निप्र,जावरा (लखन पंवार) मध्यप्रदेश के रतलाम जिले के जावरा विधानसभा क्षेत्र में पंचायत चुनाव के समय किसानों का विश्वास साधने वाले जिला पंचायत सदस्य डीपी धाकड़ और राजेश भरावा वर्तमान में अधिकारियों से जनसैलाब लेकर कार्य कराने की बात पर फैल साबित हुए, लाखों खर्च कर जिला पंचायत सदस्य चुनाव जीत कर वार्डों पर आधिपत्य तो जमा लिया लेकिन किसानों के ज़मीनी मुद्दों को हल नहीं कर पा रहे हैं, पंचायत में बने जल संरक्षण के स्टॉप डेम के संरक्षण पर भी कार्य नहीं हो पा रहा सामाजिक रूप से गहरीकरण की पंचायत द्वारा मांग पर भी अब तक कार्य नहीं हो पाया है, जहां पूर्व में भी पंचायतों में स्टॉप डेम के रखरखाव पर ध्यान न होने के कारण बारिश का पानी कई गांव में जलमग्न का कारण बन रहा ,जो की नहरों में अधिक मिट्टी और स्टॉप डेम के मिट्टी से भरे होने की वजह से होना साबित हुआ, लेकिन अब तक इस और कोई ध्यान नहीं है, एक और रेत माफियाओं के द्वारा अवैध खनन पर प्रशासन द्वारा कार्यवाही में दातों तले उंगली दबा ली जाती है और कार्यवाही राजनीतिक हस्तक्षेप के अन्तर्गत सोच समझकर की जाती हैं लेकिन पर्यावरण और किसानों के अधिकारों के लिए किसी प्रशासनिक अधिकारी के बीच राजनीतिंक हस्तक्षेप नहीं होता , वहीं जिला पंचायत सदस्य किसान नेता डी.पी धाकड़ किसानों के तार्किक मुद्दों को हवा देकर पंचायत से गायब हो जाते है, पंचायत चुनाव के बाद से मालवा के किसानों को साधने में लगे डीपी धाकड़ खुद अपने वार्ड के ग्रामीण पंचायत के कार्य से पिछड़े है ,पंचायत की समस्या सिर्फ 181 के भरोसे चल रही है , जल, गोचर भूमि संरक्षण और जर्जर मार्ग के कार्यों पर कोई बात नहीं। जहां किसान नेता को बारिश से दिक्कत है थोड़ा गिरते ही फसल लेकर वीडियो बनाने के लिए खड़े हो जाते है लेकिन जल संरक्षण को लेकर कभी मैदान में नहीं आते ,और जब क्षेत्रीय समस्या को लेकर समाजिक कार्यकर्ता आगे आते है तो उन्हें ना जनप्रतिनिधियों द्वारा सहयोग दिया जाता है और ना ही प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा लोकतंत्र में वोट की महत्त्वता शायद अनशन और प्रर्दशन तक ही सीमित रह गई है।