् 2008 की धारा 24 (तीन) एवं 33 (ञ) के अन्तर्गत विनिर्मित परिनियम क्र. 15 के अनुसार प्रस्तुत प्रतिवेदन के सन्दर्भ में आलोच्य वर्ष में निम्नलिखित संकाय का गठन किया गया है तथा उनके अन्तर्गत संचालित अधोनिर्दिष्ट विभागों में शिक्षण अध्यापन कार्य जारी रहा है। वेद वेदाङ्ग एवं साहित्य संकाय के अन्तर्गत वेद एवं व्याकरण विभाग, संस्कृत साहित्य एवं दर्शन विभाग, ज्योतिष एवं ज्योतिर्विज्ञान विभाग, दर्शन संकाय के अन्तर्गत न्याय दर्शन विभाग, कला संकाय के अन्तर्गत विशिए संस्कृत विभाग, प्राचीन विज्ञान संकाय के अन्तर्गत योग विभाग, शिक्षा संकाय के अन्तर्गत शिक्षाशास्त्र विभाग तथा संस्कृत शिक्षण प्रशिक्षण तथा ज्ञान विज्ञान संवर्धन केन्द्र में विविध पाठ्यक्रम वर्तमान में संचालित किए जा रहे हैं।
विश्वविद्यालय अध्यापन विभागों में संचालित पाठ्यक्रम
उपर्युक्त विभागों में स्नातक स्तर पर शास्त्री (शुक्लयजुर्वेद/नव्यव्याकरण साहित्य/ फलित ज्योतिष/ सिद्धान्त ज्योतिषन्यायदर्शन) जी.ए. संस्कृत, बी. ए. ऑनर्स) बी.ए.बी.एड. एकीकृत तथा स्नातकोत्तर स्तर पर आचार्य (शुक्लयजुर्वेद नव्यव्याकरण साहित्य/ फलित ज्योतिष/ सिद्धान्त ज्योतिष / न्यायदर्शन/ अद्वैत वेदान्त ) एम.ए. (योग, ज्योतिर्विज्ञान, संस्कृत, वास्तुशास्त्र) तथा पत्रोपाधि (डिप्लोमा) पाठ्यक्रम (संस्कृतसम्भाषणस्तु शास ज्योतिष पौरोहित्य/योग / वैदिक गणित/पर्यटक मार्गदर्शक) तथा प्रमाणपत्रीय पाठ्यक्रम की कक्षाएं संचालित हो रही है।
चतुर्थ दीक्षान्त समारोह में
महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक दीक्षांत समारोह में कार्यपरिषद् सदस्य श्री भरत बैरागी, श्री सुशील वाडिया, श्रीमती विद्या जोशी, श्री राजेंद्र झालानी, श्रीमती किरण शर्मा, डॉ. केशर सिंह चौहान, डॉ. उपेन्द्र भार्गव, डॉ. संकल्प मिश्र एवं समस्त सकायाध्यक्ष उपस्थित रहेंगे।
समारोह में उपस्थित होने हेतु कुल 166 छात्रों ने पंजीयन कराया है। कार्यक्रम पश्चात् माननीय कुलपति जी तथा संकायाध्यक्षों की उपस्थिति में शेष पंजीकृत उपस्थित छात्र-छात्राओं को प्रमाण पत्र वितरित किए जायेंगे। शेष सभी उपाधियाँ सम्बन्धित छात्र-छात्राओं को डाक द्वारा प्रेषित की जायेंगी। विद्यावारिधि के 01. स्नातकोत्तर स्तर के 415, स्नातक स्तर के 631 एवं डिप्लोमा के 350 छात्रों की सूची जारी कर दी गई है। पत्रकार परिषद् में माननीय कुलपति प्रो. विजयकुमार सी. जी. कुलसचिव डॉ दिलीप सोनी, संस्कृत साहित्य विभाग के अध्यक्ष एवं दीक्षांत समारोह के संयोजक डॉ. तुलसीदास परीहा उपस्थित रहे।